रांची: सरना धर्म कोड सहित विभिन्न मांगों को लेकर राष्ट्रपति के समक्ष गुहार लगाने की तैयारी में जुटा झारखंड मुक्ति मोर्चा को तगड़ा झटका लगा है. राष्ट्रपति भवन से मुलाकात की अनुमति नहीं मिली है. राष्ट्रपति भवन से झारखंड मुक्ति मोर्चा को भेजे गए पत्र में राष्ट्रपति की व्यस्तता का हवाला दिया गया है. इधर राष्ट्रपति से मुलाकात का समय नहीं मिलने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने नाराजगी जताई है.
मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कैबिनेट की बैठक के बाद झारखंड मंत्रालय में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि झारखंड के हित की मांग को लेकर हमलोगों को राष्ट्रपति भवन जाना था जिसमें 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति का मुद्दा था, 27% ओबीसी आरक्षण का मुद्दा था और सरना धर्म कोड की बात थी. यह मुद्दा झारखंड के आदिवासी मूलवासी के अस्तित्व का है जिसे पूरा करने के बाद ही झारखंड का अस्तित्व बच सकता है.
राष्ट्रपति भवन से समय नहीं मिलना दुखद- विनोद पांडे
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने झामुमो कार्यालय में नाराजगी जताते हुए कहा कि राष्ट्रपति भवन से समय नहीं मिलना बेहद ही दुख की बात है. जिन मुद्दों को लेकर प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलना चाहता था उसमें सरना धर्म कोड सहित झारखंड के ज्वलंत ऐसे कई मुद्दे हैं जिस पर महामहिम राष्ट्रपति को अवगत कराना था.
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के समय सरना धर्म कोड, 27% ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दे विधानसभा से पास कराए गए थे. विधानसभा के बाद जिस तरह से राजभवन ने इस पर टिप्पणी की थी वह भी जगजाहिर है. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा और गठबंधन के सहयोगी दल के लोग राष्ट्रपति से मिलने के लिए इच्छा जता रहे थे और यही वजह थी कि करीब 50 विधायक और सांसदों का हस्ताक्षर युक्त आवेदन राष्ट्रपति भवन को समय के लिए भेजा गया था. मगर जिस तरह से राष्ट्रपति महोदया की व्यस्तता का हवाला दिया गया है उसे झारखंड की जनता को निराशा हाथ लगी है.
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