जबलपुर: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के फार्मेसी डिपार्टमेंट के छात्र-छात्राओं ने एक अनोखी खोज की है. इनका दावा है कि पूरी दुनिया में इस तरह का कोई प्रयोग नहीं किया गया. इन्होंने एड़ी फटने की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए एक दवा खोजी है. इन छात्र-छात्राओं का कहना है कि मोरिंगा (सहजन, मुनगा) की पत्तियों के अर्क से इस समस्या का पूरा समाधान मिल जाएगा.
ऐसे उत्पन्न होती है यह समस्या
टिनिया पेडिस, इसे हिंदी में बिवाई कहा जाता है. इस समस्या को लेकर कहावत भी है कि " जाके पांव न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई". हालांकि, इन छात्रों ने दूसरों के इस दर्द को समझते हुए इसका परमानेंट इलाज खोज निकाला है. यह समस्या पांव की एड़ी में देखने को मिलती है, सामान्य तौर पर जो लोग जूते नहीं पहनते हैं या फिर लगातार पानी में रहते हैं. उनके पैर की स्किन फट जाती है और इसमें बहुत तेज दर्द होता है.
फटी एड़ियों के लिए फायदेमंद है ये क्रीम
जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के फार्मेसी डिपार्मेंट में दवा बनाने से लेकर उसके उपयोग पर अध्ययन किया जाता है. बी फार्मा और डी फार्मा की डिग्री की पढ़ाई यहां होती है. यहीं पर छात्र-छात्राएं दाव का उपयोग भी सीखते हैं. इसी डिपार्टमेंट की छात्रा योतसना ने बताया कि उन्होंने कुछ जेल क्रीम बनाई है, जिसमें मोरिंगा, सहजन या जिसे सामान्य भाषा में मुनगा कहा जाता है. इसकी पत्तियों का एक्सट्रैक्ट निकालकर क्रीम में मिलाया है. इन छात्र-छात्राओं का दावा है कि यह क्रीम फटी एड़ियों के लिए बहुत ही फायदेमंद दवा है.
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क्लिनिकल ट्रायल में अच्छे परिणाम आए
छात्र अभय तिवारी ने बताया, "इस क्रीम को क्लिनिकल ट्रायल के लिए विभाग की ओर से भेजा गया है. इसका प्रयोग जानवरों पर किया गया, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं. अब इसे इंसानों पर इस्तेमाल करने के लिए भेजा जा रहा है. यदि इस बार क्लिनिकल ट्रायल सफल होती है, तो विभाग इसका पेटेंट लेगा."