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कार्बेट का सबसे बड़ा टाइगर था बैचलर ऑफ पवलगढ़, जिम ने किया था 'शांत', इसके बाद छोड़ दी हंटिंग - Jim Corbett Birth anniversary - JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY

hunter Jim Corbett Birth anniversary, Bachelor of Pawalgarh जिम कार्बेट एक ऐसा नाम जो शौक नहीं बल्कि शांति के लिए शिकार करते थे. 25 जुलाई 1875 में हुआ था. 1952 में कुमांऊ स्थित राष्ट्रीय उद्यान का नाम उनके नाम पर यानी जिम कार्बेट नेशनल पार्क रखा गया.

JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY
जिम कॉर्बेट की जयंती (ETV BHARAT GRAPHICS)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 25, 2024, 6:04 AM IST

जिम कॉर्बेट की जयंती (ETV BHARAT)

रामनगर: 25 जुलाई को विश्व प्रसिद्ध एडवर्ड जिम कॉर्बेट की जयंती है. उनसे जुड़ी कई कहानियां रामनगर, छोटी हल्द्वानी के म्यूजियम में देखने को मिलती हैं. इसी म्यूजियम में बैचलर ऑफ पवलगढ़ से जुड़ी यादें भी देखने को मिलती हैं. ये एक ऐसा टाइगर था जिसका शिकार जिम ने किया था. बाद में उन्होंने उसे बैचलर ऑफ पवलगढ़ की उपाधि दी थी. इस टाइगर के शिकार के बाद ही एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने हंटिंग छोड़ दी थी.

Jim Corbett Birth anniversary
बैचलर ऑफ पवलगढ़ (Jim Corbett Birth anniversary)

बता दें विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम विश्व विख्यात महान शिकारी एडवर्ड जिम कॉर्बेट के नाम पर पड़ा था. एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने जीव-जंतुओं और जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने में बहुत बड़ा योगदान दिया. उन्हें उत्तराखंड के लोगों को आदमखोरों से बचाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने 33 आदमखोरों को मार गिराया. बाद में सबसे महान वन्यजीव संरक्षकों में से एक बन गए. इन आदमखोरों को मारने को लेकर कई रोचक कहानियां अपनी किताब मैन ईटर ऑफ कुमाऊं में लिखी हैं. बैचलर ऑफ पवलगढ़ की कहानी इन्ही में से एक है.

JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY
विश्व प्रसिद्ध एडवर्ड जिम कॉर्बेट (ETV BHARAT GRAPHICS)

इस बारे में वन्य जीव प्रेमी व कॉर्बेट ग्राम विकास समिति के सचिव मोहन पांडे बताते हैं कि एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने लगातार मवेशियों को निवाला बना रहे पवलगढ़ क्षेत्र में सबसे लंबे टाइगर को मारा था. उन्होंने उसको मारने के बाद छोटी हल्द्वानी में म्यूजियम कंजू के पेड़ के आघे रखा था. जिसे उन्होंने बैचलर ऑफ पावलगढ़ नाम दिया. जिसको उन्होंने (1920–1930) में मारा था. यह असामान्य रूप से बड़ा नर बंगाल टाइगर था. जिसके बारे में कहा जाता है कि वह 10 फीट 7 इंच (3.23 मीटर) लंबा था. जिसकी पूरी जानकारी म्यूजियम में पढ़ने को मिलती है. वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल बताते हैं ब्रिटिश शिकारी जिम कॉर्बेट ने 1930 की सर्दियों में बैचलर ऑफ पवलगढ़ को गोली मारकर मार डाला था. बाद में अपनी 1944 की किताब मैन-ईटर्स ऑफ़ कुमाऊं में उन्होंने इसकी कहानी बताई.

JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY
कौन थे जिम कार्बेट (JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY)

इस बारे में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वॉर्डन अमित ग्वासाकोटि कहते एडवर्ड जिम कॉर्बेट महान शिकारी थे. उन्होंने टाइगर को मारने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह इस इलाके के ग्रामीणों, मवेशियों को लगातार निवाला बना रहा था. ग्रामीणों के दबाव के बाद उन्होंने टाइगर को मारने का फैसला लिया. यह सबसे बड़ा बाघ था. इसे मारने के बाद एडवर्ड जिम कॉर्बेट को बड़ा दुख हुआ. इसके बाद उन्होंने हंटिंग छोड़ दी.

नैनीताल में जन्मे थे जिम कॉर्बेटः गौर हो कि एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था. नैनीताल में जन्मे होने के कारण जिम कॉर्बेट को नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों से बेहद लगाव था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में ही पूरी की. अपनी युवावस्था में जिम कॉर्बेट ने पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी कर ली, लेकिन नैनीताल का प्रेम उन्हें नैनीताल की हसीन वादियों में फिर खींच लाया.

