जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने फ्लैट खरीदने के लिए गए लोन के बदले बैंक में गिरवी रखे संपत्ति के दस्तावेज खोने को गंभीर सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने एक्सिस बैंक पर 31 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. आयोग ने बैंक को निर्देश दिए हैं कि वह एक माह में परिवादी को संपत्ति के मूल दस्तावेज लौटाए. ऐसा नहीं करने पर बैंक को क्षतिपूर्ति के तौर पर तीस लाख रुपये अदा करने को कहा है.
आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश संगीता शर्मा के परिवाद को मंजूर करते हुए दिए. आयोग ने कहा कि बैंक ने परिवादी को मोरगेज लोन दिया था और उसकी एवज में संपत्ति के दस्तावेज अपने पास बंधक रखे थे, लेकिन दस्तावेज लोन की एनओसी जारी करने के बाद नहीं लौटाना और खो देना गंभीर है. ऐसे में दस्तावेज खोने से परिवादिया को मानसिक आघात लगा है और उसकी क्षतिपूर्ति के लिए विपक्षी से 30 लाख रुपये दिलवाना उचित होगा.
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मामले के अनुसार परिवादी और उसके पति उमेश शर्मा ने 21 फरवरी 2012 को कनकपुरा, सिरसी रोड स्थित अपार्टमेंट में 19.40 लाख रुपये में एक फ्लैट खरीदा था. इस फ्लैट पर उन्होंने बैंक से लोन लिया और उसके दस्तावेज बैंक में जमा करवा दिए. इसके बाद परिवादी लोन की किस्तों का नियमित भुगतान करता रहा. कोविड के दौरान मार्च 2022 में उसके पति का निधन हो गया. जिस पर परिवादिया ने इंश्योरेंस से प्राप्त क्लेम राशि से लोन की समस्त बकाया राशि चुका दी और बैंक ने भी उसके पक्ष में एनओसी जारी कर दी.
वहीं, जब उसने संपत्ति के मूल दस्तावेज मांगे तो बैंक ने कहा कि वे खो गए हैं और मिलते ही लौटा देंगे. विपक्षी बैंक के इस सेवा दोष को परिवादिया ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने बैंक पर हर्जाना लगाया है.