रांची: झारखंड में जदयू अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. हालत यह है कि पार्टी के पास ना तो अपना चुनाव चिन्ह है और ना ही संगठनात्मक मजबूती. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. एनडीए फोल्डर में रहकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे झारखंड जदयू ने विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर प्रदेश कार्यसमिति की आवश्यक बैठक बुलाई है.
जदयू प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद खीरु महतो के अनुसार यह बैठक सामान्य से अलग होगी जिसमें पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा, प्रदेश प्रभारी अशोक चौधरी, श्रवण कुमार जैसे नेताओं की मौजूदगी में विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनेगी. आगामी 9 सितंबर रविवार को पुराना विधानसभा सभागार में यह बैठक बुलाई गई है जिसमें प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो के अलावे हाल ही में पार्टी में शामिल होने वाले विधायक सरयू राय सहित कई नेता मौजूद रहेंगे.
जनाधार बनाना बड़ी चुनौती, झारखंड में लगातार जनता के बीच से दूर हो रहा है जदयू
झारखंड में जदयू के लिए जनाधार बनाना बड़ी चुनौती है. लगातार जनता के बीच से दूर होने के पीछे की वजह पार्टी को ढूंढना होगा. हालत यह है कि 2019 में पारंपरिक चुनाव चिन्ह से झारखंड में पार्टी को हाथ धोना पड़ा जिस वजह से पार्टी का चुनाव चिन्ह बिहार में अलग और झारखंड में अलग है. यह फैसला 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 16 अगस्त को चुनाव आयोग का आया था.
इससे पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जदयू का प्रदर्शन झारखंड में काफी कमजोर रहा है. 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने कई सीट पर उम्मीदवार उतारे, मगर एक पर भी सफलता नहीं मिली और वोट का प्रतिशत घटकर 3.8 से 0.7 पर पहुंच गया. 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मात्र चार प्रतिशत ही वोट मिला.
हालांकि यह चुनाव पार्टी के लिए स्वर्णिम रहा और इसमें बाघमारा, डाल्टनगंज, छतरपुर, देवघर, मांडू और तमाड़ सीट पर जीत मिली थी. मगर 2009 के विधानसभा चुनाव में पार्टी सिमटकर दो पर आ गई. इस चुनाव में पार्टी को पिछले चुनाव की तुलना में वोट प्रतिशत में कमी आई और महज 2.8% से ही संतोष करना पड़ा. सबसे बुरा परिणाम 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में दिखा जिसमें एक बार फिर जदयू चुनाव मैदान में उतरी. पार्टी द्वारा 11 सीटों पर चुनाव लड़ा गया लेकिन एक भी खाता नहीं खुला.
इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला जिसमें पार्टी ने 45 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा किया लेकिन किसी भी सीट पर सफलता नहीं मिली. हालत यह कि वोट प्रतिशत गिरकर 0.7 पर पहुंच गई. इस बार 2024 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जदयू चुनाव लड़ने की तैयारी में है. पार्टी 12 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करने का दावा कर रही है. जाहिर तौर पर एनडीए के साथ चुनाव लड़ने पर पार्टी को फायदा होगा मगर इसे जीत में बदलना बड़ी चुनौती होगी.
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