मंडी: सुक्खू सरकार स्वास्थ्य विभाग को पूरी तरह से पतन की ओर ले जा रही है. लोगों का स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकता में है ही नहीं. अब सरकार की नाकामी, तानाशाही और जिद के चलते हिमाचल प्रदेश को 63 स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स नहीं मिल पाएंगे. इसका नुकसान आने वाले समय में प्रदेश को होगा. ये आरोप पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने लगाए हैं.
मेडिकल स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड न देने का आरोप
जयराम ठाकुर ने कहा कि ये स्थिति मेडिकल स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड ने देने की वजह से सामने आई है. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (NBEMS) ने हिमाचल प्रदेश में MBBS के बाद की जाने वाली DNB (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) की डिग्री पर रोक लगा दी है. जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि ये रोक प्रदेश सरकार की तानाशाही के कारण लगाई गई है, क्योंकि सरकार डीएनबी कर रहे मेडिकल छात्रों को निर्धारित स्टाइपेंड (वेतन भत्ता) नहीं दे रही है.
'डॉक्टरों की कमी से स्वास्थ्य व्यवस्था को नुकसान'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बारे में डीएनबी कर रहे मेडिकल स्टूडेंट्स ने एनबीईएमएस को पत्र लिख कर अवगत कराया था. जिसके बाद एनबीईएमएस ने हिमाचल सरकार को पत्र लिखकर जवाब मांगा था, लेकिन बार-बार लिखे जाने के बाद भी हिमाचल सरकार कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई. जिसके बाद एनबीईएमएस ने हिमाचल के कोटे पर रोक लगा दी. डीएनबी कर रहे स्टूडेंट्स को संबंधित राज्य सरकार या मेडिकल कॉलेज द्वारा स्टाइपेंड दिया जाना एक अनिवार्य शर्त है. जयराम ने कहा कि पहले से ही डॉक्टरों की कमी झेल रहे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए ये किसी कुठारघात से कम नहीं है.
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा, "हिमाचल की सुक्खू सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी तानाशाही से प्रदेश को कितना बड़ा नुकसान होगा. लोगों की जान बचाना, लोगों के लिए बेहतर और मानकीकृत इलाज देना इस सरकार की प्राथमिकता में है ही नहीं. इसी कारण ये सब हुआ है. डीएनबी कर रहे सभी मेडिकल स्टूडेंट्स ने हिमाचल सरकार को इस बारे में अवगत कराया गया था, लेकिन सरकार में कोई भी सुनवाई नहीं है."
जयराम ठाकुर ने कहा, "आईजीएमसी जैसे प्रदेश के प्रमुख मेडिकल संस्थान में बहुत सामान्य सी जांच की किटें उपलब्ध नहीं है. डॉक्टर्स महीनों तक काली पट्टी बांध कर मरीजों का इलाज करते रहे. डॉक्टर्स का एनपीए रोका गया. मरीजों को मिलने वाली बहुत सारी सुविधाएं उनसे छीनी गई. हिमकेयर के तहत प्रदेश के लाखों लोगों को 5 लाख तक के निशुल्क इलाज पर सरकार ने पाबंदी लगा दी. जिसके कारण लोग इलाज कराने के लिए भी कर्ज लेने को मजबूर हैं. जब से सुक्खू सरकार सत्ता में आई है. तब से हर दिन सरकार द्वारा कुछ ना कुछ हर हिमाचली से छीना जा रहा है. प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के संपूर्ण पतन की जिम्मेदारी सुक्खू सरकार की है. मुख्यमंत्री प्रदेश के लोगों पर रहम करे और कम से कम सरकार द्वारा स्वास्थ्य से जुड़ी दी गई सुविधाओं को न छीनें."
'हकों की कटौती के बाद खाने की कटौती'
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर से मामले सामने आ रहे हैं कि डिपो में मिलने वाले राशन और खाद्य तेल में भी इस बार सरकार द्वारा कटौती की गई है. 900 ग्राम के पैक में 550 ग्राम तेल आ रहा है. लोगों के हकों पर कटौती करते-करते सरकार अब लोगों के खाने पीने की चीजों में भी कटौती करने पर उतर आई है. उन्होंने कहा कि एक तरफ पहले ही डिपो में मिलने वाले राशन की मात्रा और दालों की संख्या घटाई गई इसके बाद उनके दाम में भारी वृद्धि की गई. जिससे लोगों के लिए डिपो का राशन खरीदना भी मुश्किल हो गया. अब इससे भी सरकार का जी नहीं भरा तो अब वजन में कटौती करने पर उतारू हो गई है. सरकार का यह कृत्य लोगों के हाथ से भोजन छीनने जैसा है. जयराम ने कहा कि सरकार का काम लोगों का भरण-पोषण करना है न कि उन्हें मिल रहे राशन के दाम बढ़ाना और चोरी छुपे उनका वजन कम करना है. ये सरकार का शर्मनाक कृत्य है जिसके लिए मुख्यमंत्री को भी माफी मांगनी चाहिए.