शिमला: दो बार पीएम नरेंद्र मोदी की टीम में युवा चेहरे के रूप में पहचान बनाने वाले अनुराग ठाकुर को अब सरकार के बाद संगठन में बड़ा पद मिलने के आसार हैं. हमीरपुर से लगातार पांचवीं बार चुनाव जीते अनुराग ठाकुर को मोदी 3.0 में जगह नहीं मिली है. इससे पहले अनुराग ठाकुर दो बार केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं. अब जेपी नड्डा के केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री हो गए हैं. पार्टी के अध्यक्ष पद पर उनका कार्यकाल पूरा होने वाला है. ऐसे में संगठन में भी सर्जरी होगी.
संगठन में फेरबदल के दौरान ही अनुराग ठाकुर को नई जिम्मेदारी मिलेगी. आसार हैं कि अनुराग ठाकुर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाएं. पीएम नरेंद्र मोदी संभवत: युवा नेता अनुराग ठाकुर की एनर्जी को संगठन में इस्तेमाल करें. अनुराग ठाकुर का बीसीसीआई में अच्छा-खासा दखल है. उधर, अमित शाह के बेटे जय शाह भी बीसीसीआई में हैं. अनुराग ठाकुर ने क्रिकेट के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत काम किया है. ऐसे में अमित शाह भी चाहेंगे कि अनुराग ठाकुर को कोई ठीक-ठाक और भारी-भरकम जिम्मेदारी मिले. ये जानना भी जरूरी है कि भाजपा में मोदी-शाह की जोड़ी ही काफी कुछ तय करती है.
अनुराग को लेकर सीरियस है केंद्र का नेतृत्व
भाजपा में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति है कि युवाओं को आगे बढ़ाया जाए. अनुराग ठाकुर पीएम मोदी व एचएम शाह की कसौटी पर खरा उतरते हैं. अनुराग ठाकुर ने भाजयुमो में मुखिया के तौर पर अच्छा काम किया है. तिरंगा यात्रा ने उनका कद बढ़ाया था. फिर वे केंद्र में पहले राज्यमंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री के रूप में सामने आए. हमीरपुर से लगाकार पांचवीं बार चुनाव जीतकर उन्होंने खुद को साबित किया है. चुनाव प्रचार के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अनुराग ठाकुर के समर्थन में आयोजित रैली में उन्हें देश के सबसे बेहतर सांसदों में शुमार बताया. साथ ही अनुराग ठाकुर के विकास कार्यों की भी सराहना की थी. बेशक हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में आने वाली तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा उपचुनाव हार गई, लेकिन अनुराग ठाकुर पांचवीं बार जीते हैं.
अध्यक्ष की दौड़ से खुद को किया अलग
वैसे तो चर्चा ये भी चल रही है कि अनुराग ठाकुर को संगठन में सर्वोच्च जिम्मेदारी मिल सकती है, लेकिन खुद उन्होंने हिमाचल दौरे में इस चर्चा को विराम दे दिया. अनुराग ने कहा कि वे इस दौड़ में नहीं हैं. पार्टी के अनुशासन को अनुराग ठाकुर ने सर्वोच्च बताया और कहा कि वे कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के आदेश पर काम करते रहेंगे. उनके पिता और दो बार हिमाचल के सीएम रहे प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने भी कहा है कि भाजपा अनुशासित पार्टी है और यहां कार्यकर्ता के रूप में काम करना गर्व की बात है. इसी अनुशासित बयानबाजी का प्रतिफल अनुराग को मिलना तय है. यदि वे पार्टी मुखिया नहीं बनाए जाते हैं तो राष्ट्रीय महासचिव के रूप में उन्हें जिम्मेदारी मिल सकती है.
हिमाचल में सक्रिय होने की अटकलें
पहाड़ी प्रदेश में ये चर्चा भी है कि अनुराग ठाकुर राज्य की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं. सोलन में अनुराग कह चुके हैं कि हिमाचल हमेशा से उनकी प्राथमिकता रही है . लेकिन यहां नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी मजबूत हैं. लोकसभा चुनाव में मंडी सीट पर कंगना की जीत में जयराम ठाकुर की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यही नहीं, हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव में 61 पर भाजपा को बढ़त मिली है. इसमें जयराम ठाकुर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. यदि अनुराग हिमाचल में सक्रिय होते हैं तो जयराम ठाकुर किस भूमिका में होंगे, ये भी पार्टी के लिए सोचने वाली बात है. सियासी विश्लेषक मानते हैं कि मोदी व शाह की भाजपा में कुछ भी संभव है. इसका उदाहरण राजस्थान, मध्य प्रदेश और अब ओडिशा में मिलता है. यहां तीनों प्रदेशों में सरकार के मुखिया का चयन पार्टी की अलग सोच को दर्शाता है. यही फार्मूला हिमाचल में भी लागू हो सकता है. हालांकि जयराम ठाकुर भी पीएम मोदी की गुड बुक में हैं.
वरिष्ठ भाजपा नेता और राजनीतिक विश्लेषक मोहिंद्र नाथ सोफत का मानना है कि अनुराग ठाकुर के लिए संगठन में स्थान तय होगा . हिमाचल से जेपी नड्डा केंद्र में मंत्री बनाए गए हैं. छोटे राज्य से दो चेहरे कैबिनेट में एडजस्ट करना कठिन था. कारण ये है कि इस बार गठबंधन के सहयोगियों का ख्याल भी रखना जरूरी था . अब चूंकि जेपी नड्डा अध्यक्ष के पद पर नहीं रहेंगे तो संगठन में भी फेरबदल होगा. उसी दौरान अनुराग ठाकुर को नई जिम्मेदारी मिल सकती है. फिलहाल, अब हिमाचल की जनता और अनुराग ठाकुर के समर्थकों को संगठन में फेरबदल का इंतजार है. अनुराग समर्थक अपने नेता को किसी प्रभावशाली भूमिका में देखना चाहते हैं.