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जंगली हाथियों के मामले में कोर्ट ने सरकार से किए सवाल, 3 माह में छोड़ा जाएगा पहला जंगली हाथी

मध्यप्रदेश में जंगली हाथियों को पकड़कर टाइगर रिजर्व में रखने का मामला, सरकार को छोड़ने होंगे हाथी

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

जबलपुर: जंगली हाथियों को पकड़ने के खिलाफ लगी याचिका पर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से सवाल किया है. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश सरकार से पूछा है कि किस आदेश के तहत जंगली हाथियों को पकड़कर प्रशिक्षण शिविर में रखा गया है. दरअसल, जंगली हाथियों को पकड़कर टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षण शिविर में रखने के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी और उनको जंगलों में छोड़ने की मांग की गई थी.

हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका

रायपुर के रहवासी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन्स के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ने का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. कुछ मामलों में जंगली हाथियों द्वारा किए गए हमलों में लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.

ये भी पढ़ें:

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'ट्रेनिंग के दौरान हाथियों को दी जाती हैं यातनाएं'

हाईकोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक, जंगली हाथियों को प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्डलाइफ के आदेश पर ही पकड़ा जा सकता है. जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आते हैं और पकड़े जाने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व में भेजकर प्रशिक्षण दिया जाता है. ट्रेनिंग के दौरान हाथियों को यातनाओं का सामना करना पड़ता है. इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया था कि पिछले 30 वर्षों में पकड़े गए हाथियों का पूरा विवरण पेश करें. सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2017 से अब तक 10 जंगली हाथियों को पकड़ा गया है, जिसमें से दो हाथियों को छोड़ा जाना है. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गई. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की.

जबलपुर: जंगली हाथियों को पकड़ने के खिलाफ लगी याचिका पर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से सवाल किया है. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश सरकार से पूछा है कि किस आदेश के तहत जंगली हाथियों को पकड़कर प्रशिक्षण शिविर में रखा गया है. दरअसल, जंगली हाथियों को पकड़कर टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षण शिविर में रखने के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी और उनको जंगलों में छोड़ने की मांग की गई थी.

हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका

रायपुर के रहवासी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन्स के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ने का कदम अंतिम उपाय के रूप में होना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश में इसे पहले विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद होती हैं और घरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. कुछ मामलों में जंगली हाथियों द्वारा किए गए हमलों में लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.

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'ट्रेनिंग के दौरान हाथियों को दी जाती हैं यातनाएं'

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