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सहायता प्राप्त विद्यालयों में 40 हजार से अधिक भर्तियों में गोलमाल ! अब तक पूरी नहीं हो पाई जांच - Secondary teacher recruitment scam

सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों (Secondary Teacher Recruitment Scam) का ब्यौरा उपलब्ध कराने में शिक्षा विभाग और विद्यालय प्रबंधन का खेल सामने आने के बाद अब सतर्कता विभाग एक्शन की तैयारी में है. हालांकि सतर्कता विभाग को मूल दस्तावेज और जानकारी देने में एडेड कॉलेज प्रबंधन और शिक्षा विभाग अड़ंगा लगा रहा है.

बैठक करते माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी.
बैठक करते माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 4, 2024, 10:32 AM IST

जानकारी देते शिक्षक नेता डाॅ. आरपी मिश्र. (Video Credit : ETV Bharat)



लखनऊ : माध्यमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों और चपरासियों की 40 हजार से अधिक नियुक्तियों में गोलमाल है. जिसको लेकर सतर्कता विभाग जांच कर रहा है. माध्यमिक शिक्षा विभाग के उप शिक्षा निदेशक चेतराम ने शीर्ष प्राथमिकता वाली इस जांच/सतर्कता अधिष्ठान का हवाला देते हुए ईमेल से सभी ज्वाइन्ट डायरेक्टर और जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र भेजकर पत्र मूल पत्रावली समेत अन्य जानकारी शीर्ष प्राथमिकता पर भेजने को कहा है.

SECONDARY TEACHER RECRUITMENT SCAM
SECONDARY TEACHER RECRUITMENT SCAM (Photo Credit: ETV Bharat)


सतर्कता अधिष्ठान की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में 10 जुलाई 1981 से वर्ष 2020 के बीच हुई 40 हजार से अधिक अध्यापकों/चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की भर्ती में की गई अनियमितता के सापेक्ष सतर्कता अधिष्ठान, अयोध्या जांच कर रही है. इसी क्रम में निदेशालय के निर्देशों के बाद भी अभिलेखीय आख्या उपलब्ध न कराने पर दोबारा पुलिस अधीक्षक, उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ सेक्टर, लखनऊ ने 1 अगस्त 2024 को भेजे पत्र द्वारा तत्काल कई बिन्दुओं के सापेक्ष अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश हैं. उप शिक्षा निदेशक चेतराम ने लिखा है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्तियों के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने के साथ ही शासनादेश सं0-828/15-7-2003-2(10)-2003/शिक्षा अनुभाग-7 23 अगस्त 2003 माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन की सत्यापित प्रति भी दें.

बैठक में मौजूद माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी.
बैठक में मौजूद माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी. (Photo Credit: ETV Bharat)

दरअसल माना जाता है कि इन्हीं 40 साल के कार्यकाल में माध्यमिक शिक्षा विभाग के एडेड विद्यालयों में खूब अराजकता फैलाई गई, और नियुक्ति के नाम पर मनमानी तरीके से भर्तियां की गई हैं. स्कूल मैनेजरों ने जिला विद्यालय निरीक्षक से मिलकर न केवल अपने स्कूलों के संबंद्ध प्राइमरी में खूब फर्जी नियुक्तियां कर डाली बल्कि चपरासियों की नियुक्ति में भी अंधेरगर्दी हुई.




राजधानी में सामने आया था फर्जी नियुक्ति देने का मामला
पिछले 20 साल की बात करें तो राजधानी में जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर चार बार तैनात रहे उमेश त्रिपाठी और डीएन सिंह ने ढाई सौ शिक्षकों और 200 के करीब चपरासियों की फर्जी नियुक्तियां करके एक रिकॉर्ड बनाया था. इनमें दिगंबर जैन, खुनखुन जी गर्ल्स इंटर कॉलेज, बाबा ठाकुरदास, चुटकी भंडार, इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज, डीएवी, कालीचरण, लालबाग गर्ल्स, सेंटीनियल, योगेश्वर, आर्यकन्या, रेलवे हायर सेकेंडरी समेत चार दर्जन स्कूलों में यह अनियमितता देखी जा सकती है. जहां पर छात्रों के मुकाबले शिक्षकों की नियुक्ति ज्यादा है. जिनकी नियुक्ति है, उनमें से कई की डिग्री नियुक्ति से मेल नहीं खाती है.

