कुल्लू: मणिकर्ण घाटी के ऐतिहासिक गांव मलाणा में गुरुवार को देव संस्कृति की झलक देखने को मिली. यहां पर बीते तीन दिन पहले गड़सा के शियाह गांव से देवता जमलू अपने हरियानो के साथ आए थे और गुरुवार को जब देवता वापस अपने शियाह देवालय की ओर रवाना होने लगे तो पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया. देवता के जाने की खबर सुनते ही पूरे गांव की महिलाएं भावुक हो गईं और अपनी आंखों में आंसू लिए वह देवता को विदाई देते हुए नजर आईं. ऐसे में मलाणा गांव का माहौल भावुक हो गया और हजारों लोगों ने देवता जमलू से आग्रह किया कि वह जल्दी मलाणा गांव आए और गांव वालों को दर्शन देकर उनके जीवन को सफल बनाएं.
देवता जमलू शियाह गांव से मलाणा गांव के लिए रवाना हुए थे और तीन दिनों तक देवता मलाणा गांव में रहे. इस दौरान मलाणा गांव के लोगों ने देवता का भव्य स्वागत किया. देवता के साथ आए श्रद्धालुओं का भी मान-सम्मान किया गया. गुरुवार को देवता अब वापस अपने देवालय शियाह की ओर रवाना हो गए हैं और जगह-जगह देवता का ग्रामीणों के द्वारा स्वागत किया जा रहा है.
मलाणा गांव के लोगों से जमलू देवता का है भावनात्मक रिश्ता
जिला कुल्लू के साहित्यकार डॉक्टर सूरत ठाकुर का कहना है कि मलाणा गांव में देवता जमदग्नि ऋषि का मंदिर है. देवता जमदग्नि ऋषि को जमलू देवता के नाम से भी जाना जाता है. देवता के जिला कुल्लू में अलग-अलग देवरथ हैं जो अलग-अलग जगह पर गांव में मंदिरों में रखे गए हैं. जिला कुल्लू में लोगों की देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था है. जब-जब देवता आदेश देते हैं तो ग्रामीण उसका निष्ठा से पालन करते हैं.
शियाह गांव के देवता जमलू ऋषि ने भी अपने श्रद्धालुओं को मलाणा गांव जाने के आदेश दिए थे और ग्रामीण पैदल चलकर मलाणा पहुंचे. मलाणा गांव में देवता जमदग्नि ऋषि की काफी मान्यता है. यहां देवता का आदेश ही सर्वोपरि हैं. गांव में लोगों का देवता के प्रति प्रेम भी अपने बुजुर्गों की तरह होता है. ऐसे में जब देवता गांव से वापस जाते हैं तो ग्रामीणों को लगता है कि उनका अपना कोई परिजन दूर जा रहा है इसलिए वो भावुक हो जाते हैं. जिला कुल्लू के अलावा पहाड़ी इलाको में भी इस तरह की परंपरा देखने को मिलती हैं.
देवता के साथ गए श्रद्धालु धर्मेंद्र ठाकुर, जगदीश कुमार व राजीव का कहना है कि देवता जमलू ने मलाणा गांव जाने के आदेश दिए थे और देवता के आदेशों के अनुसार वे यहां पर आए थे. कहा जाता है कि सतयुग से ही देवता जमलू का मलाणा से रिश्ता रहा है और समय-समय पर देवता मलाणा गांव की यात्रा करते रहते हैं.
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