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अनिल हत्याकांड की इनसाइड स्टोरी: गर्दन पर भुजाली पड़ते ही फर्श से दीवार तक पड़े खून के छींटे, लाश ठिकाने लगाने से पहले बैजू ने धोया था घर - Anil murder case

Confession of Anil murder case accused. अनिल यादव की हत्या की घटना में अप्राथमिकी अभियुक्त बैजू जेल जा चुका है. जेल जाने से पहले बैजू ने पुलिस को घटना की कहानी बतायी है. बताया है कि कैसे उसने अनिल पर वार किया था. बैजू इस हत्या का सारा आरोप खुद के सिर ले चुका है लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या 56 वर्ष का एक अकेला व्यक्ति किसी हट्टे कट्ठे व्यक्ति की हत्या कर अकेले ही ठिकाने लगा सकता है. पुलिस इस बिंदू पर भी जांच कर रही है.

ANIL MURDER CASE
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 9, 2024, 11:24 AM IST

गिरिडीहः जमीन के कारोबार से जुड़े अनिल यादव का हत्यारा बैजू रविदास न्यायिक हिरासत में केंद्रीय कारा जा चुका है. हालांकि जेल जाने से पहले बैजू ने जो बातें पुलिस को बतायी हैं और जिस तरह रांची से आयी फॉरेन्सिक टीम ने बैजू के घर के फर्श, दीवार, कुर्सी समेत कई स्थानों से ब्लड स्टेन ( खून का छींटा ) पाया है वह बताता है कि किस तरह निर्दयी तरीके से अनिल पर भुजाली से वार किया गया था.

जानकारी देते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा (ईटीवी भारत)

बैजू ने दिया बयान, कमीशन रही वजह

जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बैजू ने पुलिस को बताया है कि इस पूरी घटना को उसने अकेले ही अंजाम दिया था. उसके मुताबिक रांची के मित्र शशिभूषण सिंह का पांच लाख रुपया कहीं फंस गया था. रकम की वसूली को लेकर उसने अपने पड़ोसी अनिल से सम्पर्क किया. अनिल ने 5 लाख वसूलने के एवज में एक लाख का कमीशन मांगा. शशिभूषण भी तैयार हो गया.

अनिल ने पांच लाख में से दो लाख वापस भी करवा दिया, इसके बाद कमीशन का एक लाख मांगने लगा. मैंने कहा कि पूरा पैसा वापस करवा दो और कमीशन ले लो. ऐसे में अनिल जिद करने लगा. वह धमकी भी देने लगा, कहने लगा कि कमीशन का बात तुमसे हुई है, पैसा तो तुमसे ही लेंगे. मैंने शशि को इसकी जानकारी दी. फिर शशि ने उसके फोन पे पर 10 हजार भेजा और मेरे द्वारा फरवरी से लेकर अगस्त तक अनिल को फोन पे के माध्यम से 30 हजार दे दिया. इसके बावजूद अनिल पूरे एक लाख की मांग करने लगा, कई बार हथियार दिखाकर धमकी भी देता रहा.

कुर्सी पर बैठ गिनने लगा रुपया तभी..

बैजू ने पुलिस को बताया है कि 6 अगस्त की दोपहर उस वक्त उसके घर पर आया जब उसके यहां कोई नहीं था. दोपहर एक बजे अनिल उसके घर आया तो ऐसा लग रहा था कि अनिल नशे में हैं. उसके हाथ में भुजाली था. उसने पहले मेरे घर का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और बोलने लगा कि अभी एक लाख दो नहीं तो इसी से गला रेत देंगे. मैं डर गया और पर्स के अंदर रखे पैसा निकाल कर उसकी हाथों में यह कहकर दिया कि इसे गिनो अंदर से और पैसा लाता हूं.

अनिल भुजाली को पलंग पर रख कर कुर्सी पर बैठकर रुपया गिनने लगा. तभी मुझे मौका मिला और अपनी जान बचाने के लिए अनिल की गर्दन पर पीछे से एक के बाद एक कई वार उसी के भुजाली से करने लगा. अनिल जमीन पर गिर चुका था और मेरी उंगली भी चोटिल हो चुकी थी, लेकिन अब मुझे लगने लगा कि अनिल उठेगा तो उसकी जान ले लेगा. इसी से मैंने सोच लिया कि अब इस लफड़े को खत्म कर देना चाहिए.

