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लव मैरिज के जानिए साइड इफेक्ट, प्रेमी से पति बनने के बाद ज्यादातर प्रेम विवाह क्यों टूट जाते हैं - rift in love marriage relationships

Love Marriage Side Effects: वैलेंटाइन-डे के दिन लव मैरिज पर चर्चा करना जरूरी है. जबलपुर के परिवार परामर्श केन्द्र के परामर्शदाताओं का दावा है कि ज्यादातर प्रेम विवाह सफल नहीं होते.कम से कम 30 प्रतिशत से ज्यादा लव मैरिज टूट जाती हैं.

jabalpur valentine side effects
लव मैरिज के साइड इफेक्ट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 8:35 PM IST

लव मैरिज के साइड इफेक्ट

जबलपुर। वैलेंटाइन-डे के दिन लव मैरिज पर चर्चा भी जरूरी हो जाती है.सामाजिक परिवेश में तलाक के बढ़ते मामलों से कई शादियां टूट रही हैं.इनमें अरेंज मैरिज के साथ लव मैरिज भी हैं. फिलहाल देखा जा रहा है कि ज्यादातर लव मैरिज में प्रेमी से पति बनने के बाद उनके रिश्तों में खटास आने लगती है और नौबत रिश्ते टूटने तक आ जाती है.एक अनुमान के मुताबिक ऐसा दावा किया जा रहा है कि 30 प्रतिशत प्रेम विवाह सफल ही नहीं होते.

'30 प्रतिशत प्रेम विवाह सफल नहीं'

जबलपुर में पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के जरिए लोगों के रिश्ते बचाते सामाजिक कार्यकर्ता अंशुमान भार्गव का दावा है कि 30% प्रेम विवाह सफल नहीं होते और शादियां टूट जाती हैं. पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में ही अक्सर आने वाले मामलों को देखने के बाद महिला परामर्शदाता सुप्रिया जैन का कहना है कि सोशल मीडिया के जरिए किए गए झूठे वादे अक्सर प्रेमी, पति के रूप में पूरा नहीं कर पाते और परिवार टूट जाते हैं.

Police Family Counseling Center
पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचते हैं हर साल सैकड़ों मामले

15 साल में 28 हजार मामले

वैलेंटाइन-डे के दिन प्रेम विवाह पर चर्चा करना जरूरी है.जबलपुर में परिवार परामर्श केंद्र में बीते कई सालों से टूटे हुए परिवारों को जोड़ने की कोशिश करने वाले परामर्शदाता अंशुमान भार्गव का कहना है कि "बीते लगभग 15 सालों के अनुभव में उन्होंने कुछ आंकड़े भी इकट्ठे किए हैं जिसमें लगभग 70% प्रेम विवाह ही सफल होते हैं 30% प्रेम विवाह टूट जाते हैं." अंशुमान भार्गव का कहना है कि 2012 से अब तक परिवार परामर्श केंद्र में लगभग 28 हजार मामले आए इनमें से 10 हजार से ज्यादा केवल प्रेम विवाह के थे. इनमें से मात्र 28% मामलों में ही समझौता सफल रहा बाकी सभी शादियां टूट गईं.

'कम उम्र का प्यार ज्यादा दिनों नहीं टिकता'

अंशुमान भार्गव का कहना है कि उनके पास अक्सर ही ऐसे मामले आते हैं जिनमें प्यार करने की उम्र बहुत कम थी यानि जानपहचान के बाद कम समय में शादी करने वाले मामले. ऐसे प्रेम विवाहों के टूटने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है. इनमें कई मामले तो ऐसे हुए हैं जिनमें विवाह को पूरा महीना नहीं हो पाया और वह परामर्श केंद्र तक पहुंच गया.अंशुमान भार्गव का कहना है कि "इसमें झूठ बोलकर प्रेमी लड़की को बरगला देता है और लड़की जब प्रेमी के जाल में फंस जाती है तो शादी के लिए तैयार हो जाती है लेकिन जल्दी ही उसका यह सपना टूट जाता है. जैसे ही वह ससुराल पहुंचती है उसे प्रेमी के अलावा परिवार में सास ससुर ननद भी मिलती है और यहीं प्यार का सपना चूर-चूर हो जाता है". अंशुमान भार्गव का कहना है कि रोज ऐसे मामले परामर्श केंद्र में आते हैं.

