मेरठ : जिले की रहने वाली शिवानी शर्मा हॉकी की प्रदेश से पहली ऐसी अंतरराष्ट्रीय महिला अंपायर हैं जोकि देश में पहली बार बॉयज नेशनल के टूर्नामेंट में कुशल अंपायरिंग करके ख्याति पा चुकी हैं. शिवानी देश ही नहीं विदेश में भी हॉकी प्लेयर्स और इस गेम में रुचि रखने वालों के लिए प्रेरणाश्रोत हैं.
शिवानी शर्मा ने बनाई पहचान : अंतरराष्ट्रीय महिला अंपायर शिवानी शर्मा मेरठ के आर्यनगर की रहने वाली हैं. अथक मेहनत, लगन और परिश्रम से न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाई है, बल्कि शिवानी प्रदेश की पहली ऐसी हॉकी प्लेयर हैं जो अंतरराष्ट्रीय अंपायर भी हैं. शिवानी शर्मा के नाम एक और भी खिताब है, वह पहली ऐसी महिला अंपायर भी हैं, जिन्होंने खेल के मैदान से लेकर विदेश में भी अपने हुनर से अपनी पहचान बनाई है. नेशनल जूनियर हॉकी प्रतियोगिता (पुरुष) में कुछ समय पूर्व हुए टूर्नामेंट में तो शिवानी द्वारा अंपायरिंग की गई है, यह खिताब भी शिवानी शर्मा के नाम ही है.
15 साल की उम्र से प्रशिक्षण लेना शुरू किया : शिवानी शर्मा बताती हैं कि जब उनकी उम्र महज 15 साल थी तब उन्होंने हॉकी का प्रशिक्षण लेना शुरू किया था. मेरठ के एनएएस कॉलेज के ग्राउंड पर ही उन्होंने खेलने की शुरुआत की थी. अपने कोच और गुरू के बारे में जिक्र करते हुए बताती हैं कि प्रदीप चिन्योटी ने उन्हें हॉकी के छोटी से छोटी अहम जानकारी दी और सिखाया. वह कहती हैं कि उनके गुरू का उनके जीवन में बहुत योगदान है. शिवानी कहती हैं कि 2017 से वह अम्पायरिंग कर रही हैं.
इंटरनेशनल हॉकी प्रतियोगिताओं में कर रही हैं अम्पायरिंग : वह बताती हैं कि अब तक विभागीय टूर्नामेंट समेत अनेकों टूर्नामेंट के अलावा घरेलू टूर्नामेंट, नेशनल टूर्नामेंट समेत इंटरनेशनल टूर्नामेंट में अंपायरिंग कर चुकी हैं. अब तक 80 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में अंपायरिंग कर चुकीं शिवानी कहती हैं कि प्रदेश से वह अकेली हैं जो इंटरनेशनल हॉकी प्रतियोगिताओं में भी अम्पायरिंग कर रही हैं, हालांकि अगर देश की बात करें तो यूपी के अतिरिक्त अलग-अलग राज्यों से कई और भी महिला खिलाड़ी हैं जोकि अंपायरिंग के क्षेत्र में हैं. वह बताती हैं कि उन्होंने नेशनल, सीनियर नेशनल, जूनियर नेशनल, सब जूनियर नेशनल, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज, यूनिवर्सिटीज और ओपन टूर्नामेंट्स प्राइज मनी बहुत सारे खेले हैं.
बच्चों को करती हैं प्रोत्साहित : शिवानी शर्मा कहती हैं कि जब भी उन्हें समय मिलता है तो वे हॉकी के प्रति दिलचस्पी रखने वाले बच्चों के बीच जाकर उन्हें बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश करती हैं. बच्चों के कुछ भी सवाल होते हैं तो उनकी जिज्ञासा शांत करने की कोशिश करती हैं. अपनी स्किल्स के लिए नियमित प्रेक्टिस करें, जो भी प्रेक्टिस करेंगे, खेलेंगे उसके बाद उनकी मेहनत का प्रतिफल भी मिलेगा. मेहनत करने से इंडिया कैंप में नाम आएगा उसी से इंटरनेशनल टीम में भी यह जाएंगे.
मेडल जीतकर लाती थी टीम : अंतरराष्ट्रीय अंपायर शिवानी शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि किस तरह से उन्होंने शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि जब वह आरजी इंटर कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं तो वहां की हॉकी टीम अक्सर अलग-अलग टूर्नामेंट में प्रतिभाग करने जाती थी और टीम मेडल जीतकर भी लाती थी. उन्हीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने भी हॉकी खेलने की शुरुआत की. एनएएस कॉलेज की लड़कियों की टीम का बहुत नाम हुआ करता था, अभी भी है. हर साल मेरठ की हॉकी की प्लेयर्स नेशनल खेलती हैं.