इस मामले पर डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि 1981 से 2020 के बीच नियुक्त 40 हजार शिक्षक व कर्मचारियों की नियुक्तियों की जांच को शिक्षकों के विरुद्ध एक षडयंत्र है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 के बाद से प्रदेश में आयोग के माध्यम से कोई भर्ती भी नहीं हुई है. ऐसे में अगर यह जांच होती है तो शिक्षकों से केवल आर्थिक दोहन होगा. अगर यह जांच नहीं रुकती है तो संघ 24 सितंबर से आंदोलन की शुरुआत करेगा.



नियुक्तियों में मिलीभगत का खेल : जांच से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि इस पूरे मामले में सभी भर्तियों के पीछे तीन दशक में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में मिलीभगत कर नियुक्तियां हुई हैं. स्कूलों के मैनेजमेंट को शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मिलीभगत से नियमों व मानकों के विरुद्ध भर्ती की शिकायतें हैं. इन कर्मचारियों के वेतन आदि पर सरकार सालाना 2400 करोड़ रुपये से अधिक भुगतान दे रही है. जबकि भर्तियों के लिए विज्ञापन, मेरिट, स्क्रीनिंग, आदि प्रक्रिया को दरकिनार किया गया है. प्रबंध समिति प्रधानाचार्य व शिक्षा विभाग के अधिकारियों का बड़ा नेटवर्क जांच के घेरे में है. इसलिए इन सभी भर्तियों के दस्तावेज उपलब्ध कराने में लगातार आनाकानी की जा रही है. इसी को देखते हुए सतर्कता विभाग ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक, संयुक्त मंडलीय शिक्षा निदेशक को निर्देश भेज कर दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहे हैं. विजिलेंस ने 1 अगस्त को जारी आदेश को देखते 28 दिन के बाद भी शिक्षा विभाग में जिलों को चिट्ठी आगे बढ़ाई है.

यह भी पढ़ें : यूपी के करीब 65 हजार शिक्षकों को नवंबर में लखनऊ बुलाने की तैयारी, जानिए वजह

यह भी पढ़ें : अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षकों ने एडेड विद्यालयों में चाकडाउन किया

जानकारी देते शिक्षक नेता डाॅ. आरपी मिश्र. (Video Credit : ETV Bharat)



लखनऊ : माध्यमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों और चपरासियों की 40 हजार से अधिक नियुक्तियों में गोलमाल है. जिसको लेकर सतर्कता विभाग जांच कर रहा है. माध्यमिक शिक्षा विभाग के उप शिक्षा निदेशक चेतराम ने शीर्ष प्राथमिकता वाली इस जांच/सतर्कता अधिष्ठान का हवाला देते हुए ईमेल से सभी ज्वाइन्ट डायरेक्टर और जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र भेजकर पत्र मूल पत्रावली समेत अन्य जानकारी शीर्ष प्राथमिकता पर भेजने को कहा है.

SECONDARY TEACHER RECRUITMENT SCAM
SECONDARY TEACHER RECRUITMENT SCAM (Photo Credit: ETV Bharat)


सतर्कता अधिष्ठान की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में 10 जुलाई 1981 से वर्ष 2020 के बीच हुई 40 हजार से अधिक अध्यापकों/चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की भर्ती में की गई अनियमितता के सापेक्ष सतर्कता अधिष्ठान, अयोध्या जांच कर रही है. इसी क्रम में निदेशालय के निर्देशों के बाद भी अभिलेखीय आख्या उपलब्ध न कराने पर दोबारा पुलिस अधीक्षक, उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ सेक्टर, लखनऊ ने 1 अगस्त 2024 को भेजे पत्र द्वारा तत्काल कई बिन्दुओं के सापेक्ष अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश हैं. उप शिक्षा निदेशक चेतराम ने लिखा है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्तियों के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने के साथ ही शासनादेश सं0-828/15-7-2003-2(10)-2003/शिक्षा अनुभाग-7 23 अगस्त 2003 माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन की सत्यापित प्रति भी दें.

