जबलपुर। इंजीनियरिंग की छात्रा हर्षिता अग्रवाल ने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ एक ऐसा यंत्र बनाया है जिसे महिलाएं एक लॉकेट के जैसे रख सकती हैं. छेड़छाड़ या लूट की घटना के दौरान वे इसमें लगी सीटी से लोगों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित करवा सकती हैं, यदि आसपास कोई है तो चाकू से उस पर वार कर सकती हैं और यदि छेड़छाड़ करने वाला सामने पड़ जाए तो उसके ऊपर पेपर स्प्रे से हमला कर सकती हैं. खास बात ये है कि यह पूरी सुविधाएं एक ही यंत्र में मिल रही हैं. हर्षिता अग्रवाल नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी वारंगल में पढ़ाई कर रही हैं. इस यंत्र का हर्षित और उनकी टीम ने पेटेंट भी ले लिया है.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग की छात्रा ने बनाया यंत्र
जबलपुर के नेपियर टाउन में रहने वाली हर्षिता अग्रवाल नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी वारंगल में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री कर रही हैं. अभी उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हुई है लेकिन इसी बीच में उन्होंने अपनी टीम के साथ एक ऐसा यंत्र बनाया है जिसे पेटेंट मिल गया है. हर्षिता अग्रवाल के प्रोफेसर्स ने एक प्रोजेक्ट करने के लिए कहा था जिसमें इन्हें कुछ नया बनाना था. हर्षिता का कहना है कि "उन्होंने अपनी टीम को सलाह दी कि क्यों ना एक ऐसा यंत्र बनाया जाए जिसको महिलाएं और लड़कियां अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर सकें और इस यंत्र को इस्तेमाल करना सरल हो, यह सस्ता हो और सही समय पर इसका इस्तेमाल किया जा सके."
एक डिवाइस में 3 प्रकार से सुरक्षा
हर्षिता और उनके दोस्तों ने इस पर काम शुरू किया तो सबसे पहले इन्होंने एक पेपर स्प्रे बॉटल ली. इस पेपर स्प्रे बोतल को भी इतना बड़ा रखा कि उसे आसानी से हाथ में पकड़ा जा सके. इसमें उन्होंने एक चाकू लगाया और इसी के साथ उन्होंने एक सीटी जोड़ दी. हर्षिता का कहना है कि "इस तरह का कोई भी एक यंत्र अभी बाजार में नहीं मिलता जिसमें यह तीनों चीज हों. इसमें उन्होंने एक कीचेन भी जोड़ी हुई है ताकि इसे कोई भी लड़की अपने पेंट के बेल्ट में टांग सके या महिला अपने पर्स के बाहर लटका सके."
कई घटनाओं को पढ़ने के बाद बनाया यंत्र
हर्षिता अग्रवाल का कहना है कि "उन्होंने ऐसी कई घटनाएं देखी सुनी जिसमें महिलाओं के पास पेपर स्प्रे था लेकिन जब उनके साथ कोई लूट की या छेड़छाड की घटना घट रही थी तो वे अपना पेपर स्प्रे निकाल नहीं पाई. इसलिए उन्होंने ऐसा यंत्र बनाया जिनको आसानी से दुर्घटना के समय तुरंत निकाल जा सके. यही हाल पर्स में पड़े हुए चाकू का है उसे भी मौके पर नहीं निकाला जा सकता. इसलिए इस यंत्र में इन सब चीजों को एक साथ जोड़ दिया गया है और आपात स्थिति में यह महिला का सबसे करीबी मददगार होगा."
डिवाइस का हुआ पेटेंट
सामान्य तौर पर स्कूल और कॉलेज के प्रोजेक्ट जमा करने के साथ खत्म हो जाते हैं या उनमें छात्र-छात्राओं को नंबर मिल जाते हैं. यह पेटेंट की स्थिति तक नहीं पहुंच पाते लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी वारंगल के प्रोफेसर्स ने और संस्थान ने हर्षित और उनकी टीम की इस कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने का काम किया और भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय के जरिए इसे पेटेंट दिलवाया. अब यह यंत्र और इसका डिजाइन नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी की बौद्धिक संपदा है और इस पेटेंट की भागीदार हर्षिता अग्रवाल और उनकी टीम भी है.
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एक हजार रुपये होगी कीमत
हर्षिता का कहना है कि फिलहाल अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाई हुई हैं और उन्हें उम्मीद है कि पढ़ाई के बाद उन्हें अच्छा प्लेसमेंट मिलेगा और यदि मौका मिला तो वह अपने इस यंत्र को विकसित करके बाजार में भी बेचने की कोशिश करेगी. हर्षिता ने बताया कि इसका प्रोटोटाइप नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी वारंगल में रखा हुआ है और यदि इसको व्यापारिक स्तर पर बनाया जाए तो इसकी कीमत हजार रुपए के आसपास होगी.