जबलपुर : डाटा एंट्री ऑपरेटर्स की नियुक्ति समाप्त करने के खिलाफ लगी एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. इस मामले में राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए अपील दायर की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद संविदा कर्मचारी की सेवा समाप्त की जा सकती है और संविदा कर्मी सेवा समाप्ति की सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते है. निर्धारित अवधि के बाद संविदा कर्मचारी को हटाना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता.
राज्य सरकार ने दी थी ये दलील
राज्य सरकार की ओर से दायर अपील में कहा गया था कि प्रदेश सरकार ने साल 2010 में डाटा एंट्री के 50 पद दो साल की संविदा नियुक्ति के लिए सृजित करते हुए विज्ञापन जारी किए थे. याचिकाकर्ताओं ने आवेदन पेश किया और सफल होते हुए नियुक्ति प्राप्क की थी. 2011 में 50 पदों पर संविदा नियुक्ति प्रदान की गई थी और 2013 में सभी कर्मचारियों की संविदा अवधि दो साल तक बढ़ा दी गई थी. इसके बाद साल 2016 में सिर्फ 21 कर्मचारियों की सेवा अवधि बढ़ाने के आदेश जारी किए गए थे, जिसके बाद बाकी संविदा कर्मियों ने इसके विरोध में याचिका लगाई थी.
कोर्ट ने दिया था संविदा कर्मियों को मौका
आयुक्त योजना एवं सांख्यिकी विभाग ने साल 2018 में सभी संविदा नियुक्ति समाप्त करने के आदेश जारी किए थे, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मप्र संविदा सिविल पद पर नियुक्ति अधिनियम के तहत याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए थे. हाईकोर्ट ने संविदा नियुक्ति निरस्त किए जाने के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के आदेश जारी किए थे, वहीं अब इस मामले में राज्य सरकार की दलील पर कोर्ट ने ये अहम आदेश दिया है.