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नथ पहनने पर जूतों से पिटाई, इस समाज में आज भी है महिलाओं के श्रृंगार पर पाबंदी - बेन समाज में श्रृंगार पर है पाबंदी

Wearing Nose Ring Beating With Shoes: कहा जाता है कि महिलाओं के 16 श्रृंगारों में नथ पहनना सबसे अहम श्रृंगार होता है.लेकिन आज भी कुछ समाज में नथ पहनने के साथ श्रृंगार पर भी पाबंदी है.यदि ऐसी गलती कोई महिला कर देती है तो उसकी सरेआम जूतों से पिटाई होती है.

beating woman with shoes
बेन समाज में श्रृंगार पर है पाबंदी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 1:07 PM IST

Updated : Jan 30, 2024, 2:19 PM IST

नथ पहनने पर जूतों से पिटाई

जबलपुर। गले में हार या मंगलसूत्र, झुमके, बिंदी, नथ, बिछुड़ी, अंगूठी और भी कई प्रकार का श्रृंगार या कहें कि महिलाओं का सोलह श्रृंगार. इनमें नथ पहनना सबसे अहम माना जाता है. लेकिन बेन समाज में नथ पहनने के साथ श्रृंगार पर भी पाबंदी है.ऐसा यदि किसी महिला शौक में भी कर लिया तो उसकी सरेआम जूतों से पिटाई होती है. जबलपुर के पनागर में एक महिला ने नथ पहनने के लिए नाक में छेद करवा लिया.इस महिला को सरेआम जूतों से पीटा गया.

नथुनिया कहकर महिला के साथ की गई पिटाई

जबलपुर के पनागर क्षेत्र में वंशकार परिवार में एक सामाजिक कार्यक्रम था. इस दौरान कुछ महिलाएं नाक में नथ पहने हुई थीं जब इन पर कुछ लोगों की नजर पड़ी तो समाज के ही लोगों में कानाफूसी शुरू हुई और इसके बाद एक महिला के साथ समाज के पुरुषों ने पिटाई शुरू कर दी. उसे सार्वजनिक रूप से मारा गया. उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने नाक में छेद करवाकर नथ पहन ली थी.इसके बाद उसे नथुनिया कहकर अपमानित किया गया और उसकी पिटाई की गई.

'श्रृंगार करना पाप माना जाता है'

सांस्कृतिक कल्याण महिला मंडल की अध्यक्ष प्रीति वंशकार बताती हैं कि वे भी बेन समाज से ताल्लुक रखती हैं. इस समाज में आज भी रूढ़िवादी प्रथाएं चल रही हैं. उनका कहना है कि जिस महिला के साथ मारपीट की गई उसकी गलती यह बताई गई कि उसने श्रृंगार करने के लिए नाक में छेद क्यों करवाया. प्रीति वंशकार ने बताया कि दरअसल हमारे समाज के कुछ रूढ़िवादी बुजुर्ग पुरुष ऐसा कहते हैं कि माथे पर बिंदी लगाना, श्रृंगार करना उनके समाज की महिलाओं के लिए वर्जित है और ऐसा करने से देवी देवताओं का अपमान होता है.

मुखिया करते हैं समाज की परंपरा को तय

यह परंपरा मूल रूप से बेन समाज के भीतर है. जबलपुर में बड़ी तादाद में बेन समाज के लोग रहते हैं. वंशकार और चौधरी जाति के लोग भी आपस में शादी विवाह और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं. चूंकि यह परंपरा बेन समाज में रूढ़ी बन गई है इसलिए यदि कोई चौधरी या वंशकार समाज का परिवार जब बेन समाज के कार्यक्रम में शामिल होता है तो बेन समाज के मुखिया उस पर अपनी परंपरा को मनवाने का दबाव डालते हैं. आज भी समाज में मुखिया बनाने की परंपरा है. इन दिनों जो मुखिया बने हुए हैं वह पढ़े-लिखे लोग हैं इनमें से कुछ तो नौकरी पेशा भी हैं लेकिन उसके बाद भी वह रूढ़िवादी परंपरा को खत्म करना नहीं चाहते.

महिला संगठन ने पुलिस को दिया आवेदन

जब इस मारपीट का वीडियो सामने आया तो जबलपुर के सांस्कृतिक कल्याण महिला मंडल की सदस्य महिलाओं ने जबलपुर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें उन्होंने महिला के साथ मारपीट करने वाले पुरुषों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. प्रीति वंशकार का कहना है कि यह परंपरा गलत है. महिलाओं को अपनी स्वतंत्रता के अनुसार रहने की पूरी आजादी है आज जब पूरी दुनिया में महिलाओं को उनके अधिकार मिल चुके हैं ऐसे समाज में ऐसी पुरानी रूढ़िवादी परंपराएं जिंदा रखना गलत है. इसलिए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

करोड़ों रुपये खर्च फिर भी यही स्थिति

वंशकार, चौधरी, बेन ये सभी जातियां अनुसूचित जाति मानी जाती हैं और उनके उत्थान के लिए सरकार करोड़ों रुपया खर्च भी कर रही है लेकिन इनके उत्थान में लगे हुए ज्यादातर अधिकारी और विभाग भ्रष्ट हैं. इन जातियों के उत्थान के लिए खर्च की जा रही राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है. सरकार और समाज अपना हिस्सा इन समाजों के उत्थान में इसलिए देती है ताकि परंपराओं और कुरीतियों की वजह से गरीब रह गए लोग अच्छा जीवन जी सकें लेकिन इन्हीं समाजों के कुछ रूढ़िवादी लोग परंपराएं खत्म न करने के नाम पर समाज को पिछड़ा बनाकर रखे हुए हैं.

