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90% शरीर दिव्यांग, हौसले 100 प्रतिशत मजबूत, कार में लेटकर करते हैं मरीजों का इलाज

ग्वालियर के सिविल अस्ताल में पदस्थ डॉक्टर विक्रम सिंह दूसरे लोगों के लिए मिसाल हैं.

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डॉक्टर कार में लेटकर करते हैं मरीजों का इलाज (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 16 hours ago

Updated : 16 hours ago

ग्वालियर: कहते हैं कि अगर तमाम परेशानियों के बावजूद समाज के लिए कुछ करने की इच्छा हो ईश्वर भी ऐसे इंसान की मदद करता है. कुछ ऐसा ही जज्बा ग्वालियर के सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर विक्रम सिंह का है. विक्रम सिंह पैदाइशी दिव्यांग हैं. यह परेशानी और दिव्यांगता समय के साथ बढ़ती गई, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनकी मेहनत, लगन और समाज को कुछ देने के हौसले ने दिव्यांगता को कभी भी आडे़ नहीं आने दिया. उनकी तैनाती शहर के हेमसिंह की परेड सिविल डिस्पेंसरी में है, लेकिन वे अस्पताल के भीतर नहीं जा पाते हैं. दिव्यांगता के कारण अपनी कार में बैठकर ही अस्पताल के बाहर मरीज का इलाज करते हैं. खास बात यह भी है कि मरीज को उनके इलाज से आराम भी तुरंत मिल जाता है.

90 फीसदी शरीर दिव्यांग, फिर भी कर रहे दूसरों की सेवा

शहर के हेमसिंह की परेड पर शासकीय सिविल अस्पताल संचालित है. यहां पदस्थ डॉ विक्रम सिंह देश के उन सभी दिव्यांगों के लिए मिसाल हैं, जो अपनी दिव्यांगता के चलते खुद को असहाय, मायूस और कमजोर समझते हैं. डॉ विक्रम सिंह हौसला और काम के प्रति समर्पण की जीती जागती मिसाल है. डॉ विक्रम सिंह शरीर से लगभग 90% दिव्यांग हैं. वह चलने-फिरने उठने-बैठने में भी असमर्थ हैं. यहां तक कि उन्हें हाथ चलाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन सबके बावजूद वह इस विषमता में भी अपने डॉक्टरी पेशे को बरकरार रख समाज को स्वस्थ रखने की मुहिम में जुटे हैं.

ग्वालियर दिव्यांग डॉक्टर के हौसले बुलंद (ETV Bharat)

कार में बैठकर मरीजों का करते हैं इलाज

वह रोजाना समय पर अपनी ड्यूटी पर पहुंच जाते हैं. अपनी दिव्यांगता के चलते अकेले अस्पताल में बने अपने केबिन तक नहीं पहुंच सकते. इसलिए उन्होंने अपनी कार को ही अपना डॉक्टर चैंबर बना लिया है. वह अस्पताल के पास ही नीम के पेड़ के नीचे अपनी कार में बैठकर ही मरीजों का इलाज हर रोज करते हैं. इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचने वाले मरीज भी डॉ विक्रम सिंह के इलाज से संतुष्ट होते हैं. उनका कहना है कि डॉक्टर साहब उनकी बीमारी को आराम से समझते हैं, फिर दवाई देते हैं. उनके इलाज से आसपास की एक बड़ी आबादी स्वास्थ्य लाभ ले पाती है.

GWALIOR DIVYANG DOCTOR VIKRAM
अस्पताल के बाहर कार में करते हैं इलाज (ETV Bharat)

दिव्यांगता को नहीं होने दिया हावी

सिविल हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ हेमंत कुमार का कहना है कि "डॉ विक्रम दिव्यांग होने के बावजूद कभी भी उन्होंने इसे कमजोरी के रुप में अपने कार्य पर हावी नहीं होने दिया. वह समय से पहले अस्पताल आते हैं. अस्पताल का समय पूरा होने के बावजूद भी रुकते हैं और मरीजों को इलाज देते हैं." डॉ विक्रम सिंह के निर्देशों का पालन कर सरकारी अस्पताल के पर्चे पर जानकारी लिखने का काम अस्पताल के ही रिटायर्ड कर्मचारी रईस करते हैं. डॉ विक्रम मरीजों की परेशानी को सुनते समझते हैं और फिर दवाइयां सहित जांच करने संबंधी जानकारी मरीज को बताते हैं. वहीं दूसरी ओर रईस डॉक्टर साहब के बताए हुए निर्देशों पर उसे पर्चे पर लिखते हैं.

