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झारखंड का तृतीय अनुपरक बजट पारित, वित्त मंत्री बोले- बेहतर है राज्य का वित्तीय प्रबंधन, कल पेश होगा वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट - Jharkhand subsidiary budget

Detailed report on Jharkhand subsidiary budget. झारखंड सरकार ने 4,981.03 करोड़ का तृतीय अनुपूरक बजट पेश किया जो सदन से पारित हो गया. वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य सरकार जिस तरह से कार्य कर रही है, उससे एक बात साफ है कि राज्य का वित्तीय प्रबंधन सही है.

SUBSIDIARY BUDGET 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 26, 2024, 5:50 PM IST

रांची: बजट सत्र के दूसरे दिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा की अनुपस्थिति में 4,981.03 करोड़ का तृतीय अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि बार-बार कहा जा रहा है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की बजट राशि उम्मीद के मुताबिक खर्च नहीं हुई है लेकिन यह सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी 2024 तक बजट राशि में से 75 हजार 684 करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं.

इस माह अतिरिक्त 25 हजार करोड़ रु. खर्च हो जाएंगे, यह बताता है कि झारखंड का वित्तीय प्रबंधन बेहतर है. उन्होंने कहा कि 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनी. इसके बाद पहली बार वित्तीय प्रबंधन पर विशेष फोकस किया गया. बजट का आकार इसका पहला पैमाना है. राजस्व बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस बारे में वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट भाषण के दौरान प्रकाश डालूंगा. वित्त मंत्री ने कहा कि खर्च भी बढ़ा है. बजट आउट कम पर विशेष ध्यान दिया गया है. कल्याणकारी योजनाओं पर सरकार ने विशेष ध्यान दिया है. साथ ही कैपिटल एक्सपेंडिचर भी बढ़ा है.

वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पूर्व में बचत बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जाता था. लेकिन गठबंधन की सरकार ने इसपर ध्यान दिया. इसी का नतीजा है कि आरबीआई में राज्य सरकार का 1600 करोड़ रु जमा है. जरुरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि वित्तीय नियम के तहत जीएसडीपी से 3 प्रतिशत से ज्यादा खर्च नहीं किया जा सकता. हमने इस मद में महज 1 प्रतिशत खर्च किया है. उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने 11 से 12 प्रतिशत तक ब्याज पर कर्ज लिया था. लेकिन हमने बैंकों को प्री-रिपेमेंट के आधार पर लोन लिया. हम सूद का बोझ खत्म करना चाहते हैं.

वित्त मंत्री ने माना कि पूर्व में हुई गलतियों की वजह से करीब 10 हजार करोड़ का हिसाब नहीं मिल पा रहा है. उसपर सरकार का ध्यान है. इसी वजह से वर्तमान सरकार ने खर्च का ऑडिट कराना शुरु किया है ताकि यह पता चल सके कि वाकई प्लान पर खर्च हो रहा है या नहीं. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने काफी फिजूलखर्ची की थी लेकिन वर्तमान सरकार इसको चेक एंड बैलेंस कर रही है.

वित्त मंत्री ने यह भी समझाया कि अक्सर विधायक इस सवाल को उठाते हैं कि जब बजट की राशि पड़ी हुई है तो फिर अनुपूरक लाने की क्या जरुरत हैं. जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा करना जरुरी होता है. क्योंकि सरकार बिना सदन की सहमति के राशि खर्च नहीं कर सकती. आम बजट के बाद केंद्र सरकार की नई योजनाओं के लिए राज्यांश की जरुरत पड़ती है. उसी तरह अगर राज्य सरकार कोई नई योजना शुरु करती है तो उसके लिए राशि की जरुरत पड़ती है. इसकी भरपाई अनुपूरक बजट के जरिए होती है.

अनुपूरक बजट में कटौती प्रस्ताव लाकर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि संथाल में मानव तस्करी चरम पर है. बांगलादेशी घुसपैठ बढ़ा है. जब सरकार बनी तब कहा गया कि राज्य का खजाना खाली है. फिर कोरोना का रोना रोया गया. पांच लाख नौकरी देने का वादा अधूरा है. स्थानीय नीति के नाम पर लोगों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है. उनका संबोधन खत्म होते ही भाजपा विधायकों ने सदन से वॉक आउट कर दिया. इसके बाद झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, कांग्रेस विधायक उमा शंकर अकेला, आजसू विधायक लंबोदर महतो और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने अपनी-अपनी बातें रखी. सरयू राय ने कहा कि वित्त विभाग को हिसाब रखना चाहिए कि जो पैसे खर्च हो रहे हैं, उनका सदुपयोग हो रहा है या नहीं.