नथ पहनने पर जूतों से पिटाई

जबलपुर। गले में हार या मंगलसूत्र, झुमके, बिंदी, नथ, बिछुड़ी, अंगूठी और भी कई प्रकार का श्रृंगार या कहें कि महिलाओं का सोलह श्रृंगार. इनमें नथ पहनना सबसे अहम माना जाता है. लेकिन बेन समाज में नथ पहनने के साथ श्रृंगार पर भी पाबंदी है.ऐसा यदि किसी महिला शौक में भी कर लिया तो उसकी सरेआम जूतों से पिटाई होती है. जबलपुर के पनागर में एक महिला ने नथ पहनने के लिए नाक में छेद करवा लिया.इस महिला को सरेआम जूतों से पीटा गया.

नथुनिया कहकर महिला के साथ की गई पिटाई

जबलपुर के पनागर क्षेत्र में वंशकार परिवार में एक सामाजिक कार्यक्रम था. इस दौरान कुछ महिलाएं नाक में नथ पहने हुई थीं जब इन पर कुछ लोगों की नजर पड़ी तो समाज के ही लोगों में कानाफूसी शुरू हुई और इसके बाद एक महिला के साथ समाज के पुरुषों ने पिटाई शुरू कर दी. उसे सार्वजनिक रूप से मारा गया. उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने नाक में छेद करवाकर नथ पहन ली थी.इसके बाद उसे नथुनिया कहकर अपमानित किया गया और उसकी पिटाई की गई.

'श्रृंगार करना पाप माना जाता है'

सांस्कृतिक कल्याण महिला मंडल की अध्यक्ष प्रीति वंशकार बताती हैं कि वे भी बेन समाज से ताल्लुक रखती हैं. इस समाज में आज भी रूढ़िवादी प्रथाएं चल रही हैं. उनका कहना है कि जिस महिला के साथ मारपीट की गई उसकी गलती यह बताई गई कि उसने श्रृंगार करने के लिए नाक में छेद क्यों करवाया. प्रीति वंशकार ने बताया कि दरअसल हमारे समाज के कुछ रूढ़िवादी बुजुर्ग पुरुष ऐसा कहते हैं कि माथे पर बिंदी लगाना, श्रृंगार करना उनके समाज की महिलाओं के लिए वर्जित है और ऐसा करने से देवी देवताओं का अपमान होता है.

मुखिया करते हैं समाज की परंपरा को तय

यह परंपरा मूल रूप से बेन समाज के भीतर है. जबलपुर में बड़ी तादाद में बेन समाज के लोग रहते हैं. वंशकार और चौधरी जाति के लोग भी आपस में शादी विवाह और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं. चूंकि यह परंपरा बेन समाज में रूढ़ी बन गई है इसलिए यदि कोई चौधरी या वंशकार समाज का परिवार जब बेन समाज के कार्यक्रम में शामिल होता है तो बेन समाज के मुखिया उस पर अपनी परंपरा को मनवाने का दबाव डालते हैं. आज भी समाज में मुखिया बनाने की परंपरा है. इन दिनों जो मुखिया बने हुए हैं वह पढ़े-लिखे लोग हैं इनमें से कुछ तो नौकरी पेशा भी हैं लेकिन उसके बाद भी वह रूढ़िवादी परंपरा को खत्म करना नहीं चाहते.

महिला संगठन ने पुलिस को दिया आवेदन

जब इस मारपीट का वीडियो सामने आया तो जबलपुर के सांस्कृतिक कल्याण महिला मंडल की सदस्य महिलाओं ने जबलपुर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें उन्होंने महिला के साथ मारपीट करने वाले पुरुषों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. प्रीति वंशकार का कहना है कि यह परंपरा गलत है. महिलाओं को अपनी स्वतंत्रता के अनुसार रहने की पूरी आजादी है आज जब पूरी दुनिया में महिलाओं को उनके अधिकार मिल चुके हैं ऐसे समाज में ऐसी पुरानी रूढ़िवादी परंपराएं जिंदा रखना गलत है. इसलिए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.

करोड़ों रुपये खर्च फिर भी यही स्थिति

वंशकार, चौधरी, बेन ये सभी जातियां अनुसूचित जाति मानी जाती हैं और उनके उत्थान के लिए सरकार करोड़ों रुपया खर्च भी कर रही है लेकिन इनके उत्थान में लगे हुए ज्यादातर अधिकारी और विभाग भ्रष्ट हैं. इन जातियों के उत्थान के लिए खर्च की जा रही राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है. सरकार और समाज अपना हिस्सा इन समाजों के उत्थान में इसलिए देती है ताकि परंपराओं और कुरीतियों की वजह से गरीब रह गए लोग अच्छा जीवन जी सकें लेकिन इन्हीं समाजों के कुछ रूढ़िवादी लोग परंपराएं खत्म न करने के नाम पर समाज को पिछड़ा बनाकर रखे हुए हैं.

Last Updated : Jan 30, 2024, 2:19 PM IST
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