जयपुर. पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने दस साल की मानसिक दिव्यांग बहन के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त भाई और उसके तीन दोस्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्तों पर कुल छह लाख बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने कहा है कि अभियुक्त को शेष जीवन तक जेल में ही रखा जाए. पीठासीन अधिकारी संदीप कुमार शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि "पीड़िता स्वयं अपने परिजनों पर निर्भर थी और उसे ही बोझ समझकर घटना कारित हुई थी. ऐसे में उसके परिजनों को पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत कोई प्रतिकर दिलाना न्यायोचित नहीं है.
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजया पारीक ने अदालत को बताया कि 18 मई, 2020 को परिवादी ने मनोहरपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि वह ईंट थपाई का काम करता है. एक दिन पहले 17 मई को उसकी मानसिक दिव्यांग दस साल की बेटी दोपहर के समय खेलते-खेलते कहीं निकल गई. बच्ची की तलाश करने पर पुलिस को 21 मई को पास के जंगल से पीड़िता की लाश मिली.
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डीएनए जांच में हुआ खुलासा : अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि अभियुक्त भाई के बहकावे में आकर पीड़िता उसके साथ जंगल की तरफ चली गई थी. इस दौरान अभियुक्त भाई ने अपने तीन दोस्तों को घटना में शामिल कर दिया. चारों अभियुक्त बच्ची को जंगल ले गए और बारी-बारी से उसके साथ दुष्कर्म किया. जब पीड़िता ने विरोध किया तो उसका गला दबाकर हत्या कर दी. घटना के बाद अभियुक्तों ने शव को वहीं छोड़कर उसके कपड़े छुपा दिए. पुलिस को अभियुक्त भाई के सिर के बाल लाश के हाथ में मिले. इस पर पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. डीएनए जांच में भी अभियुक्तों की ओर से दुष्कर्म करना साबित हुआ. इस पर अदालत ने चारों अभियुक्तों को सजा सुनाई है.