कुल्लू: मानूसन में मूसलधार बारिश और आपदा की मार ने मलाणा को महंगाई की मार से झूलसा दिया है. 31 जुलाई को आई बाढ़ के बाद मलाणा के लोग महंगाई से लड़ रहे हैं. आलम ये है कि घर में राशन नहीं, स्कूली बच्चों के पास कॉपी पेंसिल नहीं है, पिछले कई हफ्तों से लाइट नहीं है, सड़क सुविधा नहीं है. लोगों के पास बची है तो सिर्फ लाचारी. मलाणा के लोग अब मदद के लिए सिर्फ प्रशासन और सरकार से ही मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं.
बाढ़ के बाद मलाणा में नाले और नदिया शांत हो गई हैं, लेकिन लोग यहां अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए तीन गुना कीमत चुका रहे हैं. मलाणा गांव में तकरीबन 500 परिवार रहते हैं. गांव की आबादी दो हजार से ढाई हजार के बीच है. अब प्राकृतिक आपदा से उबरने की जुगत में लगे गरीब-मध्यम वर्ग महंगाई से उपजी त्रासदी झेलने को मजबूर है, क्योंकि गांव को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क जरी-मलाणा सड़क मलाणा डैम के फटने के कारण टूट चुकी है. इसके कारण खाने-पीने और अन्य चीजों की सप्लाई गाड़ियों के माध्यम से एकदम बंद हो गई है.
MRP से तीन गुना महंगा मिल रहा सामान
जरी से मलाणा के लिए राशन और दैनिक दैनिक जरूरतों के सामान की आपूर्ति हो रही है. मलाणा और जरी के बीच की दूरी लगभग 11 से 12 किलोमीटर तक है. अब जरी से मलाणा में राशन, सब्जियां, आटा, दाल, चावल सड़क के टूटने के कारण पीठ पर ही लाया जा रहा है. इसके चलते हर चीज तीन गुना मंहगी हो गई है. लोगों को माल ढुलाई का अतिरिक्त भाड़ा अपनी जेब से देना पड़ रहा है. ऐसे में MRP से ज्यादा तो ढुलाई का खर्च आ रहा है. बच्चों की कॉपियां, पेंसिल तक नहीं मिल पा रही हैं.
3 तीन हजार में मिल रहा सिलेंडर
इससे खाने-पीने की चीजों के दाम तीन से चार गुना बढ़े हुए हैं. टमाटर-प्याज के दाम इन दिनों 50 से 60 रुपये के बीच हैं, लेकिन मलाणा में इन दिनों टमाटर, प्याज 120 से 150 रुपये तक प्रतिकिलो बिक रहा है. 1000 रुपये का रसोई गैस सिलेंडर 3,000 रुपये में मिल रहा है. हालांकि, कुल्लू प्रशासन ने पीडीएस का राशन मजदूरों के जरिए गांव तक पहुंचाया है. इससे पहले भी दो बार प्रशासन ने हेलीकॉप्टर के जरिए राशन पहुंचाने का प्रयास कर चुका है, लेकिन हेलीकॉप्टर की लैंडिंग नहीं हो पाई.
नेपाली मजदूर बने लाइफलाइन
सामान की ढुलाई का एकमात्र साधन नेपाली मजदूर हैं. नेपाली मजदूर ही जरी से मलाणा तक खाने-पीने और अन्य जरूरत का सामान पहुंचा रहे हैं. माल ढुलाई के कारण दालें, सब्जियां, चावल आदि के दाम तीन गुना बढ़ चुके हैं. किराना दुकान मालिकों का कहना है कि महंगी कीमतों पर सामान बेचना हमारा मजबूरी है, क्योंकि जरी से मलाणा तक सामान ढुलाई का खर्चा बहुत अधिक आ रहा है.
