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Jharkhand Assembly Election 2024: झामुमो के गढ़ संथाल को ऐसे ध्वस्त करेगी बीजेपी, मोदी-शाह ने बनाया स्पेशल प्लान - JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION 2024

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में झामुमो के गढ़ संथाल में भी वोटिंग होनी है. जानिए इसके लिए बीजेपी की क्या प्लानिंग है.

JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 15, 2024, 6:23 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में जीत के लिए बीजेपी हर कोशिश कर रही है. बीजेपी उन जगहों पर विशेष फोकस कर रही है जहां पर 2019 के चुनाव में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था. उन्हीं में से एक संथाल का प्रमंडल, इसमें कुल 18 विधानसभा सीट है. यहां दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होना है.

2019 के विधानसभा चुनाव में संथाल प्रमंडल के 18 सीटों में बीजेपी सिर्फ 4 सीट ही जीतने में कामयाब रही थी. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ये नंबर बढ़ाना चाहती है. यही वजह है कि इस इलाके में उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस इलाके में पीएम मोदी, योगी आदित्यनाथ, हिमंता बिस्वा सरमा और मिथुन चक्रवर्ती, हेमा मालिनी जैसे स्टार कैंपेनर अपनी सभा की और लोगों को लुभाने की कोशिश की. ये प्रमंडल इसलिए भी खास है क्योंकि यहां से वर्तमान झारखंड सरकार के सीएम और कई मंत्री चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं.

झामुमो का गढ़ कहा जाता है संथाल

संथाल को झामुमो का गढ़ माना जाता है. यहां 18 में से 8 सीटें रिजर्व कैटेगरी में आती हैं. इसमें 7 सीट अनुसूचित जनजाति और 1 सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. दुमका, जामा, शिकारीपाड़ा, महेशपुर, बोरियो, बरहेट और लिट्टीपाड़ा एससी सीटें हैं जबकि देवघर एससी सीट है. जबकि यहां 10 सामान्य सीटें हैं.

घुसपैठ के मुद्दे को उठाकर आदिवासियों को साध रही बीजेपी

आदिवासियों में झामुमो की अच्छी पकड़ होने के कारण इस इलाके में बढ़त मिलती रही है. बीजेपी झामुमो की इस गढ़ को ढहाना चाहती है. जिसके लिए बीजेपी लगातार बांग्लादेशी घुसपैठ और रोटी बेटी माटी का मुद्दा उठा रही है. बीजेपी वोटरों तक ये मैसेज देना चाहती है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह के आदिवासी अस्मिता को खतरा हो रहा है. बीजेपी का कहना है कि संथाल इलाके में ही सबसे ज्यादा घुसपैठ हो रही है. प्रधानमंत्री भी अपने भाषणों में ये कह चुके हैं कि घुसपैठिए आदिवासी लड़कियों को फुसलाकर उनसे शादी कर लेते हैं और फिर उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं.

2019 नें संथाल में 4 सीट जीत पाई थी बीजेपी

एनडीए की बात करें तो संथाल में बीजेपी गठबंधन ने 2009 में जहां सिर्फ 2 सीटें जीती थीं. वहीं, 2014 में इन्होंने 7 सीटों पर जीत हासिल की. हालांकि 2019 में यहां इन्होंने यहां सिर्फ 4 सीटें ही मिली. एक बार फिर से बीजेपी चाहती है कि संथाल में उन्हें अधिक से अधिक सीटें मिले ताकी सत्ता की चाबी उनके हाथ लग सके. संथाल में जीत के लिए बीजेपी ने अपने मजबूत प्रत्याशियों को उतारा है. सीता सोरेन जो पहले झामुमो में थी वे जामताड़ा से इरफान अंसारी को चुनौती दे रही हैं. वहीं, दुमका से पूर्व सांसद सुनील सोरेन हैं जो हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को चुनौती दे रहे हैं.

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रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में जीत के लिए बीजेपी हर कोशिश कर रही है. बीजेपी उन जगहों पर विशेष फोकस कर रही है जहां पर 2019 के चुनाव में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था. उन्हीं में से एक संथाल का प्रमंडल, इसमें कुल 18 विधानसभा सीट है. यहां दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होना है.

2019 के विधानसभा चुनाव में संथाल प्रमंडल के 18 सीटों में बीजेपी सिर्फ 4 सीट ही जीतने में कामयाब रही थी. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ये नंबर बढ़ाना चाहती है. यही वजह है कि इस इलाके में उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस इलाके में पीएम मोदी, योगी आदित्यनाथ, हिमंता बिस्वा सरमा और मिथुन चक्रवर्ती, हेमा मालिनी जैसे स्टार कैंपेनर अपनी सभा की और लोगों को लुभाने की कोशिश की. ये प्रमंडल इसलिए भी खास है क्योंकि यहां से वर्तमान झारखंड सरकार के सीएम और कई मंत्री चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं.

झामुमो का गढ़ कहा जाता है संथाल

संथाल को झामुमो का गढ़ माना जाता है. यहां 18 में से 8 सीटें रिजर्व कैटेगरी में आती हैं. इसमें 7 सीट अनुसूचित जनजाति और 1 सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है. दुमका, जामा, शिकारीपाड़ा, महेशपुर, बोरियो, बरहेट और लिट्टीपाड़ा एससी सीटें हैं जबकि देवघर एससी सीट है. जबकि यहां 10 सामान्य सीटें हैं.

घुसपैठ के मुद्दे को उठाकर आदिवासियों को साध रही बीजेपी

आदिवासियों में झामुमो की अच्छी पकड़ होने के कारण इस इलाके में बढ़त मिलती रही है. बीजेपी झामुमो की इस गढ़ को ढहाना चाहती है. जिसके लिए बीजेपी लगातार बांग्लादेशी घुसपैठ और रोटी बेटी माटी का मुद्दा उठा रही है. बीजेपी वोटरों तक ये मैसेज देना चाहती है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह के आदिवासी अस्मिता को खतरा हो रहा है. बीजेपी का कहना है कि संथाल इलाके में ही सबसे ज्यादा घुसपैठ हो रही है. प्रधानमंत्री भी अपने भाषणों में ये कह चुके हैं कि घुसपैठिए आदिवासी लड़कियों को फुसलाकर उनसे शादी कर लेते हैं और फिर उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं.

2019 नें संथाल में 4 सीट जीत पाई थी बीजेपी

एनडीए की बात करें तो संथाल में बीजेपी गठबंधन ने 2009 में जहां सिर्फ 2 सीटें जीती थीं. वहीं, 2014 में इन्होंने 7 सीटों पर जीत हासिल की. हालांकि 2019 में यहां इन्होंने यहां सिर्फ 4 सीटें ही मिली. एक बार फिर से बीजेपी चाहती है कि संथाल में उन्हें अधिक से अधिक सीटें मिले ताकी सत्ता की चाबी उनके हाथ लग सके. संथाल में जीत के लिए बीजेपी ने अपने मजबूत प्रत्याशियों को उतारा है. सीता सोरेन जो पहले झामुमो में थी वे जामताड़ा से इरफान अंसारी को चुनौती दे रही हैं. वहीं, दुमका से पूर्व सांसद सुनील सोरेन हैं जो हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को चुनौती दे रहे हैं.

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