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जबलपुर के गरीब विधायक की दरियादिली, सरकारी अस्पताल बनाने के लिए दान की 50 लाख की निजी जमीन - MLA donated land for the hospital

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 1, 2024, 11:04 PM IST

जबलपुर के कुंडम इलाके के आदिवासी विधायक संतोष बरकडे ने अपने इलाके में सरकारी अस्पताल बनाने के लिए 50 लाख की कीमत की जमीन सरकार को दान कर दी है. इस क्षेत्र में 60 से 70 गांवों के बीच में अस्पताल नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही थी.

MLA DONATED LAND FOR THE HOSPITAL
जबलपुर के गरीब विधायक ने सरकारी अस्पताल बनाने के लिए दान की 50 लाख की निजी जमीन (Etv Bharat)

जबलपुर। विधायक और सांसद बनने के बाद अक्सर नेता अपना घर भरते हैं. ऐसे कम ही उदाहरण देखने को मिलेंगे जब नेताओं ने पद पर पहुंचने के बाद व्यक्तिगत पूंजी से कोई दान किया हो, लेकिन जबलपुर के कुंडम इलाके के आदिवासी विधायक संतोष बरकडे ने अस्पताल बनाने के लिए अपनी सवा एकड़ सरकार को दान कर दी. जबकि यह जमीन एक नेशनल हाईवे से लगी हुई थी और संतोष बरकड़े एक मध्यम वर्गीय परिवार के सदस्य हैं, लेकिन इस इलाके में इलाज की सुविधा नहीं होने की वजह से उन्होंने अस्पताल के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है.

जबलपुर के गरीब विधायक ने सरकारी अस्पताल बनाने के लिए दान की 50 लाख की निजी जमीन (Etv Bharat)

इस इलाके में दूर-दूर तक नहीं हैं अस्पताल

जबलपुर का पड़रिया गांव आदिवासी बहुल गांव है. यह गांव सुविधाओं के हिसाब से बहुत पिछड़ा हुआ है. यहां अभी भी लोग मूलभूत जरूरत के लिए संघर्ष करते हुए नजर आते हैं. इसकी हालत बिल्कुल दिया तले अंधेरे जैसी है. एक तरफ शहर में विकास के लिए अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वहीं इन ग्रामीण इलाकों में छोटे-छोटे विकास कामों के लिए बड़ी समस्याएं होती हैं. पड़रिया गांव के आसपास कोई सरकारी अस्पताल नहीं है और लगभग 60 से 70 गांव इस क्षेत्र में है. सरकारी अस्पताल बनाने के लिए इस क्षेत्र में सरकारी जमीन नहीं थी, जबकि अस्पताल के लिए सरकार की ओर से पैसे मिल गए थे. ऐसी स्थिति में स्थानीय विधायक संतोष वरकडे ने दरियादिली दिखाते हुए अपनी एक एकड़ से ज्यादा जमीन सरकारी अस्पताल बनाने के लिए दान कर दी. बाजार भाव से इस जमीन की कीमत लगभग 50 लाख रुपए है.

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विधायक की दरियादिली लोगों को आई पसंद

संतोष बरकड़े का कहना है कि ''एक बार यदि पैसा लौट जाता तो शायद इस इलाके में फिर दोबारा अस्पताल खुल नहीं पाता. सरकारी जमीन आसपास कहीं नहीं है. ऐसी स्थिति में मुझे यह फैसला लेना पड़ा. अब जमीन पर काम शुरू हो गया है.'' संतोष बरकड़े एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार के सदस्य हैं. उनके घर में एक छोटी सी फोटो कॉपी की दुकान है और 8 एकड़ जमीन पर खेती होती है. जिससे इस परिवार का गुजारा चलता है. संतोष बरकडे लगातार राजनीति में सक्रिय रहे और उनकी इसी स्वच्छ छवि की वजह से जनता ने उन्हें विधायक बना दिया. गरीब स्थिति के होने के बाद भी संतोष ने जो दरियादिली दिखाई है लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. संतोष बरकड़े का कहना है कि ''इस आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहद अभाव है और इलाज करवाने के लिए इस क्षेत्र के लोगों को दूर का सफर करना पड़ता है, इसलिए 6 बेड का यह अस्पताल इस क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा. एक बार अस्पताल बन जाए. फिर इसके उन्नयन की भी कोशिश की जाएगी.''

