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गिग वर्कर्स के लिए झारखंड सरकार ला रही है कानून, सामाजिक सुरक्षा के साथ न्यूनतम मजदूरी भी मिलेगीः श्रम मंत्री - Law For Gig Workers

Jharkhand gig workers.काम के आधार पर पारिश्रमिक पानेवाले झारखंड के वर्कर्स के लिए खुशखबरी है. राज्य सरकार जल्द उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए और उनके लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने वाली है. इसे लेकर रांची में एक कॉन्क्लेव का आयोजन किया.

Law For Gig Workers
कार्यक्रम में मौजूद झारखंड के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 19, 2024, 10:35 PM IST

रांची:झारखंड सरकार काम के आधार पर पारिश्रमिक पानेवाले श्रमिकों यानी गिग वर्कर्स के लिए कानून बनाने जा रही है. इसके तहत न केवल उन्हें न्यूनतम मजदूरी मिलेगी, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी लाभ मिलेगा.

जानकारी देते झारखंड के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता. (वीडियो-ईटीवी भारत)

झारखंड गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए तैयार किया जा रहा विधेयक

झारखंड गिग वर्कर्स (पंजीकरण एवं कल्याण) विधेयक,2024 के नाम से तैयार हो रहे इस बिल को लेकर शुक्रवार 19 जुलाई को कार्यक्रम आयोजित की गई. श्रम विभाग द्वारा राजधानी के एक होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में गिग वर्कर्स के अलावे झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स और सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे.

गिग वर्कर्स के प्रति राज्य सरकार गंभीरः श्रम मंत्री

राज्य सरकार के श्रम विभाग और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि मजदूरों के प्रति सरकार हमेशा से गंभीर रही है.ऐसे में जिन्हें काम के आधार पर पारिश्रमिक मिलती है, उनपर भी हमारी नजर है. क्योंकि समय के साथ काम करने के तौर-तरीके बदल रहे हैं.ऐसे लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा कैसे मिले और न्यूनतम मजदूरी का लाभ उन्हें कैसे मिले इसके लिए सरकार गंभीर है.

सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाए जाएंगे गिग वर्कर्सः श्रम सचिव

वहीं इस मौके पर विभागीय सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि श्रम विभाग गिग वर्कर्स के प्रति गंभीर है और जल्द ही उन्हें एक्ट के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम मजदूरी जैसे लाभ से आच्छादित करने का काम किया जाएगा.

झारखंड में बड़ी संख्या में हैं गिग वर्कर्स

रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में गिग वर्कर्स हैं जिन्हें काम के आधार पर पारिश्रमिक मिलता है.समय के साथ बदल रहे काम के तौर-तरीके की वजह से काम के घंटे के साथ-साथ मजदूरी का भी निर्धारण सरकारी प्रावधान के तहत नहीं हो पाता है.श्रम विभाग का मानना है कि टैक्सी ड्राइवर हो या फूड डिलीवरी करनेवाले श्रमिक इनके लिए नीति निर्धारण करना आवश्यक है.

विभागीय आकलन के मुताबिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स सप्ताह में औसतन 27 घंटे तक काम करते हैं. वहीं टैक्सी और डिलीवरी प्लेटफॉर्म वर्कर्स क्रमश: 65 और 59 घंटे सप्ताह में काम करते हैं. विभागीय आकलन के मुताबिक देशभर में 2020 तक 7.7 मिलियन गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स हैं, जो 2029-30 तक 23.5 मिलियन होने की संभावना है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की कंट्री डायरेक्टर ने झारखंड सरकार की पहल की सराहना की

वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की कंट्री डायरेक्टर एम. मियामोटो ने झारखंड सरकार की इस पहल की सराहना की और मजदूरों के लिए किए जा रहे इस पहल में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया.

मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत मंत्री ने निर्गत की राशि

कार्यक्रम के दौरान श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत लाभुकों के बीच बटन दबाकर ऑनलाइन राशि निर्गत की. वहीं विभागीय रोजगार मेला के तहत चयनित युवाओं को ऑफर लेटर दिया गया. इस मौके पर गिग वर्कर्स को विभाग द्वारा रेनकोट और चादर भेंटकर सम्मानित किया गया. वहीं कॉन्क्लेव में जानेमाने अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल सहित कई विशेषज्ञों ने अपनी बातें रखी.

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जानकारी देते झारखंड के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता. (वीडियो-ईटीवी भारत)

झारखंड गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए तैयार किया जा रहा विधेयक

झारखंड गिग वर्कर्स (पंजीकरण एवं कल्याण) विधेयक,2024 के नाम से तैयार हो रहे इस बिल को लेकर शुक्रवार 19 जुलाई को कार्यक्रम आयोजित की गई. श्रम विभाग द्वारा राजधानी के एक होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में गिग वर्कर्स के अलावे झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स और सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे.

गिग वर्कर्स के प्रति राज्य सरकार गंभीरः श्रम मंत्री

राज्य सरकार के श्रम विभाग और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि मजदूरों के प्रति सरकार हमेशा से गंभीर रही है.ऐसे में जिन्हें काम के आधार पर पारिश्रमिक मिलती है, उनपर भी हमारी नजर है. क्योंकि समय के साथ काम करने के तौर-तरीके बदल रहे हैं.ऐसे लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा कैसे मिले और न्यूनतम मजदूरी का लाभ उन्हें कैसे मिले इसके लिए सरकार गंभीर है.

सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाए जाएंगे गिग वर्कर्सः श्रम सचिव

वहीं इस मौके पर विभागीय सचिव मुकेश कुमार ने कहा कि श्रम विभाग गिग वर्कर्स के प्रति गंभीर है और जल्द ही उन्हें एक्ट के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम मजदूरी जैसे लाभ से आच्छादित करने का काम किया जाएगा.

झारखंड में बड़ी संख्या में हैं गिग वर्कर्स

रांची सहित राज्य के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में गिग वर्कर्स हैं जिन्हें काम के आधार पर पारिश्रमिक मिलता है.समय के साथ बदल रहे काम के तौर-तरीके की वजह से काम के घंटे के साथ-साथ मजदूरी का भी निर्धारण सरकारी प्रावधान के तहत नहीं हो पाता है.श्रम विभाग का मानना है कि टैक्सी ड्राइवर हो या फूड डिलीवरी करनेवाले श्रमिक इनके लिए नीति निर्धारण करना आवश्यक है.

विभागीय आकलन के मुताबिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वर्कर्स सप्ताह में औसतन 27 घंटे तक काम करते हैं. वहीं टैक्सी और डिलीवरी प्लेटफॉर्म वर्कर्स क्रमश: 65 और 59 घंटे सप्ताह में काम करते हैं. विभागीय आकलन के मुताबिक देशभर में 2020 तक 7.7 मिलियन गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स हैं, जो 2029-30 तक 23.5 मिलियन होने की संभावना है.

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की कंट्री डायरेक्टर ने झारखंड सरकार की पहल की सराहना की

वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की कंट्री डायरेक्टर एम. मियामोटो ने झारखंड सरकार की इस पहल की सराहना की और मजदूरों के लिए किए जा रहे इस पहल में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया.

मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत मंत्री ने निर्गत की राशि

कार्यक्रम के दौरान श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत लाभुकों के बीच बटन दबाकर ऑनलाइन राशि निर्गत की. वहीं विभागीय रोजगार मेला के तहत चयनित युवाओं को ऑफर लेटर दिया गया. इस मौके पर गिग वर्कर्स को विभाग द्वारा रेनकोट और चादर भेंटकर सम्मानित किया गया. वहीं कॉन्क्लेव में जानेमाने अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल सहित कई विशेषज्ञों ने अपनी बातें रखी.

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