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झारखंड है अनसर्टेन स्टेट, चंपाई की सत्ता बेदखली से हो गया साबित, सियासत पर किस तरह का पड़ सकता है प्रभाव - Political situation of Jharkhand

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 3, 2024, 9:12 PM IST

Updated : Jul 3, 2024, 9:27 PM IST

Situation after Champai Soren resigned. सीएम चंपाई सोरेन ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है. अब एक बार फिर हेमंत सोरेन सीएम बनेंगे. इससे ये साबित हो गया है झारखंड की राजनीति में हमेशा उहापोह की स्थिति बनी रहती है. सवाल उठ रहे हैं कि इसका आने वाले चुनाव में क्या फायदे या नुकसान हो सकते हैं.

POLITICAL SITUATION OF JHARKHAND
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांची: हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि झारखंड एक अनसर्टेन स्टेट है. यहां कब क्या हो जाएगा, यह कोई नहीं जानता. 31 जनवरी को लैंड स्कैम मामले में गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन को सत्ता गंवानी पड़ी थी. उन्हें जेल जाना पड़ा था. उनकी जगह झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन राज्य के 12वें मुख्यमंत्री बने. उन्होंने 2 फरवरी 2024 को शपथ ली. लेकिन 28 जून को हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से नियमित जमानत मिलने के पांचवें दिन ही सत्ता का समीकरण बदल गया. अब हेमंत सोरेन तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के इस फैसले पर इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या इस फैसले से उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में फायदा होगा. लोग इस सवाल को भी जानना चाह रहे हैं की विकट स्थिति में पार्टी की कमान संभालने वाले चंपाई सोरेन का क्या होगा.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर कहना है कि बेशक प्रबुद्ध जनों के बीच हेमंत सोरेन के इस फैसले की चर्चा होगी. विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश जरूर करेगा लेकिन झामुमो को समझने वाले अच्छी तरह से जानते हैं कि पार्टी का वोट बैंक सिर्फ सोरेन परिवार और तीर कमान को पहचानता है. कायदे से चंपाई सोरेन को उसी दिन इस्तीफे की पेशकश खुलकर कर उसी दिन कर देनी चाहिए थी, जब हेमंत सोरेन को नियमित जमानत मिली थी. क्योंकि चंपाई सोरेन एक एक्सीडेंटल सीएम थे, उन्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए कि अब वह पूर्व सीएम को मिलने वाले सारे लाभ उठा पाएंगे.

रही बात उनको अचानक पद से हटाए जाने पर कोल्हान में पड़ने वाले प्रभाव की तो, यह समझना जरूरी है कि कोल्हान में चंपई सोरेन की कोई पकड़ नहीं है. वह खुद सरायकेला सीट पर मामूली वोट के अंतर से जीतते रहे हैं. सिर्फ 2019 के चुनाव में 15000 वोट के अंतर से जीते थे. आपको बता दें कि 2019 के चुनाव में कोल्हान प्रमंडल की 13 विधानसभा सीटों में से जमशेदपुर पश्चिम और जगन्नाथपुर सीट पर कांग्रेस की जीत हुई थी. जबकि जमशेदपुर पूर्वी सीट पर बतौर निर्दलीय सरयू राय जीते थे. शेष सभी सीटों पर झामुमो की जीत हुई थी. वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार ने बताया कि हेमंत सोरेन जरूर चंपई सोरेन को कहीं ना कहीं एडजस्ट करेंगे लेकिन सीएम पद पर रहने के बाद फिर से मंत्री बनना मुफीद नहीं दिखता. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को इस हद तक जाना पड़ा इसके पीछे कुछ और भी वजह जरुर रही होगी.

हेमंत सोरेन के बदलाव वाले फैसले की बात करें तो यह करना उनके लिए मजबूरी और जरूरत दोनों थी. क्योंकि राज्य विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. इस दौरान कई तरह के प्रबंधन करने पड़ते हैं. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनके साथ सहानुभूति जुड़ी है. उनके लिए इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करना जरूरी है.

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रांची: हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि झारखंड एक अनसर्टेन स्टेट है. यहां कब क्या हो जाएगा, यह कोई नहीं जानता. 31 जनवरी को लैंड स्कैम मामले में गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन को सत्ता गंवानी पड़ी थी. उन्हें जेल जाना पड़ा था. उनकी जगह झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन राज्य के 12वें मुख्यमंत्री बने. उन्होंने 2 फरवरी 2024 को शपथ ली. लेकिन 28 जून को हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से नियमित जमानत मिलने के पांचवें दिन ही सत्ता का समीकरण बदल गया. अब हेमंत सोरेन तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के इस फैसले पर इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या इस फैसले से उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में फायदा होगा. लोग इस सवाल को भी जानना चाह रहे हैं की विकट स्थिति में पार्टी की कमान संभालने वाले चंपाई सोरेन का क्या होगा.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर कहना है कि बेशक प्रबुद्ध जनों के बीच हेमंत सोरेन के इस फैसले की चर्चा होगी. विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश जरूर करेगा लेकिन झामुमो को समझने वाले अच्छी तरह से जानते हैं कि पार्टी का वोट बैंक सिर्फ सोरेन परिवार और तीर कमान को पहचानता है. कायदे से चंपाई सोरेन को उसी दिन इस्तीफे की पेशकश खुलकर कर उसी दिन कर देनी चाहिए थी, जब हेमंत सोरेन को नियमित जमानत मिली थी. क्योंकि चंपाई सोरेन एक एक्सीडेंटल सीएम थे, उन्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए कि अब वह पूर्व सीएम को मिलने वाले सारे लाभ उठा पाएंगे.

रही बात उनको अचानक पद से हटाए जाने पर कोल्हान में पड़ने वाले प्रभाव की तो, यह समझना जरूरी है कि कोल्हान में चंपई सोरेन की कोई पकड़ नहीं है. वह खुद सरायकेला सीट पर मामूली वोट के अंतर से जीतते रहे हैं. सिर्फ 2019 के चुनाव में 15000 वोट के अंतर से जीते थे. आपको बता दें कि 2019 के चुनाव में कोल्हान प्रमंडल की 13 विधानसभा सीटों में से जमशेदपुर पश्चिम और जगन्नाथपुर सीट पर कांग्रेस की जीत हुई थी. जबकि जमशेदपुर पूर्वी सीट पर बतौर निर्दलीय सरयू राय जीते थे. शेष सभी सीटों पर झामुमो की जीत हुई थी. वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार ने बताया कि हेमंत सोरेन जरूर चंपई सोरेन को कहीं ना कहीं एडजस्ट करेंगे लेकिन सीएम पद पर रहने के बाद फिर से मंत्री बनना मुफीद नहीं दिखता. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को इस हद तक जाना पड़ा इसके पीछे कुछ और भी वजह जरुर रही होगी.

हेमंत सोरेन के बदलाव वाले फैसले की बात करें तो यह करना उनके लिए मजबूरी और जरूरत दोनों थी. क्योंकि राज्य विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. इस दौरान कई तरह के प्रबंधन करने पड़ते हैं. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनके साथ सहानुभूति जुड़ी है. उनके लिए इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करना जरूरी है.

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Last Updated : Jul 3, 2024, 9:27 PM IST
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