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रांची: बजट सत्र के दूसरे दिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा की अनुपस्थिति में 4,981.03 करोड़ का तृतीय अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि बार-बार कहा जा रहा है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की बजट राशि उम्मीद के मुताबिक खर्च नहीं हुई है लेकिन यह सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी 2024 तक बजट राशि में से 75 हजार 684 करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं.

इस माह अतिरिक्त 25 हजार करोड़ रु. खर्च हो जाएंगे, यह बताता है कि झारखंड का वित्तीय प्रबंधन बेहतर है. उन्होंने कहा कि 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनी. इसके बाद पहली बार वित्तीय प्रबंधन पर विशेष फोकस किया गया. बजट का आकार इसका पहला पैमाना है. राजस्व बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस बारे में वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट भाषण के दौरान प्रकाश डालूंगा. वित्त मंत्री ने कहा कि खर्च भी बढ़ा है. बजट आउट कम पर विशेष ध्यान दिया गया है. कल्याणकारी योजनाओं पर सरकार ने विशेष ध्यान दिया है. साथ ही कैपिटल एक्सपेंडिचर भी बढ़ा है.

वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पूर्व में बचत बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जाता था. लेकिन गठबंधन की सरकार ने इसपर ध्यान दिया. इसी का नतीजा है कि आरबीआई में राज्य सरकार का 1600 करोड़ रु जमा है. जरुरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि वित्तीय नियम के तहत जीएसडीपी से 3 प्रतिशत से ज्यादा खर्च नहीं किया जा सकता. हमने इस मद में महज 1 प्रतिशत खर्च किया है. उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने 11 से 12 प्रतिशत तक ब्याज पर कर्ज लिया था. लेकिन हमने बैंकों को प्री-रिपेमेंट के आधार पर लोन लिया. हम सूद का बोझ खत्म करना चाहते हैं.

वित्त मंत्री ने माना कि पूर्व में हुई गलतियों की वजह से करीब 10 हजार करोड़ का हिसाब नहीं मिल पा रहा है. उसपर सरकार का ध्यान है. इसी वजह से वर्तमान सरकार ने खर्च का ऑडिट कराना शुरु किया है ताकि यह पता चल सके कि वाकई प्लान पर खर्च हो रहा है या नहीं. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने काफी फिजूलखर्ची की थी लेकिन वर्तमान सरकार इसको चेक एंड बैलेंस कर रही है.

वित्त मंत्री ने यह भी समझाया कि अक्सर विधायक इस सवाल को उठाते हैं कि जब बजट की राशि पड़ी हुई है तो फिर अनुपूरक लाने की क्या जरुरत हैं. जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा करना जरुरी होता है. क्योंकि सरकार बिना सदन की सहमति के राशि खर्च नहीं कर सकती. आम बजट के बाद केंद्र सरकार की नई योजनाओं के लिए राज्यांश की जरुरत पड़ती है. उसी तरह अगर राज्य सरकार कोई नई योजना शुरु करती है तो उसके लिए राशि की जरुरत पड़ती है. इसकी भरपाई अनुपूरक बजट के जरिए होती है.

अनुपूरक बजट में कटौती प्रस्ताव लाकर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि संथाल में मानव तस्करी चरम पर है. बांगलादेशी घुसपैठ बढ़ा है. जब सरकार बनी तब कहा गया कि राज्य का खजाना खाली है. फिर कोरोना का रोना रोया गया. पांच लाख नौकरी देने का वादा अधूरा है. स्थानीय नीति के नाम पर लोगों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है. उनका संबोधन खत्म होते ही भाजपा विधायकों ने सदन से वॉक आउट कर दिया. इसके बाद झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, कांग्रेस विधायक उमा शंकर अकेला, आजसू विधायक लंबोदर महतो और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने अपनी-अपनी बातें रखी. सरयू राय ने कहा कि वित्त विभाग को हिसाब रखना चाहिए कि जो पैसे खर्च हो रहे हैं, उनका सदुपयोग हो रहा है या नहीं.

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