इसके बाद मैंने अनिल का गला उसी भुजाली से रेत दिया. फिर घर के अंदर से प्लास्टिक लाया और उसकी लाश को बांधकर कार के अंदर डाला और शव को जंगल में सुनसान स्थान पर फेंक दिया. फिर वापस अलकापुरी स्थित घर वापस लौटा, पहले कार पर लगे खून के धब्बे को धोया, फिर घर के फर्श, दीवार और कुर्सी पर लगे खून के निशान को धोया ताकि सबूत मिटाया जा सके. फिर कार को लेकर वह सरिया स्थित सरकारी क्वार्टर चला गया और सो गया. उसे लगा कि पुलिस उसे नहीं पकड़ पायेगी.

एफएसएल ने इकट्ठा किया ब्लड स्टेन

घटना के बाद एफएसएल की टीम भी पहुंची और बैजू के घर को खंगाला गया. यहां दो दिनों तक घर के कई हिस्से की छानबीन की गई. छानबीन में जगह जगह ब्लड स्टेन मिला है. घर के जिस हिस्से में हत्या की गई थी उस स्थान की दीवार पर भी खून के धब्बे मिले हैं. वहीं जिस कुर्सी पर अनिल बैठा हुआ था वह घर की छत पर मिला है. इस कुर्सी में भी ब्लड स्टेन मिलने की बात कही जा रही हैं. इसी तरह फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट को भी कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं हालांकि इसकी जानकारी पुलिस नहीं दे रही है.

क्या अकेले इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है कोई

अनिल की हत्या के चंद घंटे के अंदर गिरिडीह एसपी दीपक कुमार शर्मा की टीम ने हत्यारे को पकड़ लिया. वैज्ञानिक पद्धति से भी सबूत को इकट्ठा किया गया है ताकि हत्यारे को जल्द से जल्द सजा मिल सके. लेकिन इन सबों के बीच बड़ा सवाल है कि आखिर एक साधारण शरीर का व्यक्ति किसी हट्टे - कट्ठे युवक की हत्या अकेले कर सकता. क्या हत्या करने के बाद शव को अकेले ही कार में डाल सकता है और फिर अकेले ही लाश को फेंक सकता है. क्या हत्या चंद हजार रूपये की खातिर ही की जा सकती है. इन सवालों का जवाब पुलिस तलाश रही है.

भाई के नाम है घटना में प्रयुक्त कार
बड़ी बात यह भी है कि अनिल की लाश को जिस जेएच 10 सीके - 4080 नंबर की कार पर लादा गया था उक्त कार बैजू के भाई लौकी रविदास के नाम पर निबंधित है. ऐसे में ईटीवी भारत संवाददाता ने लौकी से फोन पर बात की. लौकी ने बताया कि बैजू की बेटी की शादी में दामाद को कार देना था. ऐसे में उसने अपने नाम पर कार लोन लिया और भाई को दिया था. इसके बाद भाई के पास ही कार रहती थी.

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जानकारी देते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा (ईटीवी भारत)

बैजू ने दिया बयान, कमीशन रही वजह

जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बैजू ने पुलिस को बताया है कि इस पूरी घटना को उसने अकेले ही अंजाम दिया था. उसके मुताबिक रांची के मित्र शशिभूषण सिंह का पांच लाख रुपया कहीं फंस गया था. रकम की वसूली को लेकर उसने अपने पड़ोसी अनिल से सम्पर्क किया. अनिल ने 5 लाख वसूलने के एवज में एक लाख का कमीशन मांगा. शशिभूषण भी तैयार हो गया.

अनिल ने पांच लाख में से दो लाख वापस भी करवा दिया, इसके बाद कमीशन का एक लाख मांगने लगा. मैंने कहा कि पूरा पैसा वापस करवा दो और कमीशन ले लो. ऐसे में अनिल जिद करने लगा. वह धमकी भी देने लगा, कहने लगा कि कमीशन का बात तुमसे हुई है, पैसा तो तुमसे ही लेंगे. मैंने शशि को इसकी जानकारी दी. फिर शशि ने उसके फोन पे पर 10 हजार भेजा और मेरे द्वारा फरवरी से लेकर अगस्त तक अनिल को फोन पे के माध्यम से 30 हजार दे दिया. इसके बावजूद अनिल पूरे एक लाख की मांग करने लगा, कई बार हथियार दिखाकर धमकी भी देता रहा.

