गिरिडीह: धनबाद-गिरिडीह और बोकारो के छह विधानसभा सीटों को मिलाकर बने गिरिडीह लोकसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा जोरदार मुकाबला करती रही है. झारखंड राज्य के गठन होने के बाद से इस सीट पर भाजपा और झामुमो की ही टक्कर होती रही है. राज्य बनने के बाद पहली दफा 2004 में यहां लोकसभा चुनाव हुआ तो झामुमो के टेकलाल महतो ने जीत दर्ज की. टेकलाल ने रविन्द्र पांडेय को लगभग 1.49 लाख मतों से पराजित किया. 2009 में इस सीट पर फिर से भाजपा के रविन्द्र पांडेय की सीधी भिड़ंत झामुमो के टेकलाल से हुई लेकिन इस बार टेकलाल महतो लगभग 94 हजार मतों से पराजित हुए.
टेकलाल के निधन के बाद जगरनाथ पर रहा पार्टी का विस्वास
2011 में दिग्गज नेता टेकलाल महतो का निधन हो गया. अब 2014 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस सीट पर उस वक्त डुमरी के विधायक रहे जगरनाथ महतो को अपना उम्मीदवार बनाया. जगरनाथ महतो ने भाजपा प्रत्याशी रविन्द्र पाण्डेय को कड़ी टक्कर दी. हालांकि मोदी लहर में जगरनाथ को हार का सामना करना पड़ा. 2014 के चुनाव में रविन्द्र पाण्डेय ने जगरनाथ महतो को लगभग 40 हजार मतों से शिकस्त दी.
2019 के लोकसभा चुनाव में जहां एनडीए की तरफ से आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी खड़े हुए तो महागठबंधन की तरफ से झामुमो की टिकट पर जगरनाथ महतो ने ताल ठोंका. इस चुनाव में फिर से मोदी लहर चली और चंद्रप्रकाश चौधरी को 648277 (58.55 प्रतिशत) मत मिले और वे विजयी रहे. हालांकि मोदी लहर के बावजूद 2014 के मुकाबले 2019 में झामुमो प्रत्याशी जगरनाथ महतो को लगभग 48 हजार अधिक वोट मिला था. इस चुनाव में जगरनाथ को 3,99,936 (36.12 प्रतिशत) मत प्राप्त हुआ था.
अब किस पर करेगी पार्टी भरोसा
झारखंड गठन के बाद हुए चुनाव में झामुमो के प्रदर्शन को देखते हुए यह आकलन किया जा रहा है कि इंडी गठबंधन की तरफ से गिरिडीह सीट झामुमो के पाले में जा सकती है. ऐसे में इस बार झामुमो किसे अपना प्रत्याशी खड़ा करती है यह बड़ा सवाल है. चूंकि 2022 में जगरनाथ महतो भी नहीं रहे. ऐसे में इस सीट पर झामुमो का उतराधिकारी कौन होगा उसकी चर्चा जगह-जगह हो रही है. चर्चा गिरिडीह से झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार से लेकर टुंडी से पार्टी विधायक मथुरा महतो की हो रही है. इसके अलावा डुमरी की विधायक सह मंत्री बेबी देवी भी चर्चा में हैं.
इन सबों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन की चर्चा गिरिडीह की फिंजा में तैर रही है. इस चर्चा को बल झारखंड मुक्ति मोर्चा गिरिडीह जिला स्थापना दिवस समारोह में कल्पना के शामिल होने और यहीं से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने से मिला है. चार मार्च के कार्यक्रम में जिस अंदाज से जगह-जगह कल्पना सोरेन का स्वागत हुआ, जिस तरह से कल्पना को देखने और सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी और जिस तरह से भावनात्मक भाषण देकर कल्पना ने लोगों को प्रभावित किया उससे ऐसी चर्चा होनी लाजमी है.
जिला कमिटी ने कहा, आलाकमान का निर्णय सर्वोपरि
इस विषय पर गिरिडीह जिला कमिटी से बात की गई. जिलाध्यक्ष संजय सिंह का कहना है कि इण्डिया गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग का फैसला जल्द हो जाएगा. गिरिडीह सीट पर झामुमो का मजबूत दावा है और यह सीट हमें ही मिलेगी. कहा कि इस बार पार्टी का प्रत्याशी कौन होगा यह तो अभी कहना उचित नहीं है लेकिन पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनायेगी उसकी जीत तय है. हरेक कार्यकर्ता अपनी पूरी ताकत झोंक देगा.
छह सीट में चार पर इंडी का कब्जा
वैसे यहां बता दें कि गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा सीट में से चार पर इंडी गठबंधन का कब्जा है. वहीं दो पर एनडीए का. जिन चार सीटों पर इण्डिया का कब्जा में है उसमें गिरिडीह, डुमरी, टुंडी (धनबाद जिला) और बेरमो (बोकारो जिला) शामिल है. इन चार सीट में तीन पर झामुमो के विधायक हैं. जबकि धनबाद के बाघमारा और बोकारो के गोमिया में एनडीए के क्रमशः भाजपा और आजसू के विधायक हैं.
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