रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के खाली पद को भरा गया है. ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस बिद्युत रंजन षाडंगी को नया चीफ जस्टिस बनाया गया है. राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की अनुशंसा पर इसकी मंजूरी दी है. फिलहाल वे ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस हैंं. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया एक्स पर यह जानकारी दी है. उन्होंने अंग्रेजी में पोस्ट डालकर लिखा कि भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, भारत के राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, निम्नलिखित आदेश देते हैं.
ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस बिद्युत रंजन षाडंगी का कानून की प्रैक्टिस और न्यायाधीश के रूप में 27 वर्षों का लंबा अनुभव है. उन्हें 20 जून 2013 को ओडिशा हाई कोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया था. इसके पहले वे ओडिशा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस कर चुके हैं. बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे संजय कुमार मिश्र करीब सात माह पहले सेवानिवृत्त हुए थे. इसके बाद 29 दिसंबर 2023 को जस्टिस एस. चंद्रशेखर को झारखंड हाई कोर्ट का एक्टिंग चीफ जस्टिस बनाया गया. अब उनका तबादला राजस्थान हाई कोर्ट कर दिया गया है.
In exercise of the power conferred by the Constitution of India, the President of India, after consultation with Chief Justice of India, is pleased to order the following: - pic.twitter.com/dunWa0Gesh
— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) July 3, 2024
20 फरवरी 2023 को जस्टिस संजय कुमार मिश्र झारखंड हाई कोर्ट के 14वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं. सोमवार को राजभवन के बिरसा मंडप में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने संजय कुमार मिश्र को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस मिश्र का कार्यकाल 10 महीने का ही बचा हुआ है और वे दिसंबर 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
जानें, कौन हैं बिद्युत रंजन षाडंगी
न्यायमूर्ति बिद्युत रंजन षाडंगी का जन्म 20 जुलाई, 1962 को नयागढ़ जिला के ओडागांव क्षेत्र के पंटिखारिसासन गांव में बंछानिधि सारंगी और सैलाबाला सारंगी के घर हुआ था. स्कूली शिक्षा पूरा करने के बाद बिद्युत रंजन षाडंगी ने भुवनेश्वर के बीजेबी कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने कटक के एमएस लॉ कॉलेज से एलएलबी और एलएलएम किया और संबलपुर विश्वविद्यालय से कानून में पीएचडी की. कानून की शिक्षा पूरा करने के बाद दिसंबर 1985 में उड़ीसा उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में एक वकील के रूप में प्रैक्टिस करना शुरू किया. इसके अलावा वे उड़ीसा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन, क्रिमिनल कोर्ट बार एसोसिएशन और सेंट्रल ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के आजीवन सदस्य भी रहे.
जस्टिस बिद्युत रंजन षाडंगी को 27 वर्षों तक उड़ीसा उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में मामलों को संभालने के बाद 20 जून, 2013 को उड़ीसा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और शपथ दिलाई गई। तब से, वे उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम कर रहे हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों को संभाला है और उड़ीसा उच्च न्यायालय में हाइब्रिड मोड में मामलों को संभालने और आम लोगों को न्याय दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाई है. उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने 11 साल के करियर में, उन्होंने 1500 रिपोर्टिंग निर्णयों सहित 1 लाख 52 हजार मामलों में अपना अंतिम फैसला सुनाया है. उन्हें ओडिशा के पूर्व वरिष्ठ अधिवक्ता-सह-महाधिवक्ता, आदरणीय स्वर्गीय गंगाधर रथ के चैंबर में अपनी वकालत करने का अवसर मिला. वे सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, शिक्षा, रोजगार, राजस्व, कराधान, खनन, बिजली, बीमा जैसे विभिन्न मामलों को संभालने में कुशल हैं.
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