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डिफेक्टिव स्लीपर बेचने पर पर 45 हजार रुपए का हर्जाना, राशि ब्याज समेत लौटाने का आदेश - CONSUMER COMMISSION ORDER

जयपुर उपभोक्ता आयोग ने डिफेक्टिव स्लीपर बेचने पर विक्रेता को 45 हजार हर्जाना और वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया.

45 हजार रुपए का हर्जाना
45 हजार रुपए का हर्जाना (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 25, 2025, 8:01 PM IST

जयपुर : जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने एक उपभोक्ता को डिफेक्टिव स्लीपर बेचने को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार दिया है. आयोग ने विक्रेता पर 45 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. साथ ही विक्रेता को आदेश दिया है कि वह परिवादिया से स्लीपर की कीमत के तौर पर वसूली गई 1836 रुपए की राशि ब्याज सहित लौटाए. यह आदेश आयोग के अध्यक्ष ग्यारसीलाल मीना और सदस्य हेमलता अग्रवाल ने सुनीता कुमावत के परिवाद पर सुनाया.

परिवाद में बताया गया कि उन्होंने विपक्षी के यहां से स्लीपर की एक जोड़ी खरीदी थी. एक महीने बाद ही स्लीपर में डिफेक्ट आ गए, उनका रंग उतरने लगा और वह जगह-जगह से फटने लगे, जिससे वे पहनने लायक नहीं रहे. सुनीता कुमावत ने विक्रेता से संपर्क किया और बताया कि स्लीपर पर 90 दिन की गारंटी दी गई थी, लेकिन यह एक महीने में ही खराब हो गए हैं. विक्रेता ने उसे नवंबर 2020 के पहले सप्ताह में पुनः संपर्क करने के लिए कहा.

इसे भी पढ़ें- बुकिंग राशि लेने के बाद भी होटल में रुकने नहीं दिया, मेक माई ट्रिप पर लगाया 61 हजार रुपए का हर्जाना

जब वह फिर से वहां गईं, तो विक्रेता ने टालमटोल करना शुरू कर दिया और न तो स्लीपर बदली, न ही कीमत वापस की. इसके बाद सुनीता कुमावत ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई और हर्जाना व खर्च की वसूली की मांग की. आयोग ने सुनवाई के बाद विक्रेता पर हर्जाना लगाने का आदेश दिया और उपभोक्ता से वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने का निर्देश दिया.

जयपुर : जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने एक उपभोक्ता को डिफेक्टिव स्लीपर बेचने को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार दिया है. आयोग ने विक्रेता पर 45 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. साथ ही विक्रेता को आदेश दिया है कि वह परिवादिया से स्लीपर की कीमत के तौर पर वसूली गई 1836 रुपए की राशि ब्याज सहित लौटाए. यह आदेश आयोग के अध्यक्ष ग्यारसीलाल मीना और सदस्य हेमलता अग्रवाल ने सुनीता कुमावत के परिवाद पर सुनाया.

परिवाद में बताया गया कि उन्होंने विपक्षी के यहां से स्लीपर की एक जोड़ी खरीदी थी. एक महीने बाद ही स्लीपर में डिफेक्ट आ गए, उनका रंग उतरने लगा और वह जगह-जगह से फटने लगे, जिससे वे पहनने लायक नहीं रहे. सुनीता कुमावत ने विक्रेता से संपर्क किया और बताया कि स्लीपर पर 90 दिन की गारंटी दी गई थी, लेकिन यह एक महीने में ही खराब हो गए हैं. विक्रेता ने उसे नवंबर 2020 के पहले सप्ताह में पुनः संपर्क करने के लिए कहा.

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जब वह फिर से वहां गईं, तो विक्रेता ने टालमटोल करना शुरू कर दिया और न तो स्लीपर बदली, न ही कीमत वापस की. इसके बाद सुनीता कुमावत ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई और हर्जाना व खर्च की वसूली की मांग की. आयोग ने सुनवाई के बाद विक्रेता पर हर्जाना लगाने का आदेश दिया और उपभोक्ता से वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटाने का निर्देश दिया.

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