बैठक में मौजूद माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी.
बैठक में मौजूद माध्यमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी. (Photo Credit: ETV Bharat)

दरअसल माना जाता है कि इन्हीं 40 साल के कार्यकाल में माध्यमिक शिक्षा विभाग के एडेड विद्यालयों में खूब अराजकता फैलाई गई, और नियुक्ति के नाम पर मनमानी तरीके से भर्तियां की गई हैं. स्कूल मैनेजरों ने जिला विद्यालय निरीक्षक से मिलकर न केवल अपने स्कूलों के संबंद्ध प्राइमरी में खूब फर्जी नियुक्तियां कर डाली बल्कि चपरासियों की नियुक्ति में भी अंधेरगर्दी हुई.




राजधानी में सामने आया था फर्जी नियुक्ति देने का मामला
पिछले 20 साल की बात करें तो राजधानी में जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर चार बार तैनात रहे उमेश त्रिपाठी और डीएन सिंह ने ढाई सौ शिक्षकों और 200 के करीब चपरासियों की फर्जी नियुक्तियां करके एक रिकॉर्ड बनाया था. इनमें दिगंबर जैन, खुनखुन जी गर्ल्स इंटर कॉलेज, बाबा ठाकुरदास, चुटकी भंडार, इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज, डीएवी, कालीचरण, लालबाग गर्ल्स, सेंटीनियल, योगेश्वर, आर्यकन्या, रेलवे हायर सेकेंडरी समेत चार दर्जन स्कूलों में यह अनियमितता देखी जा सकती है. जहां पर छात्रों के मुकाबले शिक्षकों की नियुक्ति ज्यादा है. जिनकी नियुक्ति है, उनमें से कई की डिग्री नियुक्ति से मेल नहीं खाती है.

इस मामले पर डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि 1981 से 2020 के बीच नियुक्त 40 हजार शिक्षक व कर्मचारियों की नियुक्तियों की जांच को शिक्षकों के विरुद्ध एक षडयंत्र है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 के बाद से प्रदेश में आयोग के माध्यम से कोई भर्ती भी नहीं हुई है. ऐसे में अगर यह जांच होती है तो शिक्षकों से केवल आर्थिक दोहन होगा. अगर यह जांच नहीं रुकती है तो संघ 24 सितंबर से आंदोलन की शुरुआत करेगा.



नियुक्तियों में मिलीभगत का खेल : जांच से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि इस पूरे मामले में सभी भर्तियों के पीछे तीन दशक में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में मिलीभगत कर नियुक्तियां हुई हैं. स्कूलों के मैनेजमेंट को शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मिलीभगत से नियमों व मानकों के विरुद्ध भर्ती की शिकायतें हैं. इन कर्मचारियों के वेतन आदि पर सरकार सालाना 2400 करोड़ रुपये से अधिक भुगतान दे रही है. जबकि भर्तियों के लिए विज्ञापन, मेरिट, स्क्रीनिंग, आदि प्रक्रिया को दरकिनार किया गया है. प्रबंध समिति प्रधानाचार्य व शिक्षा विभाग के अधिकारियों का बड़ा नेटवर्क जांच के घेरे में है. इसलिए इन सभी भर्तियों के दस्तावेज उपलब्ध कराने में लगातार आनाकानी की जा रही है. इसी को देखते हुए सतर्कता विभाग ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षक, संयुक्त मंडलीय शिक्षा निदेशक को निर्देश भेज कर दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहे हैं. विजिलेंस ने 1 अगस्त को जारी आदेश को देखते 28 दिन के बाद भी शिक्षा विभाग में जिलों को चिट्ठी आगे बढ़ाई है.

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