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जयपुर की जमीन से जुड़े सौदे को लेकर अरुणाचल सरकार की याचिका खारिज - Supreme Court Order

Jaipur Land Deal, राजस्थान में जयपुर की जमीन से जुड़े सौदे को लेकर अरुणाचल सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. यहां जानिए पूरा मामला...

Supreme Court
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 22, 2024, 8:14 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर की जमीन से जुड़े सौदे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पासीघाट थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है. इसके साथ ही अदालत ने माना कि हाईकोर्ट के आदेश को परिवादी ने चुनौती नहीं दी है और अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर ही इसे चुनौती दी. जबकि मामला आपसी लेन-देन से संबंधित था. जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह आदेश अरुणाचल प्रदेश सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए दिए.

प्रकरण से जुड़े अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि परिवादी अनिल अग्रवाल ने वर्ष 2017 में पासीघाट थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि मैसर्स शिव भंडार ने जयपुर के सीकर हाउस में एक प्लॉट खरीदने के लिए जयपुर निवासी चन्द्रमोहन बडाया को 75 लाख रुपए और शशि नाटाणी को 25 लाख रुपए का भुगतान किया था. इसके बावजूद भी प्लॉट का बेचान नहीं किया गया और राशि हड़प ली.

पढ़ें : मदरसा बोर्ड चेयरमैन को हटाने के आदेश पर रोक - Rajasthan High Court

चन्द्रमोहन बडाया द्वारा एफआईआर को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती देकर कहा गया कि उसकी फर्म ने 37 लाख रुपए शिव भंडार को लौटा दिए थे और 54-54 लाख रुपए के दो प्लॉट परिवादी की पत्नी व भाभी को बेचे थे, लेकिन इसका पूरा भुगतान भी उसे नहीं मिला. जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच विवाद चल रहा है. हाईकोर्ट की ओर से बडाया की याचिका खारिज करने पर उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. वहीं, दूसरी ओर प्रकरण के अन्य आरोपियों ने एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने मई, 2023 में एफआईआर को गैर इलाका व अरुणाचल प्रदेश में अपराध कारित होना नहीं मानकर निरस्त कर दिया. इस आदेश के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश की.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर की जमीन से जुड़े सौदे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पासीघाट थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है. इसके साथ ही अदालत ने माना कि हाईकोर्ट के आदेश को परिवादी ने चुनौती नहीं दी है और अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर ही इसे चुनौती दी. जबकि मामला आपसी लेन-देन से संबंधित था. जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह आदेश अरुणाचल प्रदेश सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए दिए.

प्रकरण से जुड़े अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि परिवादी अनिल अग्रवाल ने वर्ष 2017 में पासीघाट थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि मैसर्स शिव भंडार ने जयपुर के सीकर हाउस में एक प्लॉट खरीदने के लिए जयपुर निवासी चन्द्रमोहन बडाया को 75 लाख रुपए और शशि नाटाणी को 25 लाख रुपए का भुगतान किया था. इसके बावजूद भी प्लॉट का बेचान नहीं किया गया और राशि हड़प ली.

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चन्द्रमोहन बडाया द्वारा एफआईआर को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती देकर कहा गया कि उसकी फर्म ने 37 लाख रुपए शिव भंडार को लौटा दिए थे और 54-54 लाख रुपए के दो प्लॉट परिवादी की पत्नी व भाभी को बेचे थे, लेकिन इसका पूरा भुगतान भी उसे नहीं मिला. जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच विवाद चल रहा है. हाईकोर्ट की ओर से बडाया की याचिका खारिज करने पर उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. वहीं, दूसरी ओर प्रकरण के अन्य आरोपियों ने एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने मई, 2023 में एफआईआर को गैर इलाका व अरुणाचल प्रदेश में अपराध कारित होना नहीं मानकर निरस्त कर दिया. इस आदेश के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश की.

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