जोधपुर. खारे पानी के बावजूद जोधपुर के काजरी में मीठे और स्वादिष्ट खजूर पैदा हो रहे हैं. इस भीषण गर्मी के दौरान कम पानी से भी पैदावार में इजाफा हो रहा है. यह कमाल है टिश्यू कल्चर तकनीक का. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी में एक हेक्टर में उत्तक संवर्धन टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार खजूर के लगभग 160 पौधे लगे हुए हैं. 10 साल पहले ये पौधे लगाए गए थे. चार साल बाद इनके फल आना शुरू हुए. इस बार इनके दामों में भी अच्छा इजाफा हुआ है.
50 साल तक भरपूर उपज: काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर धीरज सिंह ने बताया कि खजूर की एडीपी-1 प्रजाति के पौधे 10 साल पहले गुजरात के आनंद कृषि विश्वविद्यालय से लाकर लगाए गए थे. ये पौधे आज पूरी तरह से तैयार हैं. उचित रखरखाव, सिंचाई और उर्वरकों का प्रयोग कर खजूर के पौधों से 50 साल तक भरपूर उपज ली जा सकती है. किसानों को भी इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. अभी भी परीक्षण चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसकी खासियत यह है कि गर्मी में कम पानी में उत्पादन ज्यादा देती है. साथ ही तेज धूप व गर्मी से फल आकर्षक और जामुनी लाल कलर का होता है, जो खाने में स्वादिष्ट और मिठास होता है.
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इस बार भाव में तेजी: डॉ. धीरज सिंह ने बताया कि 8 से 10 वर्ष की आयु में प्रत्येक पौधा 80 से 140 किलो पैदावार देने लगता है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष तेज गर्मी की वजह से खजूर के फल पर प्रभाव पड़ा है. तेज गर्मी व धूप के खजूर का स्वाद और मिठास बनी हुई है. इस बार पिछले साल की तुलना में 100 रुपये प्रति किलो भाव की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल खजूर 100 से 150 रुपए प्रति किलो भाव से बिकते थे. इस बार 150 से 250 रुपए प्रति किलो भाव से बिक रहे हैं.