'लड़के-लड़कियों में कोई फर्क नहीं' : अंतरराष्ट्रीय अंपायर शिवानी शर्मा का मानना है कि अब वह यह नोटिस करती हैं कि पैरेंट्स बेटा-बेटी में कोई भेदभाव नहीं करते हैं. सभी को समान अवसर मिल रहे हैं. माता-पिता भी ये कोशिश करते हैं कि बेटा हो या बेटी सभी अगर गेम्स में रूचि रख रहे हैं तो वे खेलें और किस्मत आजमाएं. उन्हें नहीं लगता कि लड़के लड़कियों में कोई फर्क है. कोई चुनौती भी ऐसी नहीं है. बेटियों को अगर प्रैक्टिस करने के लिए भेजा तो एक दिन निश्चित रिजल्ट भी मिलेगा. डोमेस्टिक हॉकी और इंटरनेशनल हॉकी के बारे में वह तुलना करते हुए बताती हैं कि डोमेस्टिक हॉकी अभी बहुत स्लो है, जबकि इंटरनेशनल लेवल पर खेले जाने वाले मैच बहुत ज्यादा फास्ट हैं. देश की जूनियर और सीनियर टीम के बारे में शिवानी अपनी राय रखती हैं. वह कहती हैं कि इस वक्त देश की सीनियर और जूनियर दोनों ही टीमें बहुत अच्छी हैं, जो प्लेयर्स हैं वो सभी बहुत अच्छे हैं.
2017 से घरेलू अंपायरिंग शुरू की : अंतरराष्ट्रीय अंपायर शिवानी शर्मा बताती हैं कि उन्हें जीवन में ऐसा लगा कि वह आगे और बेहतर नहीं कर पा रही हैं तो उस वक्त उन्होंने यह निर्णय लिया कि अब वह अंपायरिंग करेंगी और उसके बाद से लगातार अंपायरिंग कर रही हैं. शिवानी शर्मा ने बताया कि 2017 से घरेलू अंपायरिंग उन्होंने करनी शुरू की थी और उसके बाद से 2019 से वह लगातार इंटरनेशनल लेवल पर भी अंपायरिंग कर रही हैं. बीते दिनों हुए बॉयज जूनियर हॉकी टूर्नामेंट में शिवानी को अम्पायरिंग का अवसर मिला, जोकि देश में अपने आप में एक मिसाल और रिकॉर्ड भी बन गया है. उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल लेवल पर नेपाल, सिंगापुर और मलेशिया में बतौर अंतरराष्ट्रीय अंपायर की भूमिका निभा चुकी हैं. अपने लक्ष्य के बारे में भी शिवानी बताती हैं कि उनका विजन है कि वह ओलम्पिक गेम में अंपायरिंग करें. इसके लिए वह खुद को योग्य भी वह मानती हैं.
2013-14 में सिंगापुर लीग में हिस्सा लिया : मेरठ के अपने स्कूल की टीम से अब इंटरनेशनल अंपायर तक के सफर के बीच में शिवानी ने खूब बुलंदियों को छुआ है. 2013-14 में खेलने के दौरान नेशनल टूर्नामेंट के बाद शिवानी ने सिंगापुर लीग में हिस्सा लिया. उसके बाद उसी वर्ष द्वितीय हाॅकी इंडिया सीनियर वुमन नेशनल चैंपियनशिप में भी वह शामिल रही हैं. 2014 में हुए तीसरे हॉकी इंडिया जूनियर वुमन नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था. इसके बाद चौथे हाॅकी इंडिया सीनियर वुमन नेशनल चैंपियनशिप में जोकि 2015 में हुआ, उसमें भी शिवानी ने हिस्सा लिया था.
शिवानी शर्मा को 2014 में नेशनल कैंप के दौरान घुटने में चोट भी लगी थी, जिसके बाद शिवानी का खेल कुछ समय के लिए बाधित भी हुआ था. उसके बाद उन्होंने खुद को तैयार किया और फिर से ग्राउंड पर पहुंचकर खुद को साबित किया. पांचवें हाॅकी इंडिया सीनियर वुमन नेशनल हाॅकी चैंपियनशिप में 2016 भी वह रहीं. अपनी जानदार परफॉर्मेंस की वजह से छठे हाॅकी इंडिया सीनियर वुमन नेशनल चैंपियनशिप 2017 में हिस्सा लेकर अपने बेहतरीन प्रदर्शन को उन्होंने कायम रखा था. इसके बाद से अब वह अंपायर के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं जोकि मेरठ शहर के लिए भी गर्व करने की बात है.
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