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जबलपुर के पनागर में ग्रामीणों ने किया मतदान का बहिष्कार, बोले- सड़क नहीं तो वोट नहीं - Jabalpur Villegers Boycott voting

एमपी के 6 सीटों पर शुक्रवार को मतदान संपन्न हुआ. इस दौरान जहां मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया, तो वहीं कई जगहों पर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार भी किया. इसी तरह जबलपुर के धरहर गांव में 1300 ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया और अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार लगाई.

JABALPUR VILLEGERS BOYCOTT VOTING
जबलपुर के पनागर में ग्रामीणों ने किया मतदान का बहिष्कार, बोले- सड़क नहीं तो वोट नहीं
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 19, 2024, 6:05 PM IST

जबलपुर। जिले के धरहर गांव में लगभग 1300 ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया है. इन लोगों का कहना है कि उनके गांव में सड़क नहीं है और इसकी वजह से पूरा गांव गरीबी और बदहाली की जिंदगी जी रहा है. इसलिए जब तक सरकार की ओर से उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिलता. तब तक वह वोट नहीं करेंगे. गांव के लोगों का कहना है कि 'सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई रुक गई लोगों की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. वहीं गांव के लोग रोजगार करने शहर नहीं जा पा रहे हैं.

सड़क नहीं तो वोट नहीं

जबलपुर के पनागर तहसील के धरहर ग्राम पंचायत में लगभग 1300 मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया. इन ग्रामीणों का कहना है कि 'धरहर ग्राम पंचायत में पांच गांव हैं और इनमें से चार गांव के लिए रोड ही नहीं है. चुनाव के दौरान ग्रामीणों से वादा किया जाता है कि अगले चुनाव तक उन्हें सड़क मिल जाएगी, लेकिन सड़क नहीं बनाई जाती. इसकी वजह से गांव वाले परेशान हैं.

लड़कियों की पढ़ाई छूट गई

इस गांव में रहने वाली छात्रा लता यादव ने बताया कि वह अपनी पढ़ाई आगे करना चाहती थी, लेकिन उनके गांव में सड़क नहीं होने की वजह से वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई. 12वीं तक की पढ़ाई के बाद उसे अपनी पढ़ाई रोकनी पड़ी. लता का कहना है कि सड़क की वजह से वह स्कूल देर से पहुंचते थे. कई बार दुर्घटनाग्रस्त हो जाते थे और गांव के पहले जो घाट है, उस पर साइकिल चलाने में भी बहुत दिक्कत होती है. इसलिए उनकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती और वह फेल हो जाते थे. कई लोगों की पढ़ाई बीच में ही रुक गई.

युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा

गांव के युवा दीपक यादव बताते हैं कि वह शहर जाकर रोजाना काम नहीं कर पाते, क्योंकि गांव में सड़क नहीं है. जिस पथरीली रोड से उन्हें रोज आना-जाना पड़ता है. उस सड़क पर गाड़ी चलाना बहुत कठिन है और पथरीली सड़क की वजह से गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है. दीपक यादव को कहना है कि उन्हें नेताओं पर भरोसा नहीं है. हर चुनाव के पहले उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया जाता है कि उनकी सड़क बनाई जाएगी, लेकिन सड़क नहीं बनाई गई. अब जब तक कलेक्टर ही वादा नहीं करेंगे, तब तक वोट नहीं करेंगे.

स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती

दरअसल जबलपुर के आसपास कई पहाड़ है. इन पहाड़ों पर गांव है और इन गांव में लोग बहुत अधिक बदहाली का जीवन जी रहे हैं. यहां अभी भी बुनियादी सुख सुविधाओं की भारी कमी है, लेकिन इन पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. गांव की बुजुर्ग गेंद बाई बताती हैं कि उनके गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. बीमार लोगों को खटिया में डालकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. सड़क बन जाएगी तो कम से कम लोगों को स्वास्थ्य की सुविधा मिलने लगेगी. गांव के लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने की वजह से उनके गांव में बच्चों की शादियां तक नहीं हो पा रही हैं. कोई भी पिता अपनी बेटी को ऐसे गांव में नहीं भेजना चाहता, जहां सड़क तक नहीं है.

यहां पढ़ें...

