देवघर: झारखंड में विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है. ऐसे में राजनीतिक दलों के द्वारा हर विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए नेताओं का दौरा शुरू हो चुका है. किस विधानसभा सीट पर कौन प्रत्याशी होगा इसको तय करने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. खासकर वैसे विधानसभा सीटों पर अभी से ही राजनीतिक दल अपनी नजर बना रहे हैं जहां जीत का फासला काफी कम देखा गया है. ऐसे ही सीट में शुमार है झारखंड का जरमुंडी विधानसभा सीट. राज्य गठन के बाद जरमुंडी विधानसभा सीट एक ऐसा सीट है जहां जीत का फासला दस हजार वोट से भी कम होता है.
2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के बादल पत्रलेख बीजेपी के देवेंद्र कुमार से महज 3100 वोट से जीते थे, जबकि 2015 में जेएमएम के हरी नारायण राय से उनकी जीत करीब 2800 वोट से हुई थी. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि जरमुंडी विधानसभा में इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन दोनों ही मजबूत स्थिति में है और इस बार जीत के लिए दोनों गठबंधन जी जान से मेहनत कर रहा है. विगत शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और झारखंड विधानसभा के चुनाव प्रभारी हेमंता बिस्वा सरमा ने जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के सोनारायठाड़ी स्थित पूर्व मंत्री हरिनारायण राय से उनके आवास पर मुलाकात की. जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में जोरों से है.
जरमुंडी विधानसभा सीट का इतिहास
2019 में जरमुंडी विधानसभा चुनाव परिणाम | ||
प्रत्याशी के नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
बादल पत्रलेख | कांग्रेस | 52,507 |
देवेन्द्र कुंवर | बीजेपी | 49,408 |
फुलकुमारी देवी | निर्दलीय | 17,313 |
संजय कुमार | जेवीएम | 9,242 |
2014 में विधानसभा चुनाव परिणाम | ||
प्रत्याशी के नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
बादल पत्रलेख | कांग्रेस | 43,981 |
हरि नारायण राय | जेएमएम | 41273 |
अभय कांत प्रसाद | भाजपा | 29,965 |
देवेन्द्र कुंवर | जेवीएम | 14,189 |
2009 विधानसभा चुनाव परिणाम | ||
प्रत्याशी के नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
हरि नारायण राय | निर्दलीय | 33,512 |
देवेन्द्र कुंवर | जेएमएम | 23,025 |
बादल पत्रलेख | कांग्रेस | 17,955 |
वरुण कुमार | बीजेपी | 11,197 |
2005 विधानसभा चुनाव में | ||
प्रत्याशी के नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
हरि नारायण राय | निर्दलीय | 28,480 |
देवेन्द्र कुंवर | बीजेपी | 22,171 |
चक्रधर यादव | राजद | 8884 |
मणिशंकर | कांग्रेस | 7,524 |
2000 विधानसभा चुनाव में | ||
प्रत्याशी के नाम | पार्टी | प्राप्त मत |
देवेन्द्र कुंवर | बीजेपी | 24,082 |
हरिनारायण राय | बीएसपी | 19,019 |
हरि नारायण राय जरमुंडी विधानसभा से दो बार निर्दलीय विधायक रह चुके हैं और राज्य में मंत्री भी रह चुके हैं. मंत्री रहने के दौरान उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगाए गए. उन्हें सात साल की सजा भी सुनाई गई. सजा मिलने के कारण वर्ष 2019 का चुनाव वह लड़ भी नहीं पाए थे. लेकिन इस बार उम्मीद है कि वह एनडीए गठबंधन की तरफ से भाजपा के उम्मीदवार बनेंगे.
जरमुंडी विधानसभा सीट से देवेंद्र कुवर दो बार चुनाव जीते हैं हालांकि उन्होंने दोनों बार अलग-अलग पार्टी से जीते 1995 में उन्होंने झामुमो से तो 2000 तो बीजेपी की टिकट पर वे जीतकर विधानसभा पहुंचे. वहीं हरिनारायण राय 2005 और 2009 में एक के बाद एक लगातार बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत दर्ज की. इसके बाद बादल पत्रलेख पिछले दो बार 2014 और 2019 से लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं. हेमंत सरकार में उन्हें कृषि मंत्री संभालने का भी मौका मिला. एक बार फिर उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस की टिकट पर जरमुंडी विधानसभा सीट से जीत दर्ज करेंगे. उनके कार्यकर्ताओं के कहना है कि बादल पत्रलेख ने इलाके में काफी काम किया है और यहां के मतदाता उन्हें फिर से जिताएंगे.
इधर, 20 सितंबर को असम के मुख्यमंत्री और हरी नारायण राय की मुलाकात हुई. यह मुलाकात कई मायनों में खास मानी जा रही है. हरि नारायण राय से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने जिस तरह से बयान दिया है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि आगामी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से हरि नारायण राय उम्मीदवार हो सकते हैं. हालांकि भाजपा की तरफ से जरमुंडी कई दावेदार हैं. इसमें पूर्व राज्यसभा सांसद अभय कांत प्रसाद, आरएसएस और पार्टी से लंबे समय से जुड़े सीताराम पाठक, बीजेपी के प्रदेश सचिव रविकांत, जिला अध्यक्ष गौरव कांत. हालांकि अभी किसी का नाम फाइनल नहीं हुआ है. लेकिन एक बात तय है कि इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस की कांटी की टक्कर जरुर होगी.
जरमुंडी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी पिछले दस वर्षों से महज कुछ वोटों से हार रही है, लेकिन इस बार के विधानसभा को जीतने के लिए एनडीए गठबंधन सारी ताकत झोंकते नजर आ रहा है. वहीं कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की तरफ से बादल पत्रलेख लगातार कुछ वोटों से दो बार से जीत रहे हैं.
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