गोरखपुर : हर काली चीज बुरी नहीं होती. काले कपड़े और गाड़ियां लोगों को खूब भाती हैं. ऐसे ही कुछ काले खाद्य पदार्थ हैं जो लोगों की समझ में अगर आ जाएं और लोग उनका दैनिक जीवन में उपयोग शुरू कर दें तो, वह कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं. यह कहना है जाने माने अंतरराष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. राम चेत चौधरी का. जिन्हें 25 जनवरी 2024 को 'पद्मश्री' दिए जाने की घोषणा भारत सरकार ने की है.
मूलरूप से गोरखपुर में निवास करने वाले डॉ. राम चेत चौधरी घोषणा के बाद जब पहली बार गोरखपुर पहुंचे तो ईटीवी भारत से उन्होंने खास बातचीत की. उन्होंने काले खाद्य पदार्थों के गुण की न सिर्फ चर्चा करते हुए उसके महत्व को बताया, बल्कि वह अपनी बगिया में शोध से काला टमाटर उगाकर एक और उपहार समाज को देने में जुटे हैं. उन्होंने बताया है कि कुछ काले खाद्य पदार्थ हमारे जीवन के लिए मौजूदा समय में बहुत ही जरूरी हो गए हैं, जिनका महत्व पहले भी बहुत ज्यादा था. लेकिन, आज जब कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं तो, काला गेहूं, चावल, आलू, काली हल्दी लोगों के सेहत को बड़ी राहत देने वाला है. अब उन्होंने अपने रिसर्च से काला टमाटर भी पैदा कर लोगों को हैरान कर दिया है. उन्होंने बताया कि यह एंटीऑक्सीडेंट और एंटी कार्सिनोजेन से भरा पड़ा है जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही गुणकारी है. इसके खाने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं होतीं उम्र भी स्थिर दिखाई देती है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी.
हरित क्रांति के जनक डॉ एम एस स्वामीनाथन जिन्हें भारत सरकार ने 'भारत रत्न' देने की घोषणा की है, उनके साथ लंबे समय तक कार्य करने वाले डॉ. राम चेत चौधरी ने बताया कि, काला गेहूं, चावल, आलू, हल्दी और अब उनका तैयार हुआ काला टमाटर जिसमें एक खास किस्म का पिगमेंट होता है. जिसकी वजह से यह काला होता है, उसे 'एंथोसायनिन' कहते हैं. उन्होंने कहा कि पहले लोग काली चीज खाना नहीं चाह रहे थे. लेकिन, जब लोगों ने खाना शुरू किया और उसका लाभ दिखने लगा तो, डॉक्टरों ने यह पाया और बताया कि यह एंटी कैंसर है. मतलब खून के साथ कैंसर के जो सेल घूमते हैं उसको एंथोसायनिन निष्क्रिय कर देता है. इससे मिल रहे लाभ की वजह से लोग अब इसको बड़े पैमाने पर अपना रहे और अब काला टमाटर भी लोगों के बीच पहुंचे इसके लिए भी वह इस पर बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं. यह अभी कहीं बाजार में कमर्शियल रूप से उपलब्ध नहीं है, क्योंकि अभी यह दो वर्षों से शोध में ही उन्नत पाया जा रहा है. बड़े पैमाने पर इसकी खेती अभी नहीं हो रही, क्योंकि इसका बीज उन्होंने किसी को नहीं दिया है.
उन्होंने कहा कि प्रकृति में कई तरह के परिवर्तन होते रहते हैं जिसको अंग्रेजी में म्यूटेशन और हिंदी में उत्परिवर्त कहते हैं. तरह-तरह के जीन अपने आप पैदा होते हैं पौधों में. उन्होंने कहा कि काला टमाटर तैयार करने में जब वह जुटे तो बड़े साइज में कीड़े लग जाते थे. लेकिन, छोटे साइज में उन्हें सफलता मिल रही है. टेस्ट में भी यह उन्हीं टमाटर की तरह बेस्ट है जैसे लाल, हरा और पीला टमाटर होता है. लेकिन, मेडिकली रूप से जो इसके अंदर एंथोसायनिन पाया जाता है वह काफी महत्वपूर्ण बनाता है. सब्जी में इसे डालने पर कलर भी नहीं बिगड़ता है. यह सब्जियों को काला नहीं करेगा, बल्कि उसे टेस्टी और स्वास्थ्यवर्धक बनाएगा. यह एंटीऑक्सीडेंट और एंटी कार्सिनोजेन से भरा पड़ा है जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही गुणकारी है. इसके खाने से चेहरे पर झुर्रियां नहीं होतीं उम्र भी स्थिर दिखाई देती है. उन्होंने कहा कि पूरी तरह से जब यह उनके कसौटी पर खरा उतरेगा तब यह लोगों के लिए इसे बाजार में उतारेंगे. 'पद्मश्री' पुरस्कार पाने की घोषणा को लेकर डॉ. चौधरी ने कहा कि उनकी 25 साल की मेहनत पर राष्ट्रपति की मोहर लग गई है. इससे समझा जा सकता है कि उन्हें कितनी खुशी मिल रही होगी. यह उनसे जुड़े और सभी के लिए खुशी की बात है.
काला टमाटर, लाल टमाटर में पाए जाने वाले गुण से एंटीऑक्सीडेंट और एंटी कार्सिनोजेन, एंथोसायनिन की वजह से तो अलग है ही, इसमें लाल टमाटर की तरह विटामिन ए, ई, फाइबर, पोटेशियम, जिंक, मैग्नीशियम भी पाया जाता है. इसका एंटीऑक्सीडेंट लाल से भी बेहतर है, वहीं लाल टमाटर, हरे टमाटर, पीले टमाटर से बेहतर माना जाता है. लेकिन, ऐसा दिख रहा है कि काला टमाटर इन तीनों प्रकार के टमाटर में सबसे बेहतर साबित होगा.
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