'समझदारी वाले रिश्ते टिकते हैं'

प्यार के बारे में कहा जाता है कि वह किया नहीं जाता हो जाता है लेकिन अक्सर ऐसा प्यार परवान नहीं चढ़ पाता लेकिन जो प्यार समझदारी से किया जाता है उनके रिश्ते टिकते हैं. अंशुमन भार्गव का कहना है कि उन्होंने प्रेम विवाह के बाद 70% शादियां ऐसी होती हैं जिनमें प्रेम विवाह सफल रहा लेकिन यह सभी शादियां परिपक्व लोगों की थी. जिनकी उम्र थोड़ी ठीक थी और ज्यादातर लोग कामकाजी थे.

ये भी पढ़ें:

'संबंधों में गंभीरता जरूरी'

परिवार परामर्श केंद्र की महिला सदस्य सुप्रिया जैन का कहना है कि आजकल के रिश्ते सोशल मीडिया से शुरू होते हैं. शुरुआत सोशल मीडिया पर परिचय से होती है फिर सोशल मीडिया के जरिए ही लंबी चौड़ी बातचीत होती है और कई दिनों के संबंध रहते हैं. यह जब तक सोशल मीडिया पर रहता है तब तक बहुत अच्छा लगता है लेकिन जैसे ही यह सोशल मीडिया से हटकर एक रिश्ते की शक्ल में आता है इसमें बुराइयां शुरू हो जाती हैं. जो झूठे वादे सोशल मीडिया पर प्रेमी करता है वह दरअसल में पूरे नहीं कर पाता और कई बार शादी के एक सप्ताह बाद ही परिवार परामर्श केंद्र तक पहुंच जाते हैं. सुप्रिया जैन का कहना है कि संबंधों को स्थाई बनाए रखने में गंभीरता रखना बहुत जरूरी है.यदि बच्चे हैं तो पति और पत्नी को यहां आने से पहले बहुत सोचना चाहिए.

लव मैरिज के साइड इफेक्ट

जबलपुर। वैलेंटाइन-डे के दिन लव मैरिज पर चर्चा भी जरूरी हो जाती है.सामाजिक परिवेश में तलाक के बढ़ते मामलों से कई शादियां टूट रही हैं.इनमें अरेंज मैरिज के साथ लव मैरिज भी हैं. फिलहाल देखा जा रहा है कि ज्यादातर लव मैरिज में प्रेमी से पति बनने के बाद उनके रिश्तों में खटास आने लगती है और नौबत रिश्ते टूटने तक आ जाती है.एक अनुमान के मुताबिक ऐसा दावा किया जा रहा है कि 30 प्रतिशत प्रेम विवाह सफल ही नहीं होते.

'30 प्रतिशत प्रेम विवाह सफल नहीं'

जबलपुर में पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के जरिए लोगों के रिश्ते बचाते सामाजिक कार्यकर्ता अंशुमान भार्गव का दावा है कि 30% प्रेम विवाह सफल नहीं होते और शादियां टूट जाती हैं. पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में ही अक्सर आने वाले मामलों को देखने के बाद महिला परामर्शदाता सुप्रिया जैन का कहना है कि सोशल मीडिया के जरिए किए गए झूठे वादे अक्सर प्रेमी, पति के रूप में पूरा नहीं कर पाते और परिवार टूट जाते हैं.

