शिमला: हिमाचल विधानसभा में सुक्खू सरकार ने प्रदेश में भांग की खेती को वैध बनाने को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट सदन में पेश की. सदन में इस रिपोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया. साथ ही प्रतिवेदन को पारित किया गया है. गौरतलब है कि ये प्रतिवेदन सितंबर 2023 में सदन में उप स्थापित किया गया था. सरकार हिमाचल में औषधीय व इंडस्ट्रीज में उपयोग के लिए भांग की खेती को वैध करना चाहती है.
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, "हिमाचल में भांग की खेती को वैध बनाने के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को सदन में स्वीकार कर लिया गया है. इसका मतलब है कि पूरे हिमाचल के लोग चाहते हैं कि भांग की खेती हो. ताकि भांग का उपयोग औषधीय व मेडिसिन इंडस्ट्रीज में होगा और लोगों की आय बढ़े. साथ ही प्रदेश की भी आय बढ़े. तो अब हिमाचल में भांग की खेती का रास्ता साफ हो गया है. अब सरकार इस पर जल्द से जल्द पॉलिसी और एसओपी लाकर इसको भविष्य में किस तरह से शुरुआत करनी है. इसमें बहुत सारे अभी काम करना है. खासकर बीज कहां से लाएंगे, जो हमें जनरल इंडस्ट्रियल बीज मिले. दूसरा जो मेडिसिनल है, वह कहां पर होंगे. कितना एरिया भांग की खेती करने के लिए एक व्यक्ति को दिया जाएगा. इन सब चीजों को हम जल्द से जल्द करेंगे".
भांग की खेती को वैध बनाने के लिए इन पहलुओं पर किया जाएगा काम
1. एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत शक्तियों के आधार पर नियंत्रित वातावरण में औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, आयात अंतर-राज्य, निर्यात अंतर राज्य, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोड़कर) की खेती की अनुमति, नियंत्रण और विनियमन के लिए हिमाचल प्रदेश एनडीपीएस नियम, 1989 में संशोधन किया जाएगा.
2. एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 14 के अंतर्गत केवल फाइबर, बीज प्राप्त करने, बागवानी और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन एक सामान्य या विशेष आदेश पारित किया जाना चाहिए.
3. खेती से लेकर उत्पादों के निर्माण की प्रक्रियाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जाएगी.
4. एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो गैर-मादक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को विनियमित करने में शामिल प्रक्रियाओं जैसे बीज बैंक की स्थापना, बीज वितरण, उपज की खरीद और औद्योगिक और फार्मा इकाइयों की स्थापना के संबंध में निर्णय लेने के लिए एकल खिड़की प्रणाली प्रदान करेगा.
5. कृषि/बागवानी विभाग द्वारा अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञ और विश्वविद्यालयों के समन्वय से बीज बैंक विकसित किए जा सकते हैं.
6. सीएसके कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ.वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय, नौणी की सेवाओं का उपयोग करके अनुसंधान एवं विकास तकनीक विकसित की जा सकती है. भूमि की जियो टैगिंग राजस्व, आईटी और पर्यावरण, विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा की जाएगी.
7. आय का कुछ प्रतिशत अनुसंधान और विकास, जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण अभ्यास के लिए अलग रखा जाना चाहिए.
8. अतिरिक्त कार्य करने के लिए राज्य आबकारी एवं कराधान विभाग को मौजूदा संख्या से अधिक विशेष कर्मचारी उपलब्ध कराए जाए.
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