जयपुर : देश-विदेश में बुजुर्ग माता-पिता से दूर रहने वाले बच्चों के लिए अच्छी खबर है. हाल ही में जयपुर बेस्ड एक टेक स्टार्टअप ऐसी सुविधा मुहैया करवा रहा है, जिससे कोई भी बुजुर्ग, महिला या अन्य कोई भी व्यक्ति मुसीबत में होने पर एक ही क्लिक में तुरंत सहायता प्राप्त कर सकता है. इस स्टार्टअप की 24x7 टीम जरूरतमंद व्यक्ति को मनचाही सहायता उपलब्ध करवा रही है, चाहे वह नजदीकी एम्बुलेंस हो, पुलिस सहायता हो या अन्य आपातकालीन सेवाएं. साथ ही, उनके परिवारवालों को भी तुरंत सूचना उपलब्ध करवाई जाती है.
स्टार्टअप की अनूठी पहल : "नियर एम्बुलेंस" के फाउंडर शरद शर्मा ने बताया कि आज की तेज रफ्तार जिंदगी में कई युवा अपने बुजुर्ग माता-पिता से दूर रहते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रहती है. इसी समस्या को हल करने के लिए हमने हेल्थटेक स्टार्टअप "नियर एम्बुलेंस" की शुरुआत की है, जिससे किसी भी बुजुर्ग, महिला या जरूरतमंद व्यक्ति को संकट के समय तत्काल सहायता मिल सके. शरद शर्मा के अनुसार, "नियर एम्बुलेंस" की 24x7 टीम आपातकालीन स्थिति में तुरंत सहायता प्रदान करती है. चाहे एम्बुलेंस की जरूरत हो, पुलिस सहायता की आवश्यकता हो या अन्य कोई आपातकालीन स्थिति हो, यह प्लेटफॉर्म तुरंत सहायता सुनिश्चित करता है. साथ ही, उपयोगकर्ता के परिवारवालों को भी तत्काल सूचना भेजी जाती है, जिससे वे अपने प्रियजनों की स्थिति से अवगत रह सकें.
पैनिक बटन सुविधा-एक क्लिक में मदद : शरद ने बताया कि इस स्टार्टअप ने अपनी मोबाइल ऐप में "पैनिक बटन" सुविधा प्रदान की है, जिससे संकट की घड़ी में यूजर तुरंत सहायता प्राप्त कर सकता है. इस सुविधा के तहत व्यक्ति एम्बुलेंस, नर्सिंग स्टाफ, होम केयर सर्विस जैसी सेवाओं का लाभ उठा सकता है. यह तकनीक खासतौर पर बुजुर्गों, अकेले रहने वाले लोगों और गंभीर रोगियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि "नियर एम्बुलेंस" सिर्फ एक हेल्थटेक स्टार्टअप नहीं, बल्कि एक जीवनरक्षक पहल है, जो जरूरतमंद लोगों तक आपातकालीन सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है. यह सेवा न केवल सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि परिवार के सदस्यों को मानसिक शांति भी देती है.
देशभर में फैला 3000+ एम्बुलेंस का नेटवर्क : शरद के अनुसार वर्तमान में यह स्टार्टअप देशभर में 3000+ एम्बुलेंस के विशाल नेटवर्क के माध्यम से लोगों की जान बचाने का कार्य कर रहा है. इस मजबूत नेटवर्क के कारण यह सेवा छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी उपलब्ध हो रही है. आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के अलावा, "नियर एम्बुलेंस" समय-समय पर सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है. इन प्रशिक्षण सत्रों में एम्बुलेंस ड्राइवरों, स्वास्थ्य कर्मियों और आम जनता को प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे वे आपातकालीन परिस्थितियों में घायलों की जान बचा सकें.
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परिवार के सदस्य को खोया तो आया विचार : शरद शर्मा बताते हैं कि एम्बुलेंस के समय पर नहीं पहुंचने और इलाज में देरी के कारण उन्होंने अपने परिवार के दो सदस्यों को खो दिया. इस दर्दनाक अनुभव ने उन्हें इस सेवा की शुरुआत करने की प्रेरणा दी. उन्होंने कहा, "हम आए दिन खबरें पढ़ते हैं कि समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. परिवार के सदस्य को खोने का दर्द हमेशा मेरे मन में बना रहता है। हमारे देश में इस सुविधा की बहुत आवश्यकता है."
ऑनलाइन एम्बुलेंस सेवा की बढ़ती लोकप्रियता : कोविड-19 के बाद से ऑनलाइन एम्बुलेंस सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ी है. यह सेवा कम समय में और किफायती दरों पर उपलब्ध हो जाती है. अब तक लगभग 2000 से अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा चुके हैं, और सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा चुकी है. "नियर एम्बुलेंस" की मोबाइल ऐप को 3000 से अधिक बार डाउनलोड किया गया है. शरद शर्मा ने बताया कि उनकी सेवा 108 और अन्य सरकारी एम्बुलेंस योजनाओं से बढ़कर है. उनकी एम्बुलेंस को बुक करने पर उपयोगकर्ता इसे ट्रैक कर सकता है और यह जान सकता है कि वह कितने समय में पहुंचेगी.
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साथ ही, उनके एम्बुलेंस ड्राइवर "सीपीआर" तकनीक में प्रशिक्षित हैं, जिससे आपातकालीन स्थिति में मरीज की जान बचाने की संभावना अधिक हो जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी ऐप के माध्यम से मरीज आपातकालीन समय में सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में जा सकता है. सरकार के साथ साझेदारी को लेकर भी चर्चा चल रही है. यदि सरकार की अनुमति मिल जाती है, तो उपयोगकर्ता ऐप के जरिये सरकारी 108 सेवा का भी लाभ उठा सकेगा.
भारत ही नहीं, विदेशों में भी मिलेगा लाभ : "नियर एम्बुलेंस" सेवा न केवल राजस्थान, बल्कि देश और विदेश में कहीं भी उपलब्ध होगी। मोबाइल ऐप डाउनलोड कर कोई भी व्यक्ति इस सेवा का उपयोग कर सकता है.अब तक 2000 से अधिक लोग इसका लाभ उठा चुके हैं, जिनमें अधिकांश राजस्थान से हैं, हालांकि बिहार, हरियाणा और आंध्र प्रदेश से भी कुछ केस सामने आए हैं. शरद शर्मा ने बताया कि मार्च 2021 में शुरू हुई इस सेवा को धीरे-धीरे अच्छा रिस्पांस मिलने लगा है। हर महीने 65-70 लोग इस सेवा का उपयोग कर रहे हैं। भविष्य में, "नियर एम्बुलेंस" और भी अधिक सुविधाओं के साथ लोगों की मदद के लिए तत्पर रहेगा.