ग्वालियर: कहते हैं कि अगर तमाम परेशानियों के बावजूद समाज के लिए कुछ करने की इच्छा हो ईश्वर भी ऐसे इंसान की मदद करता है. कुछ ऐसा ही जज्बा ग्वालियर के सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर विक्रम सिंह का है. विक्रम सिंह पैदाइशी दिव्यांग हैं. यह परेशानी और दिव्यांगता समय के साथ बढ़ती गई, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनकी मेहनत, लगन और समाज को कुछ देने के हौसले ने दिव्यांगता को कभी भी आडे़ नहीं आने दिया. उनकी तैनाती शहर के हेमसिंह की परेड सिविल डिस्पेंसरी में है, लेकिन वे अस्पताल के भीतर नहीं जा पाते हैं. दिव्यांगता के कारण अपनी कार में बैठकर ही अस्पताल के बाहर मरीज का इलाज करते हैं. खास बात यह भी है कि मरीज को उनके इलाज से आराम भी तुरंत मिल जाता है.

90 फीसदी शरीर दिव्यांग, फिर भी कर रहे दूसरों की सेवा

शहर के हेमसिंह की परेड पर शासकीय सिविल अस्पताल संचालित है. यहां पदस्थ डॉ विक्रम सिंह देश के उन सभी दिव्यांगों के लिए मिसाल हैं, जो अपनी दिव्यांगता के चलते खुद को असहाय, मायूस और कमजोर समझते हैं. डॉ विक्रम सिंह हौसला और काम के प्रति समर्पण की जीती जागती मिसाल है. डॉ विक्रम सिंह शरीर से लगभग 90% दिव्यांग हैं. वह चलने-फिरने उठने-बैठने में भी असमर्थ हैं. यहां तक कि उन्हें हाथ चलाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन सबके बावजूद वह इस विषमता में भी अपने डॉक्टरी पेशे को बरकरार रख समाज को स्वस्थ रखने की मुहिम में जुटे हैं.

ग्वालियर दिव्यांग डॉक्टर के हौसले बुलंद (ETV Bharat)

कार में बैठकर मरीजों का करते हैं इलाज

वह रोजाना समय पर अपनी ड्यूटी पर पहुंच जाते हैं. अपनी दिव्यांगता के चलते अकेले अस्पताल में बने अपने केबिन तक नहीं पहुंच सकते. इसलिए उन्होंने अपनी कार को ही अपना डॉक्टर चैंबर बना लिया है. वह अस्पताल के पास ही नीम के पेड़ के नीचे अपनी कार में बैठकर ही मरीजों का इलाज हर रोज करते हैं. इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचने वाले मरीज भी डॉ विक्रम सिंह के इलाज से संतुष्ट होते हैं. उनका कहना है कि डॉक्टर साहब उनकी बीमारी को आराम से समझते हैं, फिर दवाई देते हैं. उनके इलाज से आसपास की एक बड़ी आबादी स्वास्थ्य लाभ ले पाती है.

GWALIOR DIVYANG DOCTOR VIKRAM
अस्पताल के बाहर कार में करते हैं इलाज (ETV Bharat)

दिव्यांगता को नहीं होने दिया हावी

सिविल हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ हेमंत कुमार का कहना है कि "डॉ विक्रम दिव्यांग होने के बावजूद कभी भी उन्होंने इसे कमजोरी के रुप में अपने कार्य पर हावी नहीं होने दिया. वह समय से पहले अस्पताल आते हैं. अस्पताल का समय पूरा होने के बावजूद भी रुकते हैं और मरीजों को इलाज देते हैं." डॉ विक्रम सिंह के निर्देशों का पालन कर सरकारी अस्पताल के पर्चे पर जानकारी लिखने का काम अस्पताल के ही रिटायर्ड कर्मचारी रईस करते हैं. डॉ विक्रम मरीजों की परेशानी को सुनते समझते हैं और फिर दवाइयां सहित जांच करने संबंधी जानकारी मरीज को बताते हैं. वहीं दूसरी ओर रईस डॉक्टर साहब के बताए हुए निर्देशों पर उसे पर्चे पर लिखते हैं.

Last Updated : 16 hours ago
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