अक्तूबर में और खराब हो सकती है स्थिति
मलाणा पंचायत के प्रधान राजू राम ने कहा कि, 'सामान का ढुलाई का खर्चा अधिक पड़ने के कारण कीमतें आसमान छू रही हैं. गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए लोगों को जान जोखिम में डालनी पड़ रही हैं. मुश्किलों से घिरे ग्रामीणों ने उपायुक्त कुल्लू से आग्रह किया है कि वह एक बार गांव का दौरा करें और यहां के वास्तविक हालातों को देखें.' मलाणा के उपप्रधान राम जी ठाकुर, ग्रामीण दौलत राम, चमन का कहना है कि, 'सड़क न होने के कारण सारा राशन मजदूरों के द्वारा पैदल लाया जा रहा हैं, जिस कारण सारी वस्तुएं यहां पर महंगे दामों पर ग्रामीणों को खरीदनी पड़ रही हैं. अगर जल्द सड़क का निर्माण नहीं हुआ तो महंगाई के कारण ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो जाएगा. सड़क न होने से मरीजों को भी परेशानी आ रही हैं. अब अक्टूबर माह से यहां बर्फ गिरना शुरू हो जाएगी. तब मजदूर पैदल भी राशन यहां नहीं ला पाएंगे. अब सरकार और प्रशासन सड़क बनाने की दिशा में जल्द काम करे.'
150 के करीब गाड़ियां फंसी
मलाणा में सड़क टूटने के बाद से अभी भी 150 के करीब गाड़ियां फंसी हुई हैं. इसमें कुछ पर्यटकों की गाड़ियां भी शामिल हैं. सबसे अधिक नुकसान टैक्सी चालकों को हो रहा है. टैक्सी चालकों का कहना है कि उन्होंने बैंक से लोन लेकर ये टैक्सियां खरीदी थी, लेकिन अब पिछले कई दिनों से उनकी टैक्सियां फंस चुकी हैं. इसके कारण वो बैंक के लोन की किस्तें नहीं चुका पाएंगे. उन्होंने सरकार से मांग की हैं कि उनकी गाड़ियों को मलाणा से निकाला जाए, ताकि वो अपनी टैक्सियां चलाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकें.
25 दिनों से गांव में अंधेरा
वहीं, मलाणा के लिए 25 दिन से बिजली की आपूर्ति भी बंद है. मोबाइल चार्जिंग से लेकर सब उपकरण बंद हैं. यहां पर विकल्प के तौर पर सोलर लाइटें लोगों को दी गई हैं. विभाग का कहना है कि बाढ़ में पुराने खंभे और बिजली की लाइन बह गई है. गांव तक बिजली पहुंचाने के लिए उन्हें नई लाइन और खंभे बिछाने पड़ेंगे. इसके लिए अभी तीन से चार दिन का समय लगेगा.
अस्पताल तक पहुंचना भी एक जंग
वहीं, सड़क के टूट जाने के कारण मरीजों को पैदल या पीठ पर अस्पताल तक पहुंचाया जा रहा है. मलाणा के रहने वाले मनीष, कुछ दिनों से उनकी तबियत खराब थी. पेट में दर्द था. सोमवार को ज्यादा दर्द उठा तो आज सुबह 7 बजे मलाणा से इन्हें कुल्लू अस्पताल के लिए लेकर आए. नेपाली लेबर को पैसे दिए ताकि इन्हें उठा कर नीचे तक पहुंचाए. 3 नेपाली मजदूरों ने इन्हें पीठ में उठा कर जरी तक पहुंचाया. मनीष को मलाणा से लेकर नेपाली मजदूर सुबह 7 बजे से निकले थे, जरी पहुंचते-पहुंचते 2 बज चुके थे. उसके बाद उन्हें अब गाड़ी से कुल्लू पहुंचाया गया है. हाल ही में दो गर्भावती महिलाएं करीब 8 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया, जिसके बाद आगे उन्हें गाड़ी से ले जाकर तेगुबेहड अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.
प्रशासन का कहना है कि, 'मलाणा डैम के फटने से डैम के पास सड़क पूरी तरह बह गई है. सड़क बनाने के लिए नया रास्ता ढूंढना होगा. इसके लिए छह माह तक का समय लग सकता है.'
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