जयपुर : बीते दिनों राजधानी जयपुर में दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हृदयांश को 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाकर नया जीवन दिया गया था. अब स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी बीमारी से जूझ रहे जयपुर के 2 साल के अर्जुन जांगिड़ को भी इस इंजेक्शन की आवश्यकता है. इस इंजेक्शन की कीमत तकरीबन 16 करोड़ रुपए है, लेकिन इंजेक्शन उपलब्ध करवाने वाली दवा कंपनी ने इसकी कीमत आधी कर दी है. इसके बाद साढ़े 8 करोड़ में यह इंजेक्शन अर्जुन के इलाज के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है.
हृदयांश के केस में भी कंपनी ने इस इंजेक्शन की कीमत आधी कर दी थी. यह इंजेक्शन जेके लोन के चिकित्सक डॉक्टर प्रियांशु माथुर की ओर से लगाया जाएगा. प्रियांशु माथुर ने बताया कि पिछले कुछ समय से अर्जुन के माता-पिता उसका इलाज अलग-अलग जगह करवा रहे थे, लेकिन कोई भी बीमारी के बारे में पता नहीं लग पा रहा था. जब अर्जुन को जेके लोन अस्पताल लेकर पहुंचे तो इस बीमारी के बारे में उन्हें बताया गया. स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी एक अनुवांशिक बीमारी है, जिससे रीढ़ की हड्डी और नसें प्रभावित होती हैं. इस बीमारी का इलाज जोलगेनेस्मा इंजेक्शन से किया जाता है और इस इंजेक्शन की कीमत करोड़ों रुपए होती है.
पढे़ं. जिंदगी मिली दोबारा ! दुर्लभ बीमारी से ग्रसित बच्चे हृदयांश को लगा दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन
दिल्ली से भी मदद आई : अर्जुन के पिता का कहना है कि क्राउड फंडिंग के माध्यम से तकरीबन 7 करोड़ 65 लाख रुपए की फंडिंग अभी तक हो चुकी है और लगभग 80 से 85 लाख रुपए की आवश्यकता है. दिल्ली में भी एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित था और उस बच्चे के लिए क्राउड फंडिंग की गई थी, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. इसके बाद उस परिवार ने क्राउड फंडिंग से एकत्रित किया गया पैसा अर्जुन के इलाज के लिए देने की बात कही है. अर्जुन का जीवन बचाने के लिए उसके पिता से 8447735522 पर संपर्क किया जा सकता है.
कर्मचारी भी आगे आए : अर्जुन की मां पूनम जांगिड़ शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक पद पर कार्यरत हैं. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और एजुकेशन सेक्रेटरी कृष्ण कुणाल की पहल पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने भी अपने विभाग के कर्मचारियों और शिक्षकों से बच्चों की इलाज के लिए मदद करने की अपील की है. इसके बाद करीब 1.50 करोड़ से अधिक का फंड जुटाया गया है. इसके साथ ही विप्र सेना के प्रमुख सुनील तिवारी ने भी लोगों से अपील करते हुए कहा है कि इलाज के लिए अर्जुन के परिजनों की मदद की जाए.