जबलपुर। विधायक और सांसद बनने के बाद अक्सर नेता अपना घर भरते हैं. ऐसे कम ही उदाहरण देखने को मिलेंगे जब नेताओं ने पद पर पहुंचने के बाद व्यक्तिगत पूंजी से कोई दान किया हो, लेकिन जबलपुर के कुंडम इलाके के आदिवासी विधायक संतोष बरकडे ने अस्पताल बनाने के लिए अपनी सवा एकड़ सरकार को दान कर दी. जबकि यह जमीन एक नेशनल हाईवे से लगी हुई थी और संतोष बरकड़े एक मध्यम वर्गीय परिवार के सदस्य हैं, लेकिन इस इलाके में इलाज की सुविधा नहीं होने की वजह से उन्होंने अस्पताल के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है.

जबलपुर के गरीब विधायक ने सरकारी अस्पताल बनाने के लिए दान की 50 लाख की निजी जमीन (Etv Bharat)

इस इलाके में दूर-दूर तक नहीं हैं अस्पताल

जबलपुर का पड़रिया गांव आदिवासी बहुल गांव है. यह गांव सुविधाओं के हिसाब से बहुत पिछड़ा हुआ है. यहां अभी भी लोग मूलभूत जरूरत के लिए संघर्ष करते हुए नजर आते हैं. इसकी हालत बिल्कुल दिया तले अंधेरे जैसी है. एक तरफ शहर में विकास के लिए अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वहीं इन ग्रामीण इलाकों में छोटे-छोटे विकास कामों के लिए बड़ी समस्याएं होती हैं. पड़रिया गांव के आसपास कोई सरकारी अस्पताल नहीं है और लगभग 60 से 70 गांव इस क्षेत्र में है. सरकारी अस्पताल बनाने के लिए इस क्षेत्र में सरकारी जमीन नहीं थी, जबकि अस्पताल के लिए सरकार की ओर से पैसे मिल गए थे. ऐसी स्थिति में स्थानीय विधायक संतोष वरकडे ने दरियादिली दिखाते हुए अपनी एक एकड़ से ज्यादा जमीन सरकारी अस्पताल बनाने के लिए दान कर दी. बाजार भाव से इस जमीन की कीमत लगभग 50 लाख रुपए है.

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विधायक की दरियादिली लोगों को आई पसंद

संतोष बरकड़े का कहना है कि ''एक बार यदि पैसा लौट जाता तो शायद इस इलाके में फिर दोबारा अस्पताल खुल नहीं पाता. सरकारी जमीन आसपास कहीं नहीं है. ऐसी स्थिति में मुझे यह फैसला लेना पड़ा. अब जमीन पर काम शुरू हो गया है.'' संतोष बरकड़े एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार के सदस्य हैं. उनके घर में एक छोटी सी फोटो कॉपी की दुकान है और 8 एकड़ जमीन पर खेती होती है. जिससे इस परिवार का गुजारा चलता है. संतोष बरकडे लगातार राजनीति में सक्रिय रहे और उनकी इसी स्वच्छ छवि की वजह से जनता ने उन्हें विधायक बना दिया. गरीब स्थिति के होने के बाद भी संतोष ने जो दरियादिली दिखाई है लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. संतोष बरकड़े का कहना है कि ''इस आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहद अभाव है और इलाज करवाने के लिए इस क्षेत्र के लोगों को दूर का सफर करना पड़ता है, इसलिए 6 बेड का यह अस्पताल इस क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा. एक बार अस्पताल बन जाए. फिर इसके उन्नयन की भी कोशिश की जाएगी.''

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