जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सरकार से जवाब मांगा है कि पेंशनर्स को छठे वेतनमान के अनुसार पेंशन क्यों नहीं दी जा रही है. मध्य प्रदेश पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में यह याचिका लगाई है. यदि यह फैसला पेंशनर्स के पक्ष में जाता है तो मध्य प्रदेश के साढ़े 3 लाख से ज्यादा पेंशनर कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा.
छठे वेतनमान के अनुसार पेंशन की मांग
मध्य प्रदेश के पेंशनर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में पेंशनर्स एसोसिएशन ने मांग की थी कि उन्हें छठे वेतनमान के अनुसार पेंशन दी जाए. याचिका में मध्य प्रदेश पेंशनर्स संगठन के प्रदेश अध्यक्ष आमोद सक्सेना की ओर से प्रदेश में वेतन पुनिरीक्षण नियम 2009 को चुनौती दी गई है. मध्य प्रदेश में लगभग साढ़े 3 लाख पेंशनर कर्मचारी हैं. याचिका पर सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट के गिल्डियाल ने तर्क दिया कि 2005 में केंद्र सरकार ने छठे वेतनमान को देने की सिफारिश की थी, जिसे उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लागू कर दिया, लेकिन मध्य प्रदेश में छठा वेतनमान कर्मचारियों को नहीं दिया गया.
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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
याचिका में इस बात का तर्क भी दिया गया है कि 2012 में तत्कालीन मुख्य सचिव ने मसौदा तैयार कर दिया था, लेकिन सरकार ने इस पर हामी नहीं भरी. इसलिए पेंशनर्स एसोसिएशन को इस मामले को हाईकोर्ट में लाना पड़ा. इस याचिका में 2018 से लगातार सुनवाई हो रही है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार और जस्टिस विवेक कुमार जैन की युगल पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है. अब इस मामले में राज्य सरकार 4 सप्ताह में अपना जवाब देगी कि आखिर वह पेंशनर को छठे वेतनमान के अनुसार पेंशन क्यों नहीं दे रहे हैं.