जौनपुर : अटाला मस्जिद केस में सिविल कोर्ट जूनियर डिवीजन ने अहम आदेश दिया है. स्वराज वाहिनी की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने वाराणसी ज्ञानवापी और मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर की तर्ज पर मामला सिविल कोर्ट जौनपुर में चलने की अनुमति दे दी है.
स्वराज वाहिनी की ओर से दाखिल याचिका में अटाला मस्जिद को अटला देवी का मंदिर बताया गया है. इसमें वक्फ बोर्ड और पीस कमेटी को पार्टी बनाया गया है. वादी पक्ष के वकील श्री राम सिंह ने कहा कि जिस तरह से कथित अटाला मस्जिद के चारों तरफ कमरे बनाए गए, वह हिंदू मंदिरों की वास्तुकला के अनुरूप हैं. इसके अलावा दावा किया कि यह मस्जिद पूर्व में मंदिर था. ऐसे में ज्ञानवापी और मथुरा के मामले की तरह इस मामले को भी सिविल कोर्ट जौनपुर में चलने की अनुमति प्रदान की जाए. इस मामले में कोर्ट ने यह मामला इस कोर्ट में चलने योग्य माना है. वादी पक्ष के अधिवक्ता राम सिंह ने कहा कि इस मामले की सुनवाई जौनपुर कोर्ट में होगी. कोर्ट ने अगली तारीख 16 नवंबर तय की है.
अधिवक्ता हिन्दू पक्ष श्रीराम सिंह के मुताबिक स्वराज वाहिनी की तरफ से 2023 में अटाला मजिस्द के मंदिर होने का हवाला दिया था. इस मामले में कई साक्ष्य कोर्ट के सामने प्रस्तुत किए गए थे. जिसके बाद विपक्ष वक्फ बोर्ड और पीस कमेटी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इसे वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने की बात कही थी. इसलिए इस मामले को कोर्ट में न चलाने की अनुमति मांगी थी. बहरहाल, दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह के सुनने के बाद कोर्ट ने माना कि वाराणसी के ज्ञानवापी और मथुरा के श्री कृष्ण जन्म भूमि विवाद की तरह इस मामले की सुनवाई भी स्थानीय स्तर के न्यायालय में होगी. कोर्ट के आदेश के बाद स्वराज वाहिनी के तमाम सदस्यों में खुशी की लहर है.