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गढ़वा के एक थाना को सील करने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश, मुआवजा देने तक सील रहेगा थाना - HC Order to seal police station

Kandi police station. झारखंड हाईकोर्ट ने गढ़वा जिले के एक थाना को सील करने का आदेश दिया है. जिस जमीन पर थाना भवन है, उसका मुआवजा जमीन मालिक को जबतक नहीं मिल जाता तब तक थाना सील रखने का आदेश दिया गया है.

Etv BharatJHARKHAND HIGH COURT
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 29, 2024, 5:11 PM IST

रांची: मुआवजे के मसले पर झारखंड हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. गढ़वा के कांडी थाना भवन की जमीन के मुआवजा मामले पर हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने सुनवाई के बाद थाना भवन को सील करने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा है कि जब तक मुआवजे का भुगतान नहीं होता है, तब तक थाना भवन को सील रखा जाए.

दरअसल, गढ़वा का कांडी थाना भवन 5 डिसमिल जमीन पर बना है. जमीन को गैर मजरूआ कह कर थाना भवन बनाया गया था. लेकिन प्रार्थी अजय कुमार ने इस जमीन को निजी जमीन मानते हुए निचली अदालत में चुनौती दी थी. निचली अदालत ने इस जमीन को अजय कुमार सिंह की जमीन माना है. अजय कुमार सिंह ने इस जमीन पर टाइटल शूट दायर किया था. निचली अदालत ने अजय कुमार सिंह के पक्ष में फैसला दिया था. उसके बाद उन्होंने उस जमीन पर मुआवजे की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट में अपना फैसला सुनाया है.

प्रार्थी अजय कुमार सिंह ने फोन पर ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान अपने संघर्ष की कहानी बताई. उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तैनी जमीन पर सबसे पहले पंचायत भवन बनाया गया था उसके बाद उसी प्लॉट के दूसरे हिस्से पर थाना बना दिया गया. इस लड़ाई की शुरुआत सन 1998 में हुई थी. अब जाकर हाई कोर्ट से इंसाफ मिला है. अजय कुमार सिंह ने बताया कि इस केस से साबित हो गया है कि सच की हमेशा जीत होती है.

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दरअसल, गढ़वा का कांडी थाना भवन 5 डिसमिल जमीन पर बना है. जमीन को गैर मजरूआ कह कर थाना भवन बनाया गया था. लेकिन प्रार्थी अजय कुमार ने इस जमीन को निजी जमीन मानते हुए निचली अदालत में चुनौती दी थी. निचली अदालत ने इस जमीन को अजय कुमार सिंह की जमीन माना है. अजय कुमार सिंह ने इस जमीन पर टाइटल शूट दायर किया था. निचली अदालत ने अजय कुमार सिंह के पक्ष में फैसला दिया था. उसके बाद उन्होंने उस जमीन पर मुआवजे की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट में अपना फैसला सुनाया है.

प्रार्थी अजय कुमार सिंह ने फोन पर ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान अपने संघर्ष की कहानी बताई. उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तैनी जमीन पर सबसे पहले पंचायत भवन बनाया गया था उसके बाद उसी प्लॉट के दूसरे हिस्से पर थाना बना दिया गया. इस लड़ाई की शुरुआत सन 1998 में हुई थी. अब जाकर हाई कोर्ट से इंसाफ मिला है. अजय कुमार सिंह ने बताया कि इस केस से साबित हो गया है कि सच की हमेशा जीत होती है.

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