जबलपुर: पीजी मेडिकल सीट छोड़ने पर पूरी फीस जमा करने के बावजूद भी 3 साल तक काउंसलिंग में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट जस्टिस एस ए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने राज्य शासन, संचालक चिकित्सा शिक्षा और आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज,उज्जैन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
3 साल का प्रतिबंध लगाने पर दायर की याचिका
याचिकाकर्ता डॉक्टर रितिका माहेश्वरी ने 3 साल तक काउंसलिंग में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. डॉक्टर की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उसे आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज, उज्जैन में पीजी मेडिकल सीट आवंटित हुई थी. यहां दाखिला लेने के 2 माह बाद उसने यह सीट छोड़ दी थी. इस सीट को छोड़ने के एवज में पाठ्यक्रम की पढ़ाई की पूरी फीस 1 करोड़ 21 लाख रुपये जमा कर दिया था. सीट छोड़ने के बाद उसे सूचित किया गया कि प्रीपीजी के एक अन्य नियम के तहत वह अगले 3 साल तक पीजी काउंसलिंग में शामिल होने के लिए अपात्र है. इसी मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
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'यह नियम सिर्फ मध्य प्रदेश में लागू'
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए वरिष्ठ एडवोकेट आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि यह नियम सिर्फ मध्य प्रदेश में लागू है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के उल्लंघन की परिधि में आता है. याचिकाकर्ता ने सीट छोड़ने के लिए जुर्माने के तौर पर नियमानुसार पूरी फीस जमा कर दी थी. इसके बावजूद भी उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए उसे दूसरी सजा से दंडित किया जा रहा है. दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस एस ए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने राज्य शासन, संचालक चिकित्सा शिक्षा और आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज,उज्जैन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.