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जमशेदपुर की छात्रा ज्योति ने पूजा में इस्तेमाल हो चुके फूलों से बनाई अगरबत्ती, बाल विज्ञान के लिए हुई चयनित

Incense sticks from used flowers. जमशेदपुर के खुकराडीह उत्क्रमित उच्च विद्यालय की छात्रा ज्योति ने पूजा में इस्तेमाल होने वाले फूलों से अगरबत्ती बनाई है. ज्योति के इस काम के लिए उसे राष्ट्रीय स्तर पर बाल विज्ञान में चुना गया है.

incense sticks from used flowers
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 8, 2024, 12:03 PM IST

फूलों से अगरबत्ती

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण इलाके में स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय खुकराडीह एक बार फिर सुर्खियों में है. दरअसल, इस स्कूल की 9वीं कक्षा की छात्रा ज्योति दास ने पूजा में इस्तेमाल होने वाले फूलों को पानी में फेंकने के बजाय दोबारा इस्तेमाल करके अगरबत्ती बनाई है. इसके लिए बाल विज्ञान में 31वें राष्ट्रीय स्तर के लिए झारखंड से ज्योति का चयन किया गया है. ज्योति ने बताया कि त्योहारों के दौरान पूजा में इस्तेमाल होने के बाद अक्सर फूलों को नदी में फेंक दिया जाता है. जिससे बड़ी संख्या में फूल खराब होकर बह जाते हैं. इसी को लेकर मैंने सोचा कि क्यों न इन फूलों का इस्तेमाल करके कुछ किया जाए.

ऐसे बनती है अगरबत्ती

ज्योति ने बताया कि उसने सबसे पहले फूल इकट्ठा किया. इसके बाद फूलों को धूप में अच्छी तरह सुखाया गया और फिर मिक्सर में पाउडर बनाकर तैयार कर लिया गया. इसके बाद घी, कपूर, धूना और एसेंशियल तेल को मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया गया. फिर उससे अगरबत्ती बनाई गई. इस प्रकार फूलों को फिर से अगरबत्ती के रूप में पूजा में उपयोग किया जाता है. ज्योति ने कहा कि इससे नदियों और तालाबों का पानी प्रदूषित होने से बचेगा और रोजगार के साधन भी मिलेंगे.

साइंस टीचर ने की मदद

इस प्रोजेक्ट को बनाने में ज्योति की साइंस टीचर कल्पना भगत ने भी उनका साथ दिया है. उन्हीं के सहयोग से ज्योति इस मुकाम तक पहुंच पाई है. हालांकि अभी राष्ट्रीय स्तर के बाल विज्ञान की तारीख की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यहां तक ज्योति का पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि और निश्चित रूप से काबिले तारीफ है.

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फूलों से अगरबत्ती

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ऐसे बनती है अगरबत्ती

ज्योति ने बताया कि उसने सबसे पहले फूल इकट्ठा किया. इसके बाद फूलों को धूप में अच्छी तरह सुखाया गया और फिर मिक्सर में पाउडर बनाकर तैयार कर लिया गया. इसके बाद घी, कपूर, धूना और एसेंशियल तेल को मिलाकर एक पेस्ट तैयार किया गया. फिर उससे अगरबत्ती बनाई गई. इस प्रकार फूलों को फिर से अगरबत्ती के रूप में पूजा में उपयोग किया जाता है. ज्योति ने कहा कि इससे नदियों और तालाबों का पानी प्रदूषित होने से बचेगा और रोजगार के साधन भी मिलेंगे.

साइंस टीचर ने की मदद

इस प्रोजेक्ट को बनाने में ज्योति की साइंस टीचर कल्पना भगत ने भी उनका साथ दिया है. उन्हीं के सहयोग से ज्योति इस मुकाम तक पहुंच पाई है. हालांकि अभी राष्ट्रीय स्तर के बाल विज्ञान की तारीख की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यहां तक ज्योति का पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि और निश्चित रूप से काबिले तारीफ है.

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