जमुईः सरकारी स्कूल का ध्यान आते ही बदहाली की तस्वीर सहसा ही आंखों के सामने आ जाती है. टूटे-फूटे क्लासरूम, बेतरतीब व्यवस्था, क्लास में बच्चों का शोरगुल, पढ़ाने से ज्यादा अपने कामों में व्यस्त रहनेवाले शिक्षक, लेकिन जमुई के एक सरकारी स्कूल को देखते ही आपकी धारणा बदल जाएगी. इस स्कूल में जिस तरह की व्यवस्थाएं हैं वो प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रही हैं.
आधुनिक सुविधाओं से लैस है स्कूलः जमुई जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर बरहट प्रखंड के सरकारी स्कूल शुक्रदास यादव मेमोरियल राजकीय उच्च विद्यालय की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी है. जहां कई सरकारी स्कूलों में पंखों तक की व्यवस्था नहीं होती है वहीं इस स्कूल की कक्षाओं में एसी लगे हुए हैं, लिहाजा जहां पहले स्कूल में छात्रों की उपस्थिति सिर्फ 40 फीसदी रहती थी वो बढ़कर 80 फीसदी पहुंच गयी है.
LCD स्क्रीन और स्मार्ट बोर्ड से पढ़ाई: स्कूल में छात्रों की पढ़ाई के लिए सभी आधुनिक संसाधनों की व्यवस्था की गयी है. छात्रों की आधुनिक तकनीक से पढ़ाई के लिए एलसीडी स्क्रीन, स्मार्ट बोर्ड, प्रॉजेक्टर सहित अन्य संसाधनों की व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा स्कूल में आधुनिक कम्प्यूटर लैब भी है, वहीं वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरे की भी व्यवस्था की गयी है.
केके पाठक की पहल से हुआ बदलावः दरअसल अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग के तत्कालीन एसीएस केके पाठक ने ग्रामीण इलाकों के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को ये निर्देश दिए थे कि वे अपने कोष से विद्यालय में आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था करें. इस निर्देश के अमल में आते ही जमुई के इस सरकारी स्कूल की व्यवस्था हाई-टेक हो चुकी है और स्कूल का कायाकल्प हो गया है.
छात्रों को खूब भा रही है नयी व्यवस्थाः स्कूल में आधुनिक सुविधाओं की बहाली के बाद छात्रों की उपस्थिति बढ़ गयी है. छात्रों का कहना है कि व्यवस्था में सुधार होने और डिजिटल क्लास रूम होने के बाद पढ़ाई में उनकी रूचि बढ़ गयी है. यही कारण है कि अब छात्रों की उपस्थिति 80 फीसदी तक पहुंच गयी है और वो दिन दूर नहीं जब उपस्थिति 100 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.
"इससे पहले मैं जहां थी, वहां हाई-टेक व्यवस्था तो दूर की बात, वहां न तो बच्चों के और न ही शिक्षकों के लिए बैठने की ठीक व्यवस्था थी. अजीब सा फील होता था,लेकिन जब मैं शुक्रदास यादव मेमोरियल राजकीय उच्च विद्यालय में आई तो हमारी सोच बिल्कुल ही बदल गई. बदलाव और नयी व्यवस्था से बच्चों के साथ-साथ शिक्षक भी काफी खुश हैं."-शिक्षिका, शुक्रदास यादव मेमोरियल राजकीय उच्च विद्यालय, बरहट
अब क्लास रूम पड़ने लगे कमः स्कूल में आधुनिक व्यवस्था होने के बाद जिस तरह से छात्रों की उपस्थिति बढ़ी है, उसके बाद अब स्कूल में क्लास रूम कम पड़ने लगे हैं. फिलहाल स्कूल में सिर्फ पांच कमरे ही हैं, जो नाकाफी साबित हो रहे हैं. स्कूल के शिक्षक नंद कुमार यादव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि स्कूल में कक्षा 9 से प्लस टू तक की पढ़ाई होती है. फिलहाल 700 से लेकर 1000 तक छात्र आ रहे हैं, जिससे अब परेशानी बढ़ गयी है.
"पहले कम बच्चे आते थे लेकिन जब से स्कूल में व्यवस्था बदली है तो छात्रों की संख्या दोगुनी हो गयी है.ऐसे में कमरे की कमी खलने लगी है. क्लास रूम तो कम हैं ही, कमरे की कमी के कारण सारे प्रकार के लैब एक ही कमरे में और लाइब्रेरी को बरामदे में सेट करना पड़ा है. कमरे की कमी को लेकर कई बार विभाग को लिखा जा चुका है, लेकिन अभी तक आश्वासन ही मिलता आ रहा है."- नंद कुमार यादव, शिक्षक, शुक्रदास यादव मेमोरियल राजकीय उच्च विद्यालय, बरहट
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने दिया भरोसाः स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल इला कुमारी ने भी बताया कि स्कूल में भवन और अतिरिक्त कमरों के निर्माण के लिए विभाग को कई बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है. वहीं इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि स्कूल के भवन और अतिरिक्त कमरों के निर्माण के लिए शिक्षा विभाग जल्द ही उचित कदम उठाएगा.
बदली व्यवस्था तो बदले हालातः सरकारी स्कूलों में बदहाल शिक्षा-व्यवस्था ने शिक्षा माफिया को पनपने का मौका दिया है जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर मोटी-मोटी फीस वसूल रहे हैं. जाहिर है आर्थिक रूप से कमजोर लोग उसे वहन करने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में सरकारी स्कूलों के हालात बदलते हैं तो आर्थिक रूप से कमजोर छात्र भी अच्छी शिक्षा हासिल करने में सफल हो सकेंगे. उम्मीद है कि जमुई का ये सरकारी स्कूल दूसरे स्कूलों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा.