रांची: झामुमो ने सीआरपीएफ अथॉरिटी और केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. झामुमो ने सीआरपीएफ अथॉरिटी पर आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार के आदेश पर एक सुनियोजित साजिश रची गई, जिसमें सीआरपीएफ आईजी भी शामिल थे. पार्टी की ओर से रविवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीआरपीएफ के जवानों ने मुख्यमंत्री आवास के आसपास झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ झड़प की कोशिश की ताकि स्थिति बिगड़ जाए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का बहाना मिल जाए.
झामुमो की ओर से कहा गया है कि शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कांके स्थित आवास पर उनका बयान दर्ज कर रहे थे, उसी दौरान 500 से अधिक सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही एक बस बिना अनुमति या पूर्व सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने की कोशिश की. इस दौरान उनकी झामुमो कार्यकर्ताओं से झड़प भी हुई. झामुमो का कहना है कि सीआरपीएफ के अधिकारी चाहते थे कि प्रदर्शन कर रहे झामुमो कार्यकर्ताओं और सीआरपीएफ जवानों के बीच झड़प हो और प्रदर्शनकारी हिंसक हो जाएं ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सके.
'बिना अनुमति सीआरपीएफ का प्रवेश दुखद': बताया गया कि जिला प्रशासन के अनुरोध या अनुमति के बिना सीआरपीएफ कोई भी कानून-व्यवस्था संबंधी कार्य नहीं कर सकती, फिर भी लगभग 500 सीआरपीएफ जवानों का मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश का प्रयास दुखद है. इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार के इशारे पर सीआरपीएफ ने राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया और संघीय ढांचे पर बड़ा हमला किया. झामुमो ने केंद्रीय सुरक्षा बल को आंतरिक सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाली संस्था करार दिया और कहा कि इसका राजनीतिक दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है. ऐसी घटना से केंद्रीय एजेंसी के प्रति आम जनता के विश्वास को ठेस पहुंचेगी.
सरकार से कानूनी कार्रवाई की मांग: झामुमो ने राज्य सरकार से मांग की है कि शनिवार को की गई असंवैधानिक कार्रवाई के लिए सीआरपीएफ के आईजी और कमांडेंट के साथ-साथ उनके अन्य अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कमेटी से जांच कराई जाए. साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए, नहीं तो झामुमो आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा.
जेएमएम ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ईडी अधिकारियों के समक्ष मुख्यमंत्री के बयान की रिकॉर्डिंग के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 2000 पुलिस और वरिष्ठ मजिस्ट्रेटों की प्रतिनियुक्ति की गई थी. इसके बावजूद सीआरपीएफ द्वारा माहौल खराब करने की साजिश रची गई. जिसका खुलासा होना जरूरी है.
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