कुर्सी पर बैठ गिनने लगा रुपया तभी..

बैजू ने पुलिस को बताया है कि 6 अगस्त की दोपहर उस वक्त उसके घर पर आया जब उसके यहां कोई नहीं था. दोपहर एक बजे अनिल उसके घर आया तो ऐसा लग रहा था कि अनिल नशे में हैं. उसके हाथ में भुजाली था. उसने पहले मेरे घर का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और बोलने लगा कि अभी एक लाख दो नहीं तो इसी से गला रेत देंगे. मैं डर गया और पर्स के अंदर रखे पैसा निकाल कर उसकी हाथों में यह कहकर दिया कि इसे गिनो अंदर से और पैसा लाता हूं.

अनिल भुजाली को पलंग पर रख कर कुर्सी पर बैठकर रुपया गिनने लगा. तभी मुझे मौका मिला और अपनी जान बचाने के लिए अनिल की गर्दन पर पीछे से एक के बाद एक कई वार उसी के भुजाली से करने लगा. अनिल जमीन पर गिर चुका था और मेरी उंगली भी चोटिल हो चुकी थी, लेकिन अब मुझे लगने लगा कि अनिल उठेगा तो उसकी जान ले लेगा. इसी से मैंने सोच लिया कि अब इस लफड़े को खत्म कर देना चाहिए.

इसके बाद मैंने अनिल का गला उसी भुजाली से रेत दिया. फिर घर के अंदर से प्लास्टिक लाया और उसकी लाश को बांधकर कार के अंदर डाला और शव को जंगल में सुनसान स्थान पर फेंक दिया. फिर वापस अलकापुरी स्थित घर वापस लौटा, पहले कार पर लगे खून के धब्बे को धोया, फिर घर के फर्श, दीवार और कुर्सी पर लगे खून के निशान को धोया ताकि सबूत मिटाया जा सके. फिर कार को लेकर वह सरिया स्थित सरकारी क्वार्टर चला गया और सो गया. उसे लगा कि पुलिस उसे नहीं पकड़ पायेगी.

एफएसएल ने इकट्ठा किया ब्लड स्टेन

घटना के बाद एफएसएल की टीम भी पहुंची और बैजू के घर को खंगाला गया. यहां दो दिनों तक घर के कई हिस्से की छानबीन की गई. छानबीन में जगह जगह ब्लड स्टेन मिला है. घर के जिस हिस्से में हत्या की गई थी उस स्थान की दीवार पर भी खून के धब्बे मिले हैं. वहीं जिस कुर्सी पर अनिल बैठा हुआ था वह घर की छत पर मिला है. इस कुर्सी में भी ब्लड स्टेन मिलने की बात कही जा रही हैं. इसी तरह फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट को भी कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं हालांकि इसकी जानकारी पुलिस नहीं दे रही है.

क्या अकेले इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है कोई

अनिल की हत्या के चंद घंटे के अंदर गिरिडीह एसपी दीपक कुमार शर्मा की टीम ने हत्यारे को पकड़ लिया. वैज्ञानिक पद्धति से भी सबूत को इकट्ठा किया गया है ताकि हत्यारे को जल्द से जल्द सजा मिल सके. लेकिन इन सबों के बीच बड़ा सवाल है कि आखिर एक साधारण शरीर का व्यक्ति किसी हट्टे - कट्ठे युवक की हत्या अकेले कर सकता. क्या हत्या करने के बाद शव को अकेले ही कार में डाल सकता है और फिर अकेले ही लाश को फेंक सकता है. क्या हत्या चंद हजार रूपये की खातिर ही की जा सकती है. इन सवालों का जवाब पुलिस तलाश रही है.

भाई के नाम है घटना में प्रयुक्त कार
बड़ी बात यह भी है कि अनिल की लाश को जिस जेएच 10 सीके - 4080 नंबर की कार पर लादा गया था उक्त कार बैजू के भाई लौकी रविदास के नाम पर निबंधित है. ऐसे में ईटीवी भारत संवाददाता ने लौकी से फोन पर बात की. लौकी ने बताया कि बैजू की बेटी की शादी में दामाद को कार देना था. ऐसे में उसने अपने नाम पर कार लोन लिया और भाई को दिया था. इसके बाद भाई के पास ही कार रहती थी.

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