देवघर: झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. ऐसे में देवघर भाजपा चुनाव की तैयारी में जुटी है. लेकिन पार्टी के लिए अंतर्कलह से निपटना बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि कुछ दिनों पूर्व ही सारवां प्रखंड में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा जिला अध्यक्ष सचिन रवानी का पुताल फूंक कर विरोध जताया था.
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने फूंका का जिलाध्यक्ष का पुतला
कार्यकर्ताओं का आरोप था कि जिला अध्यक्ष के द्वारा संगठन में निष्पक्षता नहीं बरती जा रही है. उनका कहना था कि क्षेत्र के कार्यकर्ता संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं, पर सारवां के कार्यकर्ताओं को जिला स्तर पर उचित स्थान नहीं मिल पाता है.
पार्टी के अंदर घुसे हैं कुछ घुसपैठिएः सचिन रवानी
वहीं इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष सचिन रवानी कहते हैं कि भाजपा अनुशासन में रहने वाली पार्टी है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने विरोध किया है वे पार्टी के कार्यकर्ता हो ही नहीं सकते हैं. पार्टी के अंदर कुछ घुसपैठिए घुस आए हैं, जो इस तरह का काम कर रहे हैं.
सारवां के कई कार्यकर्ताओं को दिया गया बेहतर स्थान
साथ ही जो कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं वह संगठन के बेहतर भविष्य की सोच नहीं रखते हैं. उन्होंने सारवां प्रखंड में हुए विरोध को लेकर कहा कि सारवां प्रखंड के कई कार्यकर्ताओं को संगठन में स्थान दिया गया है. जिसका उदाहरण प्रज्ञा ओझा,जूनियर बीएल मरांडी सहित कई ऐसे कार्यकर्ता हैं जिन्हें संगठन में स्थान दिया गया है और उन्हें आगामी चुनाव को लेकर कई जिम्मेदारियां भी दी गई हैं.
पार्टी के अंदर मतभेद दूर करने की हो रही पहल
वहीं इस संबंध में भाजपा कार्यकर्ता विश्वनाथ बताते हैं कि देवघर जिले के कुछ क्षेत्रों में पार्टी के अंदर आपसी मतभेद जरूर है, लेकिन उसे सुलझाने के लिए जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के नेता प्रयास में जुटे हुए हैं. सभी नेताओं को उम्मीद है कि चुनाव से पूर्व नाराज कार्यकर्ताओं को भी मना लिया जाएगा और उनकी क्षमता के अनुसार पार्टी के लिए बेहतर कार्य लिया जाएगा.
देवघर में तीन विधानसभा सीटें हैं
गौरतलब हो कि देवघर जिले में मधुपुर, सारठ और देवघर विधानसभा शामिल है. वर्तमान में तीन विधानसभा सीटों में दो विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक मौजूद हैं, लेकिन एक विधानसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी ने अपने विवाद की वजह से पहले ही गवां दिया है. यदि जल्द से जल्द पार्टी के अंदर की आपसी विवाद को नहीं सुलझाया जाता है तो आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी को अन्य विधानसभा सीटों पर भी नुकसान सहना पड़ सकता है.
अब देखने वाली बात होगी कि भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता कब तक अपनी आपसी मतभेद को समाप्त करा पाते हैं, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका असर न देखने को मिले.
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