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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की जनरल मीटिंग बुलाने की मांग पर सुनवाई से जज हटे - बार एसोसिएशन की जनरल मीटिंग

Supreme Court Bar Association: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की जनरल मीटिंग बुलाने का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. बुधवार को सुनवाई करते हुए जज ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया. साथ ही केस को दूसरे बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश दिया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 21, 2024, 8:54 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के नियमों में संशोधन करने के लिए जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने की मांग करने वाली याचिका पर खुद को सुनवाई करने से अलग कर लिया. बुधवार को जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने खुद को सुनवाई से अलग करते हुए दूसरी बेंच के समक्ष 26 फरवरी को लिस्ट करने का आदेश दिया.

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि वे खुद एससीबीए के सदस्य रह चुके हैं, ऐसे में वे इस याचिका पर सुनवाई से अलग हो रहे हैं. याचिका वकील योगमाया ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बिनीश के, नंदना मेनन और अंजिता संतोष ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 2023 में एससीबीए का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई. चुनाव में 11 महिला वकीलों ने हाथ आजमाया था, लेकिन सभी हार गईं.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस और एससीबीए के अध्यक्ष को पत्र लिखा. उन्होंने एससीबीए अध्यक्ष को जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने की मांग की ताकि एससीबीए कार्यकारिणी में कम से कम दो महिला वकीलों के लिए सीटें आरक्षित हों. अब हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. याचिका में कहा गया है कि लैंगिक समानता संविधान का लक्ष्य है. हाल में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित करने के संशोधन को पारित किया गया है. 1993 में स्थानीय निकायों में 33 फीसदी महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान किया गया. इसके बाद कई राज्यों ने इसे लागू किया. कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और केरल ने तो महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के नियमों में संशोधन करने के लिए जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने की मांग करने वाली याचिका पर खुद को सुनवाई करने से अलग कर लिया. बुधवार को जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने खुद को सुनवाई से अलग करते हुए दूसरी बेंच के समक्ष 26 फरवरी को लिस्ट करने का आदेश दिया.

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि वे खुद एससीबीए के सदस्य रह चुके हैं, ऐसे में वे इस याचिका पर सुनवाई से अलग हो रहे हैं. याचिका वकील योगमाया ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बिनीश के, नंदना मेनन और अंजिता संतोष ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 2023 में एससीबीए का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई. चुनाव में 11 महिला वकीलों ने हाथ आजमाया था, लेकिन सभी हार गईं.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस और एससीबीए के अध्यक्ष को पत्र लिखा. उन्होंने एससीबीए अध्यक्ष को जनरल बॉडी मीटिंग बुलाने की मांग की ताकि एससीबीए कार्यकारिणी में कम से कम दो महिला वकीलों के लिए सीटें आरक्षित हों. अब हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. याचिका में कहा गया है कि लैंगिक समानता संविधान का लक्ष्य है. हाल में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित करने के संशोधन को पारित किया गया है. 1993 में स्थानीय निकायों में 33 फीसदी महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान किया गया. इसके बाद कई राज्यों ने इसे लागू किया. कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और केरल ने तो महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया है.

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