जयपुर. शहर की फैमिली कोर्ट-2 ने पति-पत्नी के तलाक से जुड़े एक मामले में कहा है कि पत्नी का पति के खिलाफ पीएम, सीएम, महिला आयोग, पुलिस कमिश्नर से झूठी शिकायत दर्ज कराना व दहेज प्रताड़ना का झूठा केस दर्ज कराना मानसिक क्रूरता माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि अप्रार्थिया ने पति के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर शिकायत दर्ज कराकर उसे प्रताड़ित किया है और उसके परिजनों को भी परेशान किया. पति जब बच्चे से मिलने गया तो उसे मिलने नहीं दिया और 2016 से वह अपने ससुराल ही नहीं गई. ऐसे में प्रार्थी उसके खिलाफ मानसिक क्रूरता को साबित करने में सफल रहा है और उसके पक्ष में तलाक की डिक्री पारित व विवाह विच्छेद करना उचित होगा.
अदालत ने यह आदेश प्रार्थी पति के प्रार्थना पत्र पर दिए. मामले से जुड़े अधिवक्ता ने बताया कि दोनों की शादी 24 जनवरी 2015 को जयपुर में हुई थी, लेकिन शादी के सात दिन बाद ही वह प्रार्थी पर संयुक्त परिवार से अलग रहने का दवाब बनाने लगी. इसको लेकर दोनों के बीच आए दिन झगड़े व गाली-गलौच शुरू हो गए. वहीं, मेहमानों के सामने भी उसे व परिजनों को जलील किया.
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इस दौरान ही उनके जून 2016 में एक बेटा हुआ, लेकिन पारिवारिक विवाद कम नहीं हुए और अप्रार्थिया ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करा दिया. सितंबर 2018 में भी महिला संगठनों को लाकर उसे व परिजनों को अपमानित किया. प्रार्थी ने दांपत्य जीवन की पुन: स्थापना के लिए प्रार्थना पत्र लगाया, लेकिन सहमति नहीं बनी. वहीं, उसने पीएम, सीएम, महिला आयोग व पुलिस कमिश्नर से भी झूठी शिकायतें कीं. जिस पर पति ने इन सभी को मानसिक क्रूरता का आधार बनाते हुए पत्नी से तलाक लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दायर की.