जयपुर. राजस्थान पुलिस की मुख्यालय स्थित क्राइम ब्रांच टीम ने तीन जिलों में वांछित 5000 रुपए के इनामी ठग को पकड़ने में सफलता हासिल की है. यह आठ साल से फरार था. आरोपी सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर लोगों से ठगी करने के मामले में फरार चल रहा था.
एडीजी क्राइम दिनेश एमएन के अनुसार आरोपी अरविंद कुमार सोनी करोली जिले के सपोटरा का मूल निवासी था. इन दिनों जयपुर के गणगौरी बाजार में रह रहा था. पुलिस ने उसे सोमवार रात टोंक जिले के बरौनी थाना इलाके से डिटेन किया है. आरोपी अरविंद ठगी के मामले में बूंदी, भीलवाड़ा और टोंक जिले में लम्बे समय से वांछित चल रहा था. उसकी गिरफ्तारी के लिए बूंदी एसपी की ओर से पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था. डीआईजी क्राइम योगेश यादव के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विद्या प्रकाश के सुपरविजन में गठित टीमों को वांछित इनामी बदमाशों, आपराधिक गिरोह के सक्रिय सदस्यों, तस्करों के बारे में जानकारी जुटाने अलग-अलग शहरों में भेजा गया था.
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इंस्पेक्टर राम सिंह नाथावत के नेतृत्व में गठित टीम हैड कांस्टेबल रामनिवास, शंकर दयाल शर्मा, कमल सिंह, हेमंत शर्मा, भूपेंद्र शर्मा, देवेंद्र और चालक विश्राम को आरोपी अरविंद सोनी के संबंध में सूचना प्राप्त हुई थी. इसके आधार पर खोजबीन की गई तो जानकारी में आया कि अरविंद की पत्नी टोंक जिले में रहती है. आरोपी रात के समय कभी कभार पत्नी से मिलने जाया करता है. सूचना की पुष्टि के बाद सोमवार को बाइक से जा रहे आरोपी को क्राइम ब्रांच की टीम ने जयपुर से पीछा करते हुए टोंक के बरौनी थाना इलाके से डिटेन कर लिया. आरोपी को रात में थाना पुलिस की निगरानी में रखा गया. बूंदी से मंगलवार सुबह कोतवाली पुलिस अपने मामले में आरोपी को साथ ले गई. आरोपी अरविंद सोनी के विरुद्ध साल 2016 में बूंदी जिले के थाना कोतवाली में एक युवक को कनिष्ठ लिपिक के पद पर सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर 40 हजार रुपए की ठगी का मामला दर्ज है.
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इसी साल थाना रतनगढ़ चूरू में इसी प्रकार 2.26 लाख रुपए हड़पने का मामला दर्ज किया गया था. आरोपी के विरुद्ध जयपुर, सवाई माधोपुर और टोंक में भी ठगी के मामले दर्ज हैं. वह शाहपुरा जिले के थाना पारोली और टोंक के थाना कोतवाली में वांछित है. एडीजी दिनेश एमएन के मुताबिक इस संपूर्ण कार्रवाई में हेड कांस्टेबल कमल सिंह की विशेष भूमिका रही है. हेड कांस्टेबल शंकर दयाल शर्मा और सोहन देव की तकनीकी भूमिका रही. इंस्पेक्टर राम सिंह नाथावत के नेतृत्व में गठित टीम में हेड कांस्टेबल रामनिवास, हेमंत शर्मा, कांस्टेबल भूपेंद्र शर्मा और चालक विश्राम का सराहनीय सहयोग रहा.