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शाम 5:00 बजे तक नहीं हुई वोटिंग

गांव वालों का कहना है कि जब तक प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी आकर लिखित आश्वासन नहीं देते. तब तक गांव में कोई वोट नहीं डालेगा. शाम 5:00 बजे तक किसी ने भी गांव वालों से संपर्क नहीं किया. मतदान दल मतदान केंद्र में खाली बैठा रहा लेकिन वोटिंग नहीं हुई.

जबलपुर। जिले के धरहर गांव में लगभग 1300 ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया है. इन लोगों का कहना है कि उनके गांव में सड़क नहीं है और इसकी वजह से पूरा गांव गरीबी और बदहाली की जिंदगी जी रहा है. इसलिए जब तक सरकार की ओर से उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिलता. तब तक वह वोट नहीं करेंगे. गांव के लोगों का कहना है कि 'सड़क नहीं होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई रुक गई लोगों की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. वहीं गांव के लोग रोजगार करने शहर नहीं जा पा रहे हैं.

सड़क नहीं तो वोट नहीं

जबलपुर के पनागर तहसील के धरहर ग्राम पंचायत में लगभग 1300 मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया. इन ग्रामीणों का कहना है कि 'धरहर ग्राम पंचायत में पांच गांव हैं और इनमें से चार गांव के लिए रोड ही नहीं है. चुनाव के दौरान ग्रामीणों से वादा किया जाता है कि अगले चुनाव तक उन्हें सड़क मिल जाएगी, लेकिन सड़क नहीं बनाई जाती. इसकी वजह से गांव वाले परेशान हैं.

लड़कियों की पढ़ाई छूट गई

इस गांव में रहने वाली छात्रा लता यादव ने बताया कि वह अपनी पढ़ाई आगे करना चाहती थी, लेकिन उनके गांव में सड़क नहीं होने की वजह से वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाई. 12वीं तक की पढ़ाई के बाद उसे अपनी पढ़ाई रोकनी पड़ी. लता का कहना है कि सड़क की वजह से वह स्कूल देर से पहुंचते थे. कई बार दुर्घटनाग्रस्त हो जाते थे और गांव के पहले जो घाट है, उस पर साइकिल चलाने में भी बहुत दिक्कत होती है. इसलिए उनकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती और वह फेल हो जाते थे. कई लोगों की पढ़ाई बीच में ही रुक गई.

युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा

गांव के युवा दीपक यादव बताते हैं कि वह शहर जाकर रोजाना काम नहीं कर पाते, क्योंकि गांव में सड़क नहीं है. जिस पथरीली रोड से उन्हें रोज आना-जाना पड़ता है. उस सड़क पर गाड़ी चलाना बहुत कठिन है और पथरीली सड़क की वजह से गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है. दीपक यादव को कहना है कि उन्हें नेताओं पर भरोसा नहीं है. हर चुनाव के पहले उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया जाता है कि उनकी सड़क बनाई जाएगी, लेकिन सड़क नहीं बनाई गई. अब जब तक कलेक्टर ही वादा नहीं करेंगे, तब तक वोट नहीं करेंगे.

स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती

दरअसल जबलपुर के आसपास कई पहाड़ है. इन पहाड़ों पर गांव है और इन गांव में लोग बहुत अधिक बदहाली का जीवन जी रहे हैं. यहां अभी भी बुनियादी सुख सुविधाओं की भारी कमी है, लेकिन इन पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. गांव की बुजुर्ग गेंद बाई बताती हैं कि उनके गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. बीमार लोगों को खटिया में डालकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. सड़क बन जाएगी तो कम से कम लोगों को स्वास्थ्य की सुविधा मिलने लगेगी. गांव के लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने की वजह से उनके गांव में बच्चों की शादियां तक नहीं हो पा रही हैं. कोई भी पिता अपनी बेटी को ऐसे गांव में नहीं भेजना चाहता, जहां सड़क तक नहीं है.

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शाम 5:00 बजे तक नहीं हुई वोटिंग

गांव वालों का कहना है कि जब तक प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी आकर लिखित आश्वासन नहीं देते. तब तक गांव में कोई वोट नहीं डालेगा. शाम 5:00 बजे तक किसी ने भी गांव वालों से संपर्क नहीं किया. मतदान दल मतदान केंद्र में खाली बैठा रहा लेकिन वोटिंग नहीं हुई.

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