पढे़ं-नाम बदलने की अटकलों के बीच जिम कॉर्बेट के बारे में जानिये, वो शिकारी जिसके नाम तले आज फल फूल रहे हैं बाघ

पढे़ं-जिम कार्बेट : शौक नहीं शांति के लिए करते थे शिकार, जानें पूरी कहानी

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जिम कॉर्बेट की जयंती (ETV BHARAT)

रामनगर: 25 जुलाई को विश्व प्रसिद्ध एडवर्ड जिम कॉर्बेट की जयंती है. उनसे जुड़ी कई कहानियां रामनगर, छोटी हल्द्वानी के म्यूजियम में देखने को मिलती हैं. इसी म्यूजियम में बैचलर ऑफ पवलगढ़ से जुड़ी यादें भी देखने को मिलती हैं. ये एक ऐसा टाइगर था जिसका शिकार जिम ने किया था. बाद में उन्होंने उसे बैचलर ऑफ पवलगढ़ की उपाधि दी थी. इस टाइगर के शिकार के बाद ही एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने हंटिंग छोड़ दी थी.

Jim Corbett Birth anniversary
बैचलर ऑफ पवलगढ़ (Jim Corbett Birth anniversary)

बता दें विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम विश्व विख्यात महान शिकारी एडवर्ड जिम कॉर्बेट के नाम पर पड़ा था. एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने जीव-जंतुओं और जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने में बहुत बड़ा योगदान दिया. उन्हें उत्तराखंड के लोगों को आदमखोरों से बचाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने 33 आदमखोरों को मार गिराया. बाद में सबसे महान वन्यजीव संरक्षकों में से एक बन गए. इन आदमखोरों को मारने को लेकर कई रोचक कहानियां अपनी किताब मैन ईटर ऑफ कुमाऊं में लिखी हैं. बैचलर ऑफ पवलगढ़ की कहानी इन्ही में से एक है.

JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY
विश्व प्रसिद्ध एडवर्ड जिम कॉर्बेट (ETV BHARAT GRAPHICS)

इस बारे में वन्य जीव प्रेमी व कॉर्बेट ग्राम विकास समिति के सचिव मोहन पांडे बताते हैं कि एडवर्ड जिम कॉर्बेट ने लगातार मवेशियों को निवाला बना रहे पवलगढ़ क्षेत्र में सबसे लंबे टाइगर को मारा था. उन्होंने उसको मारने के बाद छोटी हल्द्वानी में म्यूजियम कंजू के पेड़ के आघे रखा था. जिसे उन्होंने बैचलर ऑफ पावलगढ़ नाम दिया. जिसको उन्होंने (1920–1930) में मारा था. यह असामान्य रूप से बड़ा नर बंगाल टाइगर था. जिसके बारे में कहा जाता है कि वह 10 फीट 7 इंच (3.23 मीटर) लंबा था. जिसकी पूरी जानकारी म्यूजियम में पढ़ने को मिलती है. वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल बताते हैं ब्रिटिश शिकारी जिम कॉर्बेट ने 1930 की सर्दियों में बैचलर ऑफ पवलगढ़ को गोली मारकर मार डाला था. बाद में अपनी 1944 की किताब मैन-ईटर्स ऑफ़ कुमाऊं में उन्होंने इसकी कहानी बताई.

JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY
कौन थे जिम कार्बेट (JIM CORBETT BIRTH ANNIVERSARY)

इस बारे में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वॉर्डन अमित ग्वासाकोटि कहते एडवर्ड जिम कॉर्बेट महान शिकारी थे. उन्होंने टाइगर को मारने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह इस इलाके के ग्रामीणों, मवेशियों को लगातार निवाला बना रहा था. ग्रामीणों के दबाव के बाद उन्होंने टाइगर को मारने का फैसला लिया. यह सबसे बड़ा बाघ था. इसे मारने के बाद एडवर्ड जिम कॉर्बेट को बड़ा दुख हुआ. इसके बाद उन्होंने हंटिंग छोड़ दी.

नैनीताल में जन्मे थे जिम कॉर्बेटः गौर हो कि एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था. नैनीताल में जन्मे होने के कारण जिम कॉर्बेट को नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों से बेहद लगाव था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में ही पूरी की. अपनी युवावस्था में जिम कॉर्बेट ने पश्चिम बंगाल में रेलवे में नौकरी कर ली, लेकिन नैनीताल का प्रेम उन्हें नैनीताल की हसीन वादियों में फिर खींच लाया.

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