जबलपुर। लोक सभा चुनाव 2024 में महाकौशल के कुछ मतदान केंद्र निर्वाचन आयोग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं. इनमें जबलपुर का एक मतदान केंद्र ऐसा भी है जहां स्टीमर से मतदान दल को जाना पड़ता है. मंडला लोकसभा में भी कुछ मतदान केंद्र भी ऐसे हैं जहां नक्सलियों का खौफ रहता है. इधर, सिवनी के कुछ इलाकों में पेंच टाइगर रिजर्व के भीतर मतदान दलों को जंगल में चुनाव करवाने में डर के साथ रोमांच का भी अनुभव होता है.
स्टीमर से पहुंचता है मतदान दल
महाकौशल इलाके की दो महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र जबलपुर और मंडला में 19 अप्रैल को मतदान होना है. जबलपुर में यूं तो 2000 से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं लेकिन एक मतदान केंद्र जबलपुर जिला प्रशासन के लिए हमेशा चुनौती रहता है. इस मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए जबलपुर जिले से कोई सीधी सड़क नहीं है. यदि इस मतदान केंद्र पर सड़क मार्ग से जाना है तो लगभग 80 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. यह मतदान केन्द्र बरगी बांध के बैक वाटर में पड़ता है. इस मतदान केंद्र में लगभग 250 वोटर हैं और 5 गांव हैं. लोकसभा चुनाव के लिए यहां जबलपुर से एक मतदान दल स्टीमर के जरिए यहां पहुंचता है. यहां मतदान केंद्र एक स्कूल में बनता है. जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना का कहना है कि "यह चुनौती पूर्ण है लेकिन लोकतंत्र में हर मतदाता को वोट डालने का अधिकार है".
मंडला के नक्सली प्रभावित इलाकों के मतदान केंद्र
मंडला लोकसभा में कान्हा टाइगर रिजर्व के पास बड़ा इलाका नक्सल प्रभावित है. इस जंगल के भीतर 12 मतदान केंद्र बनते हैं जो मवई और राता के पास में है. इन मतदान केन्द्रों पर भी वोटिंग करवाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती रहती है. मतदाता नक्सलियों के डर से वोट करने नहीं आते लेकिन यहां भी प्रशासन ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए हैं.
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सिवनी जिले के मतदान केंद्र
सिवनी जिले में भी कई मतदान केंद्र पेंच टाइगर रिजर्व के भीतर बनाए जाते हैं. हालांकि यहां नक्सल समस्या नहीं है लेकिन यहां जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है. लोगों का कहना है कि वोटर को वोट करने में समस्या नहीं जाती लेकिन मतदान करवाने के लिए जो मतदान दल जाते हैं वह घने जंगलों से होकर पहुंचते हैं.