रांची: झारखंड के कुर्मियों की लड़ाई बिहार पहुंच चुकी है. अलग-अलग कुर्मी संगठनों के नेताओं ने आज पटना में बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की है. सामाजिक संगठनों के नेताओं ने झारखंड में कुर्मी समाज को आदिवासी का दर्जा दिलाने में मदद की मांग की है. नीतीश कुमार को भरोसा दिलाया गया है कि अगर वह कुर्मी समाज के इस मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाते हैं तो झारखंड विधानसभा चुनाव में कुर्मी समाज जदयू का साथ देगा.
सीएम नीतीश ने कुर्मी समाज के लोगों की बातें सुनी
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सामाजिक संगठनों की बातों को ध्यान से सुना है. तमाम संगठनों की मुलाकात झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद खीरु महतो के नेतृत्व में हुई है. पटना में हुई बैठक में जदयू नेता सह शिक्षा मंत्री विजय चौधरी, मंत्री श्रवण कुमार समेत कई वरीष्ठ नेता भी मौजूद थे.
क्या कुर्मी समाज की मांग
दरअसल, झारखंड का कुर्मी समाज लंबे समय से खुद को एसटी का दर्जा देने की मांग करता रहा है. इनकी दलील है कि 1931 से पहले तक कुर्मी समाज को एसटी का दर्जा मिला हुआ था. लेकिन अंग्रेजी शासन ने साजिश रचकर एसटी की सूची से हटा दिया. उनका दावा है कि रहन-सहन, खान-पान, धार्मिक अनुष्ठान आदिवासियों से मिलते हैं. यह समाज भी मूल रूप से खेती पर आश्रित है और खुद को प्रकृति पूजक मानता है. सबसे खास बात है कि झारखंड में आदिवासियों के बाद सबसे ज्यादा (करीब 12 से 14) विधानसभा सीटों पर हार-जीत का फैसला कुर्मी समाज ही तय करता है. इसके अलावा करीब 10 सीटों पर इनकी भूमिका निर्णायक होती है. लिहाजा, कुर्मी संगठनों ने झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा दांव खेला है.
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