जयपुर: ईडी मामलों की विशेष अदालत ने जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मामले में आरोपी संजय बड़ाया को जमानत देने से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की ओर से पेश जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि आरोपी पर पीएचईडी के टेंडर्स में हुए भ्रष्टाचार और ठेकेदारों की ओर से किए गए अपराधों के क्रिया-कलापों में शामिल होने का आरोप है. ऐसे में आरोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.
जमानत अर्जी में कहा गया कि उसे प्रकरण में एक अन्य व्यक्ति के दिए गए बयानों के आधार पर आरोपी नहीं बनाया जा सकता. वहीं महेश मित्तल की ओर से दी गई राशि के संबंध में भी अभियोजन के पास कोई ठोस आधार नहीं है. इसलिए आरोपी को जमानत दी जाए. इसका विरोध करते हुए विभाग की ओर से कहा गया कि मामले की पत्रावली से महेश मित्तल को टेंडर दिलवाए जाने में मदद करने व मित्तल से 5.40 करोड़ रुपए की रिश्वत के संबंध में भी तथ्य सामने आया है.
मामले में पेश किए चालान से भी साबित है कि पीएचईडी के अफसरों को रिश्वत देकर पदमचंद जैन व महेश मित्तल ने बिल पास करवाए. वहीं प्रार्थी के पिता के खाते में पदमचंद जैन, श्याम ट्यूबवैल के खाते से 1.05 करोड़ रुपए प्राप्त किए हैं. प्रार्थी द्वारा ही अपने पिता के खाते का संचालन किया जाता था. इस राशि से ही उसके पिता ने कीर्ति सागर योजना में दो भूखंड खरीदे थे. ऐसे में आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.