जबलपुर: भारतीय परिधान साड़ी, धीरे-धीरे चलन से बाहर होती जा रही है. अब महिलाएं अक्सर धार्मिक त्योहार या विशेष आयोजनों में ही साड़ी का इस्तेमाल करती हैं. साड़ी की घटती लोकप्रियता की वजह से एक तो भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना परिधान खतरे में है और दूसरी तरफ लाखों कारीगरों की रोजी-रोटी पर भी संकट है. इसीलिए जबलपुर की एक संस्था ने महिलाओं को इस पुराने परिधान से जुड़े रहने के लिए जबलपुर में साड़ी वॉकथॉन किया, इसमें हजारों महिलाओं ने हिस्सा लिया.
बहुत पुराना है साड़ी का इतिहास
इतिहासकार बताते हैं कि, भारत में साड़ी का इस्तेमाल वैदिक काल से होता चला आ रहा है. यजुर्वेद और ऋग्वेद में साड़ी का उल्लेख है. वेदों में इस बात का उल्लेख है कि यज्ञ के दौरान साड़ी को पहनना जरूरी माना जाता है. इसके बाद महाभारत के चीर हरण की घटना भी साड़ी से ही जुड़ी हुई है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने पांचाली की साड़ी की लंबाई बढ़ाई थी. हजारों साल पुरानी कई प्रतिमाओं में भी साड़ी का इस्तेमाल देखा जा सकता है. इसके साथ ही मोहनजोदड़ो की संस्कृति में भी साड़ी पहनी जाती थी.
आज महिलाएं साड़ी को कम तवज्जो दे रही हैं
आज के समय में देखा जा रहा है कि शहरी क्षेत्र की महिलाएं साड़ी पहनने को कम तवज्जो दे रही हैं. इसके पीछे ये कुछ लोगों की दकियानूसी सोच को भी जिम्मेदार ठहराया जाता है. कई लोग साड़ी पहनने वाली महिलाओं को पिछड़ेपन की नजर से देखते हैं. साड़ी को फिर वही सम्मान दिलाने के लिए कुछ आयोजन किया जा रहे हैं. इसी तरह का एक आयोजन जबलपुर में साड़ी वॉकथॉन नाम से किया गया, जिसे उड़ान नाम की एक संस्था ने करवाया. इसमें जबलपुर की कई संस्थाओं की महिलाओं ने साड़ी पहन कर जबलपुर के हृदय स्थल कमानिया गेट पर एक बड़े आयोजन में हिस्सा लिया.
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जबलपुर में आयोजित किया गया साड़ी वॉकथॉन
उड़ान संस्था की सदस्य रेखा चौकसे ने बताया कि, उन्हें साड़ी पहनना बहुत पसंद है. वे चाहती हैं कि नई उम्र की लड़कियां भी अपने कामकाज के दौरान भी साड़ी पहनें. इससे न केवल साड़ी को सम्मान मिलेगा बल्कि भारत में साड़ी बनाने वाले कारीगरों को भी लगातार काम मिलता रहेगा, क्योंकि साड़ी पूरी तरह से स्वदेशी है और इसकी वजह से भारत भर में लाखों लोगों को रोजगार मिलता है. जबलपुर में साड़ी वॉकथॉन का यह दूसरा साल था, जिसमें 1000 से ज्यादा महिलाओं ने हिस्सा लिया. इसमें सभी उम्र की महिलाएं शामिल थीं और इन सभी ने रंग-बिरंगी कई वैरायटी की साड़ियां पहनी थी. यह पूरा आयोजन हर्ष और उल्लास के साथ समाप्त हुआ. इसमें गीत-संगीत पर महिलाएं जमकर थिरकीं.