Police Family Counseling Center
पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचते हैं हर साल सैकड़ों मामले

15 साल में 28 हजार मामले

वैलेंटाइन-डे के दिन प्रेम विवाह पर चर्चा करना जरूरी है.जबलपुर में परिवार परामर्श केंद्र में बीते कई सालों से टूटे हुए परिवारों को जोड़ने की कोशिश करने वाले परामर्शदाता अंशुमान भार्गव का कहना है कि "बीते लगभग 15 सालों के अनुभव में उन्होंने कुछ आंकड़े भी इकट्ठे किए हैं जिसमें लगभग 70% प्रेम विवाह ही सफल होते हैं 30% प्रेम विवाह टूट जाते हैं." अंशुमान भार्गव का कहना है कि 2012 से अब तक परिवार परामर्श केंद्र में लगभग 28 हजार मामले आए इनमें से 10 हजार से ज्यादा केवल प्रेम विवाह के थे. इनमें से मात्र 28% मामलों में ही समझौता सफल रहा बाकी सभी शादियां टूट गईं.

'कम उम्र का प्यार ज्यादा दिनों नहीं टिकता'

अंशुमान भार्गव का कहना है कि उनके पास अक्सर ही ऐसे मामले आते हैं जिनमें प्यार करने की उम्र बहुत कम थी यानि जानपहचान के बाद कम समय में शादी करने वाले मामले. ऐसे प्रेम विवाहों के टूटने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है. इनमें कई मामले तो ऐसे हुए हैं जिनमें विवाह को पूरा महीना नहीं हो पाया और वह परामर्श केंद्र तक पहुंच गया.अंशुमान भार्गव का कहना है कि "इसमें झूठ बोलकर प्रेमी लड़की को बरगला देता है और लड़की जब प्रेमी के जाल में फंस जाती है तो शादी के लिए तैयार हो जाती है लेकिन जल्दी ही उसका यह सपना टूट जाता है. जैसे ही वह ससुराल पहुंचती है उसे प्रेमी के अलावा परिवार में सास ससुर ननद भी मिलती है और यहीं प्यार का सपना चूर-चूर हो जाता है". अंशुमान भार्गव का कहना है कि रोज ऐसे मामले परामर्श केंद्र में आते हैं.

'समझदारी वाले रिश्ते टिकते हैं'

प्यार के बारे में कहा जाता है कि वह किया नहीं जाता हो जाता है लेकिन अक्सर ऐसा प्यार परवान नहीं चढ़ पाता लेकिन जो प्यार समझदारी से किया जाता है उनके रिश्ते टिकते हैं. अंशुमन भार्गव का कहना है कि उन्होंने प्रेम विवाह के बाद 70% शादियां ऐसी होती हैं जिनमें प्रेम विवाह सफल रहा लेकिन यह सभी शादियां परिपक्व लोगों की थी. जिनकी उम्र थोड़ी ठीक थी और ज्यादातर लोग कामकाजी थे.

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'संबंधों में गंभीरता जरूरी'

परिवार परामर्श केंद्र की महिला सदस्य सुप्रिया जैन का कहना है कि आजकल के रिश्ते सोशल मीडिया से शुरू होते हैं. शुरुआत सोशल मीडिया पर परिचय से होती है फिर सोशल मीडिया के जरिए ही लंबी चौड़ी बातचीत होती है और कई दिनों के संबंध रहते हैं. यह जब तक सोशल मीडिया पर रहता है तब तक बहुत अच्छा लगता है लेकिन जैसे ही यह सोशल मीडिया से हटकर एक रिश्ते की शक्ल में आता है इसमें बुराइयां शुरू हो जाती हैं. जो झूठे वादे सोशल मीडिया पर प्रेमी करता है वह दरअसल में पूरे नहीं कर पाता और कई बार शादी के एक सप्ताह बाद ही परिवार परामर्श केंद्र तक पहुंच जाते हैं. सुप्रिया जैन का कहना है कि संबंधों को स्थाई बनाए रखने में गंभीरता रखना बहुत जरूरी है.यदि बच्चे हैं तो पति और पत्नी को यहां आने से पहले बहुत